यूं तो हर बच्चे का स्वभाव बिल्कुल अलग होता है, लेकिन एक आदत जो लगभग हर बच्चे में देखी जाती है, वह है झूठ बोलने की आदत। जरूरी नहीं है कि बच्चा कोई बड़ा झूठ ही बोले। अक्सर बच्चे कुछ छोटे-छोटे झूठ बोलते हैं। जैसे अगर आप उनसे पूछती हैं कि होमवर्क कर लिया या खाना खा लिया तो कई बार काम ना करने पर भी वह कह देते हैं कि उन्होंने वह काम कर लिया। आपको उनकी इस आदत में भले ही कोई बुराई नजर ना आती हो, लेकिन बार-बार झूठ बोलने से यह बच्चों की आदत बन जाती है और फिर वह बड़े-बड़े झूठ बोलने से भी कतराते नहीं है।
कई बार माता-पिता बच्चों के झूठ बोलने की आदत को नजरअंदाज कर देते हैं, क्योंकि शुरूआत में उन झूठ से किसी को कोई हानि नहीं होती। लेकिन अगर बच्चों को शुरू में ही ना रोका जाए तो बाद में यह बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है। वैसे तो हम सभी बच्चों को सच बोलने का पाठ पढ़ाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि बच्चे झूठ क्यों बोलते हैं। अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको इस लेख में इस बारे में बता रहे हैं-
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बातचीत का हिस्सा बनने के लिए
छोटे बच्चों की आदत होती है कि घर में उनके सामने होने वाली किसी भी चर्चा का हिस्सा बनना चाहते हैं। कई बार वह घर की चर्चा का हिस्सा बनने के लिए किसी तरह की छोटी-बड़ी कहानियां भी गढ़ते हैं, जो अमूमन झूठ ही होती हैं।अगर बेटियों को बनाना है स्ट्रॉन्ग तो दिल दुखाने वाली ये बातें उनसे हरगिज ना कहें
खुद का बचाव
बच्चे स्वभाव से काफी चंचल होते हैं। अक्सर कई तरह की शरारतें करते हुए वह तोड़-फोड़ कर बैठते हैं और उसके बाद डांट या माता-पिता के गुस्से के डर से वह झूठ बोल देते हैं। इस तरह खुद का बचाव करने के चक्कर में वह झूठ बोलना ही उचित समझते हैं।डिनर टेबल पर बच्चों से कभी न बोलें ये 5 बातें, पड़ेगा बहुत बुरा प्रभाव
खुद की पहचान स्थापित करने के लिए
कई बार बच्चे अपने साथियों, शिक्षकों और भाई-बहनों को अपनी ताकत और स्मार्टनेस दिखाने के लिए झूठ बोलने लगते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से उन्हें उनकी पहचान बनाने में मदद मिलती है और इस तरह वह कई मौकों पर झूठ बोलने से कतराते नहीं है।
ध्यान आकर्षित करने के लिए
अमूमन हर बच्चे की यह चाहत होती है कि उनके माता-पिता का सारा ध्यान सिर्फ और सिर्फ उन पर ही हो। अक्सर अपने माता-पिता का ध्यान खींचने के लिए भी बच्चे झूठ बोलने लग जाते हैं। जैसे अगर पैरेंट्स का ध्यान कहीं ओर होता है तो बच्चे रोकर कहते हैं कि उन्हें चोट लगी है या फिर किसी दूसरे बच्चे ने उन्हें मारा है, ताकि माता-पिता का सारा ध्यान तुरंत उनकी तरफ आकर्षित हो जाए।
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बड़ों से सीखना
यह तो हम सभी जानते हैं कि बच्चों के सबसे पहले शिक्षक और रोल मॉडल उनके माता-पिता ही होते हैं। पैरेंट्स भले ही बच्चे को कितना भी सच बोलने के लिए कहें, लेकिन अगर वह यह आचरण खुद अपने जीवन में नहीं अपनाते तो फिर बच्चे माता-पिता की देखा-देखी वैसा ही करने लगते हैं। इतना ही नहीं, कई बार तो जब पैरेंट्स बच्चों को झूठ बोलने के लिए मना करते हैं तो उनका जवाब होता है कि आप भी तो ऐसा ही करते हो।
Image Credit: todaysparen,lifedevil,mommunity
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