डिनर टेबल पर बच्चों से कभी न बोलें ये 5 बातें, पड़ेगा बहुत बुरा प्रभाव

अक्सर पेरेंट्स की आदत होती है कि वह जब डाइनिंग टेबल पर बच्चों के साथ बैठते हैं तो उन्हें किसी न किसी बात पर टोकते रहते हैं। एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स का कहना है कि डाइनिंग टेबल पर कही गई सभी बातें बच्चों के दिमाग पर गहरा प्रभाव डालती हैं। इसलिए इस दौरान पेरेंट्स को उतनी ही सोच समझकर बातें बोलनी चाहिए जितनी सोच समझकर आप डाइनिंग टेबल पर खाने के आइटम रखते हैं।

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हम सभी चाहते हैं कि हमारे बच्चे पौष्टिक भोजन खाएं और हमेशा स्वस्थ करें। इसी चाहत को पूरा करने के लिए पेरेंट्स बच्चों को ऐसी ऐसी चीजों के बारे में बताते और खिलाते हैं जो उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती है। लेकिन कई बार पेरेंट्स बच्चों को अनजाने में इतना परेशान कर देते हैं कि वह दुखी होकर या तो खाना छोड़ देते हैं या फिर पेरेंट्स के साथ भोजन करना ही पसंद नहीं करते हैं। अक्सर पेरेंट्स की आदत होती है कि वह जब डाइनिंग टेबल पर बच्चों के साथ बैठते हैं तो उन्हें किसी न किसी बात पर टोकते और ज्ञान देते रहते हैं।

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एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स का कहना है कि डाइनिंग टेबल पर कही गई सभी बातें बच्चों के दिमाग पर गहरा प्रभाव डालती हैं। इसलिए इस दौरान पेरेंट्स को उतनी ही सोच समझकर बातें बोलनी चाहिए जितनी सोच समझकर आप डाइनिंग टेबल पर खाने के आइटम रखते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं जिन्हें खाना खाते वक्त अवाइड करनी चाहिए।

मीठे का लालच कभी न दें

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यह बात सच है कि बच्चों को मीठा बहुत पसंद होता है। इसी बात का फायदा उठाकर कई बार पेरेंट्स बच्चों को वेजिटेबल और फ्रूट्स खिलाते हैं। लेकिन ऐसा कभी नहीं करना चाहिए। अगर आप डिनर के बाद स्वीट्स सर्व कर रहे हैं तो बड़ों के साथ बच्चे भी इसे खाएंगे। लेकिन मीठे का लालच देकर बच्चों को किसी चीज को खाने के लिए प्रेशर नहीं करना चाहिए।

बच्चों को फज़ी न कहें

अगर आपका बच्चा ज्यादा शैतानी करता है या फिर बहुत उधम मचाता है तो उसे डिनर टेबल पर इस चीज के लिए कभी न टोकें। इससे बच्चे हर चीज के लिए सचेत हो जाते हैं और उनके अंदर से क्रिएटिविटी भी खत्म हो जाती है। इसका नतीजा यह भी होता है कि बच्चा कोई नई चीज करने से डरने लगता है।

'थोड़ा सा और खा लो, प्लीज'

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अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे ने ज्यादा नहीं खाया है, तो कोशिश करें कि उन्हें इस चीज के लिए जोर न दें। बच्चों को अधिक खाने के लिए बोलना अच्छा नहीं होता है, बल्कि यह बहुत ही व्यर्थ होता है। अगर आपका बच्चा भूखा है तो वह अपने आप खाना खा लेगा। अपने बच्चे को यह तय करने दें कि वह कितना खाना चाहता है।

भूख के अनुसार ही खाएं

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खाना खत्म करने के बाद बच्चे की तारीफ करना स्वाभाविक है। लेकिन यह उन्हें यह सिखाता है कि उनकी भोजन की मात्रा उनकी भूख से अधिक महत्वपूर्ण है। इससे बच्चे हमेशा अपना खाना खत्म करने की कोशिश करेंगे भले ही वे इसे खाना चाहते हैं या नहीं। पेरेंट्स को बच्चों को यह बताना चाहिए कि जितनी भूख हो उतना ही खाना खाएं।

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भाई बहनों से तुलना न करें

कभी भी बच्चों की उनके भाई बहन या किसी और से तुलना नहीं करनी चाहिए। इससे बच्चे का मूड तो डिस्टर्ब होता ही है साथ ही बच्चे के मन में अपने भाई बहनों के लिए नफरत भी आ सकती है। बच्चे को हमेशा खाना खाने की वेल्यू बताएं।

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