जानें कैसे दैत्य गुरु शुक्राचार्य को मिला ग्रहों में स्थान  

आज हम आपको दैत्य गुरु शुक्राचार्य के ग्रह बनने के पीछे की रोचक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं। 

lord venus story in hindi

Shukracharya Ki Katha: हिन्दू धर्म ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में गुरु शुक्राचार्य का वर्णन मिलता है। शुक्राचार्य न सिर्फ दैत्य गुरु थे बल्कि भगवान शिव के परम भक्त भी थे। हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आज हम आपको दैत्य गुरु शुक्राचार्य के ग्रह बनने की रोचक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।

कौन थे शुक्राचार्य

  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, शुक्राचार्य ब्रह्म देव के मानस पुत्र ऋषि भृगु और दक्ष प्रजापति की पुत्री ख्याति के पुत्र थे। हालांकि, पहले शुक्राचार्य का नाम कवि हुआ करता था।
guru shukracharya
  • कई ऋषियों से शिक्षा-दीक्षा लेने के बाद भी जब कवि यानी कि शुक्राचार्य को संतोष न हुआ तो वह एक दिन गौतम ऋषि की शरण में पहुंचे और उनसे मार्गदर्शन की प्रार्थना की।

भगवान शिव से मिला वरदान

  • गौतम ऋषि ने शुक्राचार्य को भगवान शिव (भगवान शिव का पाठ) की शरण में जाने के लिए कहा। शुक्राचार्य ने गौतम ऋषि के आदेश पर गोदावरी नदी के तट पर महादेव की घोर तपस्या और आराधना की।
  • जब महादेव ने प्रकट होकर शुक्राचार्य से वरदान मांगने को कहा तो उन्होंने वरदान में संजीवनी बूटी और उसका समस्त ज्ञान मांगा। शुक्राचार्य की तपस्या के फल स्वरूप महादेव ने उन्हें यह वरदान दे दिया।

विद्या का किया दुरुपयोग

  • अपनी तपस्या और विद्या के कारण ही शुक्राचार्य ने दैत्य गुरु का स्थान पाया लेकिन शुरुआत में जहां शुक्राचार्य ने अपनी विद्या का उपयोग दैत्यों के कल्याण में लगाया तो वहीं धीरे-धीरे उन्होंने इसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया।
daitya guru shukracharya
  • जब भी दैत्यों और देवताओं के बीच कोई भी युद्ध होता वह घायल या मृत्य दानवों को पुनः जीवित कर देते जिसके दुष्फल स्वरूप देवताओं की लड़ने की शक्ति कम होती गई और दानवों का स्वर्ग समेत पृथ्वी पर आधिपत्य स्थापित हो गया।

भगवान शिव ने शुक्राचार्य को निगला

  • जब संसार में दैत्यों का दुराचार बढ़ने लगा तब पुनः देवताओं ने नंदी (नंदी के दिव्य मंत्र) समेत महादेव के सभी गणों के साथ दैत्यों पर आक्रमण किया लेकिन इस बार महादेव ने शुक्राचार्य को उनकी विद्या का दुरुपयोग नहीं करने दिया।
  • किसी भी देवता या गण के हाथों मारे गए दैत्य को इस बार जैसे ही शुक्राचार्य जीवित करने के लिए अपनी विद्या का स्मरण करने लगे वैसे ही महादेव ने उन्हें निगल लिया।

ग्रहों में मिला स्थान

  • महादेव के उदर यानि कि पेट में जाकर शुक्राचार्य स्थित हो गए और जब अथक प्रयासों के बाद भी वह महादेव के पेट से बाहर नहीं निकल पाए तब उन्होंने भोलेनाथ की स्तुति करनी शुरू की।
shukracharya katha
  • भोलेनाथ तो भोले हैं जल्दी प्रसन्न भी हो गए और शुक्राचार्य उचित-अनुचित का भान कराते हुए उन्हें पूजे जाने का वरदान दे दिया। साथ ही, महादेव ने शुक्राचार्य को शुभ ग्रह का आशीर्वाद देते हुए नव ग्रहों में शामिल कर दिया।

तो ये थी दैत्य गुरु शुक्राचार्य के शुक्र ग्रह बनने की कथा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Shutterstock, Pinterest

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP