अगस्त यानी वो महीना, जिसमें भारत को आजादी मिली थी। लेकिन, क्या वाकई हमें आजादी मिल चुकी है। ओह हो...माफ कीजिएगा, आपको मेरा सवाल अजीब लग रहा होगा। चलिए, मैं इसे सही तरीके से पूछती हूं- क्या हमारे देश में महिलाओं को आजादी मिल चुकी है?
यह वो सवाल है जो हर दिन एक लड़की होने के नाते मैं खुद से पूछती हूं या यूं कहूं कि मुझे पूछना पड़ता है। क्या करूं आजाद भारत की नागरिक हूं तो अखबार, न्यूज चैनल और सोशल मीडिया से जुड़ी हूं और यहां जो खबरें आती हैं या पत्रकार होने के नाते जो खबरें मुझे लिखनी पड़ती हैं, वो हर रोज मुझे झकझोर कर रख देती हैं।
चलिए ज्यादा दूर नहीं जाते हैं सिर्फ अगस्त महीने की बात करते हैं। आजादी के इस महीने ने असल में भारत में महिलाओं की आजादी की असल तस्वीर दिखा दी है। इस महीने हमने दहेज की आग में जलती एक लड़की देखी, खुद को दरिंदों से बचाने के लिए सड़क पर दौड़ती एक मूक-बधिर बच्ची देखी, बेटी को गोद में लेकर खुद को आग लगाती दहेज से प्रताड़ित एक महिला देखी और भी न जाने क्या-क्या....। आजादी के इस महीने में न जाने कितने ऐसे मामले सामने आए, जो रोंगटे खड़े करने वाले हैं और महिला सम्मान, सुरक्षा और आजादी के दावों को खोखला साबित करते हैं।
क्या आपको पता है कि साल 2022 के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, भारत में साल 2022 में 6,516 महिलाओं को दहेज की वजह से अपनी जान गवानी पड़ी। इतना ही नहीं, आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में हर 20 मिनट में एक महिला रेप का शिकार होती है।
खैर, ये आंकड़े तो सालों के हैं लेकिन हम यहां आपको सिर्फ अगस्त में हुए कुछ ऐसे मामले बता रहे हैं, जो हमारे देश में महिलाओं की स्थिति की असल तस्वीर दिखाते हैं। ये घटनाएं आपको विचलित कर करती हैं और अगर आप महिला हैं जो आपके मन में लाखों सवाल भी पैदा कर सकती हैं।
नेशनल क्राइम ब्यूरो की साल 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में दहेज के कारण 6,516 महिलाओं की मौत हुई थी। यह आंकड़ा, रेप या गैंगरेप के बाद महिलाओं की हत्या के आंकड़ों का 25 गुना है। रिपोर्ट्स की मानें तो एक तिहाई महिलाओं तो इस मामले में शिकायत ही दर्ज नहीं करवा पाती हैं। वहीं, न्याय मिलने की प्रक्रिया भी काफी धीमी है। आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 के अंत तक दहेज हत्या के 60,577 कोर्ट में पेंडिंग थे। भारत में हर दिन 87 रेप के मामले सामने आते हैं। साल 2022 के आंकड़ों के अनुसार, रेप के मामलों में 13.23 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
कभी रेप...कभी दहेज..कभी घरेलू हिंसा तो कभी कुछ और, महिलाओं के साथ हो रहे अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। हम खुद को आजाद भारत का नागरिक कहते हैं, पढ़े-लिखे समाज का हिस्सा बताते हैं, बेटियों को देवी मानने की बात कहते हैं और महिला सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करते हैं। लेकिन, आए दिन ऐसी घटनाएं साबित कर देती हैं कि शायद ये सब सिर्फ एक भ्रम है क्योंकि हकीकत तो वो है, जो महिलाएं हर दिन झेल रही हैं।
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