कई बार ऐसा होता है कि सैलरी समय पर नहीं आई और अकाउंट में लोन चुकाने के लिए पर्याप्त पैसे भी नहीं हैं, तो आप इसके लिए परेशान न हों। एरियर ईएमआई का विकल्प आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। इससे लोन की किस्त बाउंस नहीं होती साथ ही साथ सिबिल स्कोर पर भी निगेटिव इंपैक्ट नहीं पड़ता है।
अगर लोन की दो ईएमआई नहीं दी जाती हैं, तो बैंक सबसे पहले अकाउंट होल्डर को रिमाइंडर भेजता है। वहीं, लगातार तीन किस्त का भुगतान करने में चूक होती है, तो बैंक कानूनी नोटिस भेजता है। चेतावनी के बाद भी ईएमआई पूरी नहीं की जाती, तो उस हालत में बैंक की तरफ से डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है।
लोन रीपेमेंट का चेक बाउंस होने पर जेल भी हो सकती है
लोन रीपेमेंट का चेक बाउंस होने पर बैंक या गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्था (NBFC) आपके खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज कर सकते हैं। इससे आपको जेल भी हो सकती है। साथ ही लोन चुकाने की तारीख के 180 दिनों के बाद भी लोन भुगतान नहीं हुआ है, तो लोन कंपनी आपके खिलाफ सिविल मुकदमा दायर कर सकती है।
अगर लोन की ईएमआई समय पर पूरा नहीं कर पा रहे हैं या किसी वजह से तय राशि देने में सक्षम नहीं हैं, तो री-स्ट्रक्चर के विकल्प पर विचार किया जा सकता है। इससे ईएमआई के दबाव से तुरंत राहत मिल जाती है और लोन डिफॉल्टर के टैग से बचा जा सकता है। साथ ही आमदनी का साधन कोई और भी हो, तो उस रकम का इस्तेमाल लोन के प्रीपेमेंट के लिए किया जा सकता है। इससे लोन की अवधि घटाने में मदद मिलती है।
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अगर लोन की ब्याज दर ज्यादा है और दूसरा बैंक कम ब्याज पर लोन दे सकता है, तो लोन की रिफाइनेंसिंग भी कराई जा सकती है। हालांकि, इसके लिए यही शर्त है कि लोन को चुकाने की आदत (क्रेडिट हिस्ट्री) बेहतर होनी चाहिए।
एरियर EMI का विकल्प चुनें
इसमें, वित्तीय योजना के मुताबिक, किस्त की तारीख को आगे या पीछे बढ़ाया जा सकता है। आप अपनी सैलरी के मुताबिक, EMI सेटलमेंट करवा सकते हैं। इसके लिए, जिस बैंक से लोन लिया है, उससे संपर्क करना होगा। लोन की रकम के हिसाब से, अब तक चुकाए गए कर्ज को अलग कर, EMI की रकम कम करने की रिक्वेस्ट की जा सकती है।
इसके लिए, कोई वैलिड डॉक्युमेंट दिखाना जरूरी है। अगर ज्यादा धनराशि है या मासिक किस्त की तारीख चूक जाने का डर है, तो EMI का अगला भुगतान किया जा सकता है। इससे, छूटी हुई EMI के मामले में लगने वाले पैनल चार्जेस से बचा जा सकता है। अगर सैलरी, खर्चों से ज़्यादा है, तो होम लोन को रीस्ट्रक्चर करवा लेना चाहिए। सैलरी बढ़ने पर, ईएमआई बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। इससे, कम ब्याज चुकाना पड़ेगा और होम लोन भी जल्दी पूरा हो जाएगा।
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कुछ खास बातों का भी रखें ध्यान
- अपनी EMI तारीख को बदलें।
- EMI ऑटो-डेबिट बंद करें।
- EMI री-पेमेंट प्लान बदलें।
- अलग से EMI का भुगतान करें।
- क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कम करें।
- कर्ज लेने से पहले सोचें और बचत करें।

घर खरीदने से पहले, ज्यादा डाउन पेमेंट करना चाहिए। कम से कम 25 फीसदी डाउन पेमेंट करना चाहिए और 75 फीसदी रकम कर्ज के तौर पर लेनी चाहिए। इससे, कर्ज चुकाने की अवधि और EMI को अपनी सुविधा के मुताबिक कम या ज्यादा करवाया जा सकता है।
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