कल हम भारतीय के लिए सबसे बड़ा दिन था क्योंकि हम भारत के दूसरे मानवरहित चंद्र अभियान की सफलता को देखने के करीब थे। हालांकि, इसरो ने चंद्रयान-2 विक्रम लैंडर के साथ 2.1 किमी पहले ही संपर्क खो दिया था, ताकि उसे आसानी से उतरा जा सकें। इसरो के अध्यक्ष, के सिवन ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, ''चंद्रयान -2 से चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर संपर्क टूट गया। डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है।''
इस खबर से जहां इसरो के वैज्ञानिकों में निराशा देखने को मिली, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि आपने बहुत अच्छा काम किया है। उन्होंने कहा कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और यह यात्रा जारी रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "जब मिशन बड़ा होता है तो निराशा से पार पाने का हिम्मत होना चाहिए। मेरी तरफ से आप सभी को बहुत बधाई है। आपने देश की मानव जाति की बड़ी सेवा की है।" आपको बता दें कि विक्रम से संपर्क टूटने के समय इसरो कंट्रोल रूम ये महिला साइंटिस्ट मौजूद थीं। आइए इन दो महिला साइंटिस्ट के बारे में विस्तार से जानें।
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आपको बता दें कि ISRO इसरो ने अब तक अंतरिक्ष में कुल 370 उपग्रह छोड़े हैं। इनमें 101 देसी और 269 विदेशी सैटेलाइट शामिल हैं। मून मिशन चंद्रयान-2 से इनकी संख्या बढ़कर 371 हो गई। ISRO ने देश के लिए कुल 101 सैटेलाइट लॉन्च किए हैं। जिनमें संचार, आपदा प्रबंधन, इंटरनेट, रक्षा, मौसम और शिक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों को सेवाएं देने वाले उपग्रह हैं। साथ ही आपको यह भी बता दें कि इससे पहले ये लॉन्चिंग 15 जुलाई को होनी थी, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण इसे अंतिम समय में टाल दिया गया था। चांद और पृथ्वी के बीच में 3,84,000 किलोमीटर की दूरी है और इस दूरी को पूरा करने में चंद्रयान-2 को कुल 48 दिन लगेंगे। उपग्रह के चांद की सतह पर पहुंचते ही उनका काम शुरू हो जाएगा।
INDIA SCRIPTS HISTORY!
— Doordarshan News (@DDNewsLive) July 22, 2019
CONGRATULATIONS, @isro!
India's second moon mission #Chandrayaan2 launched successfully from Sriharikota@PMOIndia @MIB_India pic.twitter.com/kUtPPpRS1h
लेकिन इस लॉन्च की सबसे खास बात यह है कि पहली बार इस मिशन की कमान दो महिलाओं के हाथ में थी। पूरी प्रोजेक्ट के लिए जिम्मेदार निर्देशक का नाम मुथैया वनिता रही। उनके कंधों पर मिशन की शुरूआत से लेकर आखिर तक का जिम्मा रहा। उनके अलावा मिशन निर्देशक रितु करिधाल श्रीवास्तव रही। उनके ऊपर बहुत बड़ा उत्तरदायित्व था। बंगलूरू में ISRO उपग्रह केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ. एम अन्नादुराई ने कहा कि महिलाओं ने अतीत में भी विभिन्न उपग्रह प्रक्षेपणों का नेतृत्व किया है लेकिन यह पहली बार है जब इतनी बड़े प्रोजेक्ट की मिशन डायरेक्टर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर दोनों महिलाएं हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मुथैया वनिता को पिछले साल नियुक्त किया गया है। अधिक से अधिक महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाएं लेते देखना अच्छा है और यह ISRO के भविष्य के मिशनों में भी जारी रहेगा।शहीद की पत्नी भारतीय एयरफोर्स में होगी शामिल पढ़ें पूरी कहानी।
मुथैया वनिता बारे में आपको बता दें कि वह यूआर राव सैटेलाइट सेंटर से एक इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर हैं। वह डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग में माहिर हैं और उन्होंने उपग्रह संचार पर कई पेपर लिखे हैं। उन्होंने मैपिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले पहले भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह (कार्टोसैट 1), दूसरे महासागर अनुप्रयोग उपग्रह (ओशनसैट 2) और तीसरे उष्णकटिबंधीय में जल चक्र और ऊर्जा विनिमय का अध्ययन करने के लिए इंडो-फ्रेंच उपग्रह पर उप परियोजना निर्देशक के तौर पर काम किया है।
मुथैया वनिता को 2006 में एस्ट्रॉनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया था। साइंस जर्नल नेचर ने उनका नाम उन पांच वैज्ञानिकों की श्रेणी में रखा था जिनपर 2019 में नजर रहेगी।4 स्वर्ण पदक जीतने वाली भावना टोकेकर पूरी कहानी पढ़ें।
रितु करिधाल श्रीवास्तव के बारे में आपको बता दें कि यह उनका पहला बड़ा अतंरिक्ष मिशन नहीं है। इससे पहले वह भारत के मार्स मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर रह चुकी हैं। उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। 2007 में उन्हें ISRO का युवा वैज्ञानिक पुरस्कार मिल चुका है। रितु खुद कहती हैं कि तारों ने मुझे हमेशा अपनी ओर खींचा और आकर्षित किया और मैं सोचती थी कि अंतरिक्ष के अंधेरे के उस पार क्या है। विज्ञान मेरे लिए कभी भी सिर्फ विषय नहीं था बल्कि यह मेरे लिए जुनून था।
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रितु ने ISRO की कई अहम प्रोजेक्ट का हिस्सा रही हैं लेकिन खुद रितु मंगलयान की उप परियोजना निर्देशक के रूप में इस मिशन को सबसे बड़ी चुनौती मानती हैं।भारतीय नौसेना की महिला टीम 'तारिणी' की पूरी कहानी जानिए।
Photo courtesy- twitter.com(@ISRO, The Hindu)
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