89 साल उम्र का वो दौर होता है जब इंसान थक जाता है। उसे कुछ भी नया करने की इच्छा नहीं रह जाती। उसे लगता है कि वो जिंदगी जी चुका है, लेकिन लतिका चक्रवर्ती ने इस सोच को पीछे छोड़ दिया है। उम्र के उस पड़ाव में जहां लोगों के पास न ज्यादा दोस्त होते हैं न ही बात करने वाला कोई, उस पड़ाव में लतिका जी ने बिजनेस शुरू किया और बखूबी इसे चला रही हैं। लतिका जी की खुद की वेबसाइट है और साथ ही साथ इंस्टाग्राम चैनल भी है।
लतिका जी ने ऑनलाइन पोटली बैग बेचने का बिजनेस शुरू किया। सबसे बड़ी बात ये है कि ये बैग्स लतिका जी द्वारा खुद बनाए जाते हैं। साथ ही साथ, उन्हें सभी ऑर्डर भारत से मिलते हों ऐसा नहीं है। उन्हें जर्मनी, न्यूजीलैंड, ओमान जैसे देशों से भी ऑर्डर मिल रहे हैं। ये पोटली बैग्स बहुत खूबसूरत होते हैं और ये सभी एथिनिक लुक के साथ अच्छे लगते हैं।
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ढुबरी, असम में पैदा हुई लतिका जी देश के अलग-अलग कोने में रही हैं। उनके पति सर्वे ऑफ इंडिया में काम करते थे जिसके लिए उन्हें अलग-अलग जगह जाना होता था। ऐसे में उन्हें भारत के अलग-अलग हिस्सों की साड़ियां उन्होंने इकट्ठा कर ली। उन्हें साड़ियों को फेंकने की इच्छा नहीं थी। उन्हें इसका नया इस्तेमाल करना था। बस उन्होंने अपनी पुरानी साड़ियों का इस्तेमाल शुरू किया। पहले उसकी ड्रेस और स्वेटर बनाती थीं और उसके बात, गुड़िया और अब पोटली बैग। ये परिवार वालों और दोस्तों को काफी पसंद आते थे। इसके बाद उन्हें आइडिया आया कि वो अपने इन बैग्स का इस्तेमाल बिजनेस के तौर पर कर सकती हैं और फिर शुरू हुआ Latika’s Bags.
लतिका जी को हमेशा से सिलाई का शौख था। अब उन्होंने इसे बिजनेस आइडिया में तब्दील कर लिया है। उन्हें पुरानी चीज़ें इकट्ठा करने का शौख है। लतिका जी शुरू से ही स्वेटर बनाना, सिलाई करना, कढ़ाई करना पसंद करती थीं। उन्होंने पार्टीशन का दंश भी देखा है। वो बताती हैं कि उस दौर की महिलाओं को अपने हुनर दिखाने में खुशी मिलती थी। उनके बच्चे हाथों से बने हुए कपड़े ही पहनते थे। बच्चे बड़े हुए तो गुड़िया बनाना और उसके बाद बैग बनाना शुकू किया। 4-5 साल पहले उनकी बहु सुमिता ने कहा कि उन्हें पोटली बैग बनाने चाहिए। उसके बाद लतिका जी के बैग लोगों को पसंद आए और अब तो ये वायरल हो चुके हैं।
लतिका जी को ये आइडिया उनके पोते जॉय ने दिया था। वो जर्मनी से वापस आया था और उसे दिखा कि लतिका जी काम कर रही हैं। वो देखकर खुश हुआ और उन्हें ऑनलाइन बिजनेस के बारे में बताया। उनके पोते ने एक वेबसाइट बना दी। उसके बाद बाकी बच्चों ने ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट बना दिए। उनकी बहू सुमिता और वो मिलकर ये बैग बनाती हैं और बेटे इस बिजनेस को आगे बढ़ाने के बारे में सोचते हैं।
लतिका जी की ही तरह उनकी सिलाई मशीन भी बेहद खास है। उस सिलाई मशीन ने 64 साल से लतिका जी का साथ निभाया है। ये मशीन उन्हें उनके पति श्री कृष्ण लाल चक्रवर्ती ने दी थी। लतिका जी कहती हैं कि इसमें उन्हें पति का प्यार और लगाव दिखता है।
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लतिका जी जो बैग बनाती हैं वो हिंदुस्तान के कई कोनों से इकट्ठा की गई साड़ियों से बनाए जाते हैं। यानी लतिका जी के बैग अपने आप में इतिहास की झलक दिखाते हैं। उनकी वेबसाइट latikasbags.com पर सभी बैग मिल जाएंगे। हालांकि, इनकी कीमत आम पोटली बैग्स से थोड़ी ज्यादा होती है, लेकिन इन्हें देखकर और लतिका जी की मेहनत और इतिहास जानकर ये बैग अनमोल लगते हैं। उनके बैग्स विदेशों में सप्लाई किए जाते हैं और ऐसे में उन्हें उनकी मेहनत का फल तो मिलना चाहिए।
लतिका जी जैसा जज्बा आसानी से देखने को नहीं मिलता। उनके परिवार का सपोर्ट भी है उन्हें। लतिका जी को सलाम। उनकी मेहनत कई लोगों के लिए प्रेरणा बन सकती है।
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