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Women's Day 2019: लहरों से लड़कर वतन वापस आईं भारतीय नौसेना की महिला टीम 'तारिणी' की पूरी कहानी जानिए

इस वूमेंस डे पर जानिए लहरों से लड़कर वतन वापस आईं भारतीय नौसेना की महिला टीम 'तारिणी' की पूरी कहानी। बड़ी अदभुत् और रोचक रही थी इनकी समुद्री यात्रा।
Editorial
Updated:- 2019-03-07, 11:43 IST

आज की तारीख में महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा चुकी हैं। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जहां महिलाओं ने अपना झंडा ना गाड़ा हों। एक समय ऐसा था जब महिलाओं को सिर्फ घर तक सीमित रखा जाता था, फिर एक दौर वो आया जब महिलाओं को आजादी तो मिली पर कुछ क्षेत्रों को तब भी उनकी सीमा से परे रखा गया। समय के साथ अपनी बेड़ियां तोड़ती महिलाएं उन क्षेत्रों को भी पाट गई जो उनकी मुट्ठी से बाहर थी। किसी दौर में कमजोर कहीं जाने वाली महिलाएं देश के सबसे सम्मान जनक क्षेत्र सेना में अपना योगदान देने लगी हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक टीम के बारे में बताएंगे जिन्होंने समुद्र के रास्ते पूरी दुनिया की परिक्रमा की। भारतीय नौसेना की 6 महिला सदस्यों की टीम ने एक जहाज में 8 महीने बिताकर और दिन रात लहरों से लड़कर सात समुंदर पार किया। बड़ी अदभुत् और रोचक है इनकी कहानी।

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आईएनएसवी तारिणी जहाज में सवार इस टीम ने 10 सितंबर, 2017 को गोवा से अपनी ऐतिहासिक यात्रा शुरू की थी। इस यात्रा को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। जहाज का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी किया था। इसके अन्य सदस्यों में लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा जामवाल, लेफ्टिनेंट कमांडर स्वाथि पी, लेफ्टिनेंट एस विजयादेवी, लेफ्टिनेंट ऐश्वर्या बोडापट्टी और लेफ्टिनेंट पायल गुप्ता शामिल थीं। तारिणी की टीम समुद्री प्रदूषण के आंकड़ों को जुटाने और मौसम की बेहतर भविष्यवाणी के लिए समुद्री तरंगों का डाटा जुटाने के मिशन पर निकली थी। इस यात्रा के दौरान टीम ने समुद्री लहरों के कई खौफनाक मंजर भी देखें। इस अभियान में टीम ने पांच चरणों में यह दूरी तय की। आईएनएसवी तारिणी ने समुद्र के रास्ते 21 हजार छह सौ नॉटिकल मील का सफर पूरा किया है।

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यह पूरे विश्व की पहली ऐसी जल यात्रा है, जिसमें चालक दल सहित सभी सदस्य महिलाएं थीं। इस अभियान को 'नाविका सागर परिक्रमा' नाम दिया गया है। अपने इस अभियान के दौरान तारिणी ने कुल पांच बंदरगाह पर रेस्ट किया था, जिसमें- आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फॉकलैंड आईलैंड, साउथ अफ्रीका और मॉरीशस था।

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टीम 254 दिनों तक समुद्र की लहरों से खेलने के बाद 19 मई 2018 को गोवा पहुंची तो इस महिला शक्ति की प्रतीक कही जाने वाली टीम का स्वागत करने के लिए नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा सहित खुद रक्षा मंत्री निर्मल सीतारमन बाहे फैलाये खड़ी थीं। जब यह टीम अपनी यात्रा से वापस लौटी तो देश को गौरवान्वित करने वाली इस टीम की महिला ऑफिसर्स से पीएम मोदी ने मुलाकात की थी और देश का मान बढ़ने के लिए इनका शुक्रिया अदा किया था।

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वतन वापसी के बाद तारिणी की टीम ने एक न्यूज़ चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में अपने सफर के दौरान आई कठिनाईयों का जिक्र किया था जिसे सुनकर किसी की भी रूह काप जाएं। तारिणी की टीम को यात्रा के दौरान काफी मुश्किलों से भी गुजरना पड़ा। मौसम की मार झेलनी पड़ी। प्रशांत महासागर में करीब 6 मीटर उंची लहरें और 60 नॉट्स की हवाओं का सामना करना पड़ा। घनघोर अंधेरी रातों में लहरों को चिरते हुए आगे बढ़ना पड़ा, जहां दूर-दूर तक सिर्फ पानी के कुछ नहीं दिखता है। लेकिन भारतीय नौसेना की इन 6 बहादुर महिला ऑफिसर्स ने हार नहीं मानी और अपने मिशन को पूरा करके ही वतन वापस लौटीं। यॉट से दुनिया की परिक्रमा करने वाली इस टीम का मकसद भारतीय नारी की शक्ति का प्रदर्शन करना था। इस वुमेंस डे पर सलाम है ऐसी नारी शक्ति को जिसकी वजह से देश का सर फक्र से ऊंचा हो जाता है।

Photo courtesy- (@narendramodi, Force, DNA India & The Economic Times)

 


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