
भारत में सभी त्योहारों को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में त्योहार लोगों को एक साथ जोड़ने का काम करता है। लेकिन अब इनका एक नया रोल भी सामने आ रहा है, वो है डेटिंग में कम्पैटिबिलिटी (यानी मेल-जोल) देखने का।
हाल ही में देश के पॉपुलर डेटिंग ऐप ने एक सर्वे किया, जिसमें सामने आया कि हर 5 में से 2 सिंगल्स (यानि करीब 40%) नवरात्रि और दुर्गा पूजा जैसे बड़े त्योहारों को इस नजरिए से भी देखते हैं कि उनका मैच उनकी सोच और कल्चर से कितना मेल खाता है।
आपको बता दें कि ये सर्वे 20 से 35 साल की उम्र के करीब 11,000 लोगों पर किया गया था। इनमें टियर-1, टियर-2 और टियर-3 शहरों के लोग शामिल थे। अलग-अलग प्रोफेशन और बैकग्राउंड से आए इन लोगों से पूछकर समझा गया कि त्योहार उनकी डेटिंग लाइफ पर किस तरह असर डालते हैं।
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सर्वे में पता चला कि करीब 32% लोग जो मेट्रो सिटीज और आसपास के इलाकों से हैं, वो अपने मैच को चुपचाप इस बात पर जज करते हैं कि वो त्योहारों को कैसे मनाता है। यानी सिर्फ कपड़े, खाना या मस्ती नहीं, बल्कि पूरा एटिट्यूड मायने रखता है। 22 से 28 साल के युवाओं में तो ये सोच और भी ज्यादा है। 44% लोगों ने कहा कि अगर कोई मैच त्योहारों को लेकर बिल्कुल इंट्रेस्टेड नहीं है, तो वो उनके लिए बड़ा ‘नो-गो’ है। ये सिर्फ धार्मिक भावनाओं की वजह से नहीं, बल्कि इस वजह से कि त्योहारों से जुड़ी यादें और इमोशन्स उनके लिए खास मायने रखते हैं।
त्योहारों पर सबसे बड़ी चर्चा खाने की ही होती है, कौन फास्ट कर रहा है और कौन जमकर फूड एंजॉय कर रहा है। सर्वे के मुताबिक, 16% लोग जो व्रत रखते हैं, उन्होंने साफ कहा कि वे ऐसे पार्टनर को डेट नहीं करना चाहेंगे जो इन दिनों दावत उड़ाए। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि पिछले साल की तुलना में काफी लोग अब ज्यादा ओपन हो गए हैं।

करीब 31% लोगों ने माना कि उन्हें देशभर की अलग-अलग कल्चरल आदतों के बारे में जानकर यह समझ आया कि कहीं त्योहार फास्टिंग से जुड़ा है तो कहीं फेस्टिंग (दावत या पार्टीज) से। हालांकि, एक चीज पर लगभग सब सहमत दिखे। 37% लोग बोले कि अगर कोई उनके खाने की पसंद का मजाक उड़ाएगा, तो वह रिश्ता आगे नहीं बढ़ेगा।
त्योहारों में परंपराओं का भी बड़ा रोल होता है। लेकिन हर किसी का तरीका अलग होता है। सर्वे में पाया गया कि 14% पुरुष और 12% महिलाएं जिनकी उम्र 25 से कम है, उन्होंने उन मैचेस को अनमैच कर दिया जो बहुत ज्यादा रिजिड थे और हर छोटी-बड़ी रस्म पर जोर डालते थे।
युवा पीढ़ी के लिए ज्यादा अहमियत इस बात की है कि सामने वाला उनकी संस्कृति का सम्मान करे, भले ही वो खुद वैसा फॉलो न करता हो। 28 साल से ऊपर के डेटर्स के लिए तो त्योहारों का एक और पहलू है- फैमिली। सर्वे में सामने आया कि हर 3 में से एक लोग ने माना कि नवरात्रि या दुर्गा पूजा जैसे वक्त पर घरवाले अक्सर शादी की बातें छेड़ देते हैं।

इसी वजह से इस दौरान डेटिंग ऐप्स पर ट्रैफिक और मैचेज बढ़ जाते हैं। कई लोग तो इसे ‘शादी के सवालों से बचने का शील्ड’ भी मानते हैं। साफ है कि त्योहार अब सिर्फ पूजा, पंडाल और गरबा तक सीमित नहीं रहे। ये रिश्तों में इमोशनल कनेक्शन, सम्मान और फैमिली वैल्यूज को परखने का नया पैमाना बन गए हैं।
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