Dog For Grah: धार्मिक एवं ज्योतिष शास्त्र में शनि, राहु और केतु इन तीन ग्रहों को अत्यंत प्रभावकारी और प्रताड़नाकारी माना गया है। इन ग्राहों के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन पर बेहद नकारात्मक असर होता है। कुंडली में अगर ये ग्रह सही दिशा और दशा में न हों तो इससे व्यक्ति के जीवन में अनेकों कठिनाइयां आने लग जाती हैं।
वहीं, इन ग्रहों की मार से छुटकारा पाने के लिए और इन ग्रहों की शांति के लिए कुत्ते को रोटी खिलाने की बात कही जाती है। माना जाता है कि कुत्ते को रोटी खिलाने से जहां एक ओर राहु और केतु का नकारात्मक प्रभाव कम होता है तो वहीं, शनि साढ़े साती और ढैय्या में राहत मिलती है जिससे जीवन में व्यकित के सभी काम सुचारू रूप से बनने लग जाते हैं।
ऐसे में हमारे मन में सवाल आया कि आखिर क्यों कुत्ते को इन ग्रहों के लिए बेजोड़ इलाज माना जाता है और कैसे ग्रहों से इस जीव का संबंध बना। हमने इस बारे में हमारे एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य डॉ राधाकांत वत्स से पूछा तो उन्होंने इस विषय पर कई दिलचस्प तथ्य बताए जो आज हम आपके साथ साझा करने जा रहे हैं।
कुत्ता पालने से शांत होता है ग्रहों का क्रोध
शास्त्रों में वर्णित जानकारी और ज्योतिषों के कथन अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के जीवन में राहु-केतु का दुष्प्रभाव छाया हो और शनि की कुदृष्टि की भयंकर माया हो तो कुत्ता पालने से इन तीनों ग्रहों को शांत किया जा सकता है। अगर कुत्ता काले रंग का हो तो नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने में और भी लाभदायक माना जाता है। यहां तक कि घर में काले कुत्ते के होने से बुरी नजर से भी बचाव होता है।
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कुत्ते को रोटी खिलाने से नहीं सताती शनि साढ़े साती
ऐसा माना जाता है कि अगर कुत्ते को रोजाना रोटी खिलाई (काले कुत्ते को जरूर खिलाएं ये 5 चीजें) जाए तो इससे शनि का प्रकोप कम हो जाता है। शनि की वक्र दृष्टि अपना असर कम दिखाने लगती है। और तो और, काले कुत्ते को रोटी खिलाने से शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या के दौरान मिलने वाले कष्टों में भी कमी आती है।
कुत्ते की सेवा से मिलता है काल भैरव का आशीर्वाद
कुत्ते को काल भैरव का वाहन माना जाता है। ऐसे में अगर काले कुत्ते की सेवा की जाए और उसका पूर्ण रूप से भरण-पोषण किया जाए तो इससे न सिर्फ शनि, राहु-केतु (राहु-केतु के प्रकोप से बचने के उपाय) दोष से निजात मिलती है बल्कि भगवान काल भैरव का अखंड आशीर्वाद भी मिलता है।
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ग्रह शांति के लिए कुत्ता कैसे बना सहायक
महाभारत ग्रंथ में इस बात का उल्लेख मिलता है कि युद्ध के बाद पांडवों ने कई वर्षों तक इंद्रप्रस्थ पर राज किया था। तकरीबन 56 वर्ष के राज के बाद जब पांडवों की मृत्यु का समय नजदीक आया तो उन्होंने स्वर्ग के लिए अपनी यात्रा आरंभ की। माना जाता है कि पांडु पुत्रों में एक मात्र युधिष्ठिर ही ऐसे थे जो स्वर्ग लोक तक जीवित पहुंचे थे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, युधिष्ठिर के साथ उस समय एक श्वान भी था जो जीवित स्वर्ग में प्रवेश कर गया था।
ऐसा कहा जाता है कि सभी युधिष्ठिर के सभी भाइयों पर उनके कर्म अनुसार शनि की दृष्टि थी। जिसके कारण वो स्वर्ग तक नहीं पहुंच सके और मार्ग में ही मृत्यु को प्राप्त हो गए लेकिन युधिष्ठिर के साथ काला कुत्ते होने के कारण शनि का प्रकोप उन्हें छू भी न सका। तभी से कुत्ते को हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाने लगा और ग्रहों की शांति के लिए काले कुत्ते को पालने की धारणा स्थापित हो गई।
तो ये था श्वान का ग्रहों से रहस्यमयी संबंध। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Freepik, Herzindagi
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