Bakra Eid Kab Hai 2024: ईद उल अजहा कोबकरीद के नाम से भी जाना जाता है। चांद निकलने के बाद जुल्हिज्जाह मनाया जाता है। इस्लामी महीने की शुरुआत चांद के घटने-बढ़ने से तय होती है । भारत में कई इस्लामी संगठनों ने 7 जून 2024 को जुल्हिज्जाह का पहला दिन घोषित किया है। हालांकि,ईद अलग-अलग जगहों में अलग-अलग दिन मनाया जाता है, ऐसा इसलिए, क्योंकि हर जगह पर चांद दिखने की पुष्टि अलग-अलग समय पर होती है। उदाहरण के तौर पर, अरब और एशियाई देशों में समय और तारीख में फर्क होता है।
जामा मस्जिद के पूर्व शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी इस तारीख की घोषणा की है, ईद उल अजहा (बकरीद) की तारीख को लेकर अब कोई संशय नहीं है। भारत में बकरीद 17 जून 2024 को मनाई जाएगी। अबू बकर सिद्दीकी, दारुल उलूम देवबंद के मौलाना के मुताबिक, "ईद का त्योहार चांद दिखने के बाद ही मनाया जाता है। चूंकि भारत के कई क्षेत्रों में 7 जून को चांद देखा गया है, इसलिए भारत में बकरीद 17 जून को मनाई जाएगी।"
ईद-उल-फितर के कितने दिन बाद मनाई जाती है ईद उल अजहा
बकरीद (ईद-उल-अजहा) ईद-उल-फितर के ठीक 2 महीने और 9 दिन बाद मनाई जाती है। इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक, महीने 29 या 30 दिनों के होते हैं, जो चांद दिखने पर निर्भर करते हैं। इस साल 7 जून 2024 से इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीने ‘जिलहिज्जा’ का महीना शुरू हो गया है और ईद-उल-अजहा 17 जून 2024 को मनाई जाएगी।
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ईद-उल-अजहा क्यों मनाई जाती है
ईद उल अजहा इस्लाम धर्म में दूसरा सबसे खास त्योहार है। यह त्योहार हजरत इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) ने अपने बेटे हजरत इस्माइल (अलैहिस्सलाम) की कुर्बानी देने की इच्छा की याद दिलाता है। कुरान और हदीस के मुताबिक, अल्लाह ने हजरत इब्राहिम को सपने में अपने सबसे प्यारे शख्स की कुर्बानी देने का आदेश दिया। हजरत इब्राहिम, जो अल्लाह के लिए समर्पित थे उन्होंने अपने बेटे हजरत इस्माइल (अलैहिस्सलाम) को कुर्बान करने का फैसला किया।
जब हजरत इब्राहिम अपने बेटे की कुर्बानी देने वाले थे, तो उनको अपने बेटे का चेहरा देखकर एक पल के लिए हिम्मत टूटगया। फिर उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध कर अपने बेटे इस्माइल को कुर्बान करने के लिए चाकू चलाया। उसी समय अल्लाह की इजाजत से , इस्माइल को वहां से हटाकर भेड़ को कुर्बान करने का आदेश दिया। यह घटना हजरत इब्राहिमके त्याग और समर्पण का प्रतीक बन गया।
ईद उल अजहा (बकरीद) की तैयारियां
बकरीद के मौके पर मुसलमान नमाज अदा करते हैं, कुर्बानी देते हैं, गरीबों को दान करते हैं और परिवार और दोस्तों के साथ जश्न मनाते हैं। बाजारों में ईद की तैयारियां जोरों पर हैं। लोग नए कपड़े, मिठाई और अन्य सामान खरीद रहे हैं। इस मौके पर, आप 'ईद मुबारक' या 'ईद उल अजहा मुबारक' कहकर अपने मुस्लिम दोस्तों और परिवार को मुबारकबाद दे सकते हैं।
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ईद उल अजहा (बकरीद) त्योहार का महत्व
कुर्बानी का मांस तीन भागों में बांटा जाता है। एक तिहाई परिवार के लिए, एक तिहाई रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए और एक तिहाई गरीबों और जरूरतमंदों के लिए। यह त्योहार मुसलमानों में भाईचारा और एकता को बढ़ावा देता है। यह त्योहार सिखाता है कि हमें अल्लाह की राह में अपनी सबसे प्यारी चीजों का त्याग करने के लिए तैयार रहना चाहिए। बकरीद का त्योहार हज के समापन होने का भी प्रतीक है, जो इस्लाम की पांच खास स्तंभ में से एक है। हज यात्रा करने वाले लोग मक्का में भी बलिदान करते हैं।
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