क्यों मनाई जाती है ईद-मिलाद-उन-नबी, जानें पैगंबर मुहम्मद के जन्म से जुड़ा इतिहास

क्या आपको पता है ईद आने वाली है? नहीं बकरा ईद और मीठी ईद के अलावा भी एक ईद होती है और यह बहुत खास है। ईद-मिलाद-उन-नबी की खासियत के बारे में आज जानते हैं। 

Eid milad un nabi

इस्लामिक कैलेंडर में एक ऐसा दिन भी आता है जिसे पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है। यही दिन है ईद-मिलाद-उन-नबी। मान्यता है कि इसी दिन पैगंबर को अल्लाह ने धरती पर भेजा था। यह इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अवल में मनाया जाने वाला त्योहार है और इसे भी ईद की तरह ही पाक माना जाता है।

अधिकतर लोग बकरा ईद और मीठी ईद के बारे में जानते हैं, लेकिन आपको बता दें कि इस्लामिक धर्म के लिए यह भी बहुत महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है।

ईद-मिलाद-उन-नबी कब है (Eid Milad un Nabi Kab Hai 2024)

इस साल यह 16 सितंबर को मनाई जाएगी। हां, बाकी दोनों ईद की तरह इसे हॉलिडे नहीं माना जाता और यह सिर्फ गजेटेड हॉलिडे है, लेकिन इसे पूरी दुनिया के मुसलमान मनाते हैं। इस्लामिक कैलेंडर की डेट हर साल बदल जाती है इसलिए हर साल इस त्योहार की तारीख भी बदल जाती है।

सुन्नी मुसलमानों के लिए यह दिन 12वें रबी-उल-अवल को मनाया जाता है, लेकिन कुछ शिया मुसलमानों के लिए यह 17वें रबी-उल-अवल पर आता है। यह निर्भर करता है कि ये किन दिनों में पड़ेगा।

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ईद-मिलाद-उन-नबी क्यों मनाई जाती है (Eid Milad un Nabi Kyu Manaya Jata Hai)

ईद-मिलाद-उन-नबी को सबसे पहले 12वें रबी-उल-अवल में मनाया गया था। यह 632CE में पैगंबर मुहम्मद के की मौत के बाद शोक दिवस के रूप में मनाया जाता था, लेकिन 13वीं सदी के बाद इसे शोक की जगह पैगंबर के जन्म के जलसे के रूप में मनाया जाने लगा।

eid milad un nabi significance

आप यूं समझ लीजिए कि इस दिन को पैगंबर के खास दिन के तौर पर माना जाने लगा और इस दिन उनकी सिखाई हुई बातों पर अमल किया जाता है। इस्लाम धर्म के लिए यह पाक दिन होता है जिसमें पैगंबर की बातों से प्रेरणा ली जाती है और खुशियां मनाई जाती हैं।

यह भी बता दें कि भले ही इसे इस्लामिक त्योहार माना जाता है, लेकिन हर मुस्लिम समुदाय इसे नहीं मानता है। कुछ यह भी समझते हैं कि पैगंबर मुहम्मद का जन्मदिन इस्लामिक नियमों के हिसाब से नहीं मनाया जाना चाहिए। इसे बिद्दत माना जाता है। बिद्दत का मतलब कुछ नया करने से है जिसे अल्लाह के नियमों के हिसाब से शामिल नहीं किया गया और कुरान के हिसाब से यह गलत है।

सलाफ़ी और वहाबी नियमों को मानने वाले लोग यही मानते हैं कि मिल वालिद या ईद-ए-मिलाद को पैगंबर के समय नहीं मनाया जाता था और इसलिए यह गलत है।

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ईद-मिलाद-उन-नबी का इतिहास (Eid Milad un Nabi History)

फातिमी खिलाफत (Fatimid Caliphate) 909 से 1171 ईस्वी में शिया इस्लाम विचारधारा को मानने वाला मिस्र का साम्राज्य था। फातिमी खिलाफत ने ही इसे 10वीं सदी में पहली बार त्योहार का दिन माना था जो बाद में 13वीं सदी तक पूरी दुनिया में फैल गया था।

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इस दिन प्रार्थना की जाती है, शायरी होती है, पैगंबर की सीख को दोहराया जाता है, नमाज पढ़ी जाती है। शुरुआती दौर में इसे सिर्फ फातिमी खिलाफत द्वारा ही मनाया गया, लेकिन व्यापार के लिए जैसे-जैसे ये लोग आगे गए, वैसे-वैसे इस दिन को लोकप्रिय माना जाने लगा। अब इस त्योहार को दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है और इसमें जुलूस निकाला जाता है और कुछ लोग इस दिन दान करने को अच्छा मानते हैं। पंगत भी बैठाई जाती है जहां लोगों को खाना खिलाना अच्छा माना जाता है।

ईद मिलाद उन नबी का महत्व (Eid Milad un Nabi SIgnificance)

जहां तक इसके महत्व की बात है, तो ईद-मिलाद-उन-नबी को पैगंबर मुहम्मद के जीवन और उनकी विरासत का सम्मान करने का दिन माना जाता है। पैगंबर मुहम्मद अल्लाह के आखिरी दूत थेऔर कुरान में उन्होंने कई शिक्षाएं दी थीं। इस दिन उन्हीं को दोहराया जाता है। इसे बहुत अच्छा दिन माना जाता है।

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