जब भी बात गार्डनिंग की आती है, तो हम सब अपने पौधों का नेचुरल तरीकों से ख्याल रखने की कोशिश करते हैं। ऐसे में अंडे के छिलकों का इस्तेमाल करना काफी अच्छा माना जाता है। हम सभी इस बात को जानते हैं अंडे के छिलके एक बेहतरीन खाद हैं, जो पौधों का अधिक बेहतर तरीके से ख्याल रखते हैं। ये कैल्शियम से भरपूर होते हैं और मिट्टी के लिए अच्छे माने जाते हैं। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप हर पौधे की केयर करने के लिए बिना सोचे-समझे अंडे के छिलकों का इस्तेमाल करना शुरू कर दें। आपको शायद पता ना हो, लेकिन हर पौधा अंडे के छिलकों को पसंद नहीं करता।
जहां कुछ पौधों के लिए ये फायदेमंद हो सकते हैं, लेकिन कुछ पौधों के लिए ये नुकसानदायक भी हो सकते हैं। दरअसल, कुछ पौधों को एसिडिक मिट्टी चाहिए होती है, और अंडे के छिलके मिट्टी को ज्यादा अल्कलाइन बना देते हैं, जिससे पौधे की ग्रोथ रुक सकती है। इसी तरह, कुछ पौधे ऐसे भी होते हैं जो ज़्यादा मिनरल्स के लिए सेंसिटिव होते हैं, तो ऐसे में उन पर अंडे के छिलकों का असर उल्टा पड़ सकता है। इसलिए बिना सोचे-समझे पूरे गार्डन में अंडे के छिलके डालना सही तरीका नहीं माना जाता। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही पौधों के बारे में बता रहे हैं, जिन पर आपको अंडे के छिलकों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए-
अगर आप मशरूम उगा रहे हैं तो आपको अंडे के छिलकों को इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। दरअसल, मशरूम को
हल्की एसिडिक, नम और छायादार जगहों में कार्बनिक पदार्थों को विघटित करना पसंद करते हैं। अंडे के छिलके न
केवल अल्कलाइन होते हैं, बल्कि जल्दी सड़ते भी नहीं हैं। इससे मिट्टी की बनावट और पीएच बदल जाता है, जो मशरूम
के लिए सही नहीं है।
पीस लिली के प्लांट के लिए भी अंडे के छिलकों का इस्तेमाल करना अच्छा नहीं माना जाता है। दरअसल, पीस लिली
को थोड़ी एसिडिक से लेकर तटस्थ मिट्टी पसंद होती है। अगर आप अक्सर अंडे के छिलके डालते रहते हैं, तो इससे मिट्टी
बहुत अल्कलाइन हो जाती है। इससे पौधे की पत्तियां पीली हो जाती हैं और फूल कम बनते हैं, क्योंकि यह पोषक तत्वों
को ठीक से अवशोषित नहीं कर पाती।
स्ट्रॉबेरी उगाते समय भी आपको अंडे के छिलकों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। दरअसल, स्ट्रॉबेरी को थोड़ी
अम्लीय मिट्टी पसंद होती है। इसका पीएच 5.5-6.5 के बीच होना चाहिए। ऐसे में अगर अंडे के छिलके ज़्यादा मात्रा में
डाल दिए जाएं, तो इससे मिट्टी अल्कलाइनरीय हो जाती है। इससे फल कम लगते हैं और उनका स्वाद और बनावट
भी बिगड़ सकती है।
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Image Credit- freepik
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