भारत में कई सारे त्यौहार मनाए जाते हैं। हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है। इस बार दशहरा का पर्व 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा। भगवान राम ने रावण का वध दशहरा के दिन ही किया था। हर साल दशहरा पर लोग धूमधाम के साथ रावण के पुतले जलाकर यह त्योहार मनाते हैं।
लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में एक जगह ऐसी भी है जहां पर दशहरा में वहां के लोग रावण के मरने का शोक मनाते हैं। आपको इस जगह के बारे में हम इस लेख में बताएंगे और इसके पीछे क्या मान्यताएं हैं यह भी बताएंगे।
कहां पर है यह जगह?
आपको बता दें कि राजस्थान में जोधपुर जिले में यह जगह स्थित है। यह जगह चांदपोल इलाके के पास है। आपको बता दें कि इस जगह पर ही रावण का विवाह मंदोदरी के साथ हुआ था। मंदोदरी जोधपुर की ही रहने वाली थी। आपको बता दें कि यहां पर एक मंदिर भी बनाया गया है।
यह मंदिर जोधपुर के मेहरानगढ़ किला रोड पर है जिसमें रावण की पूजा होती है। इसके पास ही मंदोदरी का भी मंदिर बनाया गया है जहां पर लोग पूजा करने के लिए जाते हैं। इस मंदिर में दोनों की ही विशाल मूर्तियों को स्थापित किया गया है।
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जानिए क्या है मान्यताएं?
आपको बता दें कि जोधपुर में रहने वाले श्रीमाली ब्राह्मण समाज खुद को रावण का वंशज मानते हैं। आपको बता दें कि दशहरा के दिन यह लोग शोक के रूप में अपना दिन व्यतीत करते हैं।
आपको बता दें कि यहां के लोग रावण दहन को पूजा के रूप में करते हैं। यह सुनकर आपको आश्चर्य होगा की यह लोग रावण के दहन को नहीं देखते हैं। जब रावण का दहन हो जाता है तो उसके बाद स्नान करने भी जाते हैं। इसके बाद ही वह खान-पान ग्रहण करते हैं। इस जगह पर लोग दशहरा को पर्व के रूप में कई सालों से नहीं बना रहे हैं।
मान्यताओं के अनुसार अगर यह दशहरा को पर्व के रूप में मानाएंगे तो उससे उनके कुल की हानि होगी और उनका वंश भी नहीं बढ़ पाऐगा।
तो यह थी जानकारी रावण के वध से जुड़ी हुई।
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image credit- pixabay/freepik/unsplash
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