कई बार लाइफ में ऐसी परिस्थितियां आती हैं, जहां प्रॉपर्टी, बैंक अकाउंट्स आदि रखने वाला व्यक्ति विदेश में होने, बीमार होने या बूढ़े होने जैसे विभिन्न कारणों से अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम नहीं होता है। ऐसी स्थिति में लेन-देन के लिए किसी ऐसे व्यक्ति को लोग अपने अधिकारी हस्तांतरित कर देते हैं, जो उसकी तरफ से काम कर सके। अपने अधिकारों को किसी दूसरे को सौंपने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी बनाई जाती है, जो एक कानूनी दस्तावेज है।
क्या है पावर ऑफ अटॉर्नी?
आप पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए किसी दूसरे व्यक्ति को प्रॉपर्टी, फाइनेंस, मेडिकल सहायता आदि के बारे में कानूनी निर्णय लेने के लिए अधिकार दे सकते हैं। जो व्यक्ति अधिकार देता है उसे अधिकारदाता कहते हैं और जिस व्यक्ति को अधिकार मिलता है उसे अधिकारग्रह्यता कहते हैं। भारत में पावर ऑफ अटॉर्नी फॉर्म आपके हितों की रक्षा करता है और किसी ऐसे इंसान को आपके अधिकार देता है, जिस पर आप भरोसा करते हैं। वह इंसान आपकी जगह काम कर सकता है, लेकिन POA विभिन्न स्थितियों के लिए भिन्न-भिन्न होते हैं।
आज हम आपको इस आर्टिकल में पावर ऑफ अटॉर्नी फॉर्म के प्रकार बताने जा रहे हैं और किसका कब इस्तेमाल किया जाता है, इसके बारे में भी बताने वाले हैं।
General Power of Attorney
नाम से ही पता चलता है कि जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी, एजेंट को कई तरह की जिम्मेदारियां प्रदान करती है। इसमें, टैक्सेशन, फाइनेंस, प्रॉपर्टी, मैनेजमेंट आदि के मामले शामिल होते हैं। GPOA का इस्तेमाल मुख्य रूप से संपत्ति खरीदने या बेचने के वक्त किया जाता है। हालांकि, ध्यान रखें कि अगर आप अपने फैसले लेने में असमर्थ हो जाते हैं, तो सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी आमतौर पर अमान्य हो जाती है।
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Durable Power of Attorney
यह पावर ऑफ ऑटर्नी एजेंट को जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी की तरह ही जिम्मेदारियां प्रदान करती है। हालांकि, Durable Power of Attorney तब भी प्रभावी रहती है, जब आप फैसले लेने में अक्षम हो जाते हैं। इसके अलावा, यह पावर ऑफ अटॉर्नी तब अमान्य होती है, जब प्रिंसिपल की मृत्यु हो जाती है या प्रिंसिपल का उद्देश्य पूरा हो जाता है, जिसके लिए उसे एजेंट की जरूरत थी।
Special Power of Attorney
स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी में एजेंट के पास अधिकार सीमित होते हैं। जब प्रिसिंपल का उद्देश्य पूरा हो जाता है जिसके लिए उसने एजेंट को रखा था, तो वह विशेष पावर ऑफ अटॉर्नी को खत्म कर सकता है। उदाहरण के तौर पर अगर प्रिंसिपल ने एजेंट को अपनी संपत्ति के रजिस्ट्रेशन प्रोसेस की देखरेख का अधिकार देने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी बनवाई थी, तो काम खत्म होने के बाद वह अमान्य हो जाएगी।
Medical Power of Attorney
यह पावर ऑफ अटॉर्नी आपके विश्वसनीय एजेंट को आपकी ओर से स्वास्थ्य संबंधी विकल्प चुनने की अनुमति देती है। जब प्रिंसिपल बीमार होता है या उसे चोट लगी होती है और वह फैसला लेने में सक्षम नहीं होता है। हालांकि, मेडिकल POA शुरुआत से लागू नहीं होता है। यह तब वैध हो जाता है, जब प्रिसिंपल की तबीयत ठीक नहीं रहती है।
Springing Power of Attorney
यह पावर ऑफ अटॉर्नी एक छिपे हुए रिजर्व की तरह है, जिसे आप जरूरत पड़ने पर एक्टिव कर सकते हैं। यह कानूनी दस्तावेज केवल कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में ही एक्टिव होता है। उदाहरण के तौर पर, अगर प्रिंसिपल को लाइलाज बीमारी हो जाती है, तो वह इस POA का इस्तेमाल करके एजेंट नियुक्त कर सकता है, जो प्रिंसिपल के कोमा में जाने पर उसके फाइनेंस और हेल्थकेयर को मैनेज करेगा।
पावर ऑफ अटॉर्नी कैसे बनवाएं?
आप नॉर्मल पावर ऑफ अटॉर्नी एक वकील की मदद से बनवा सकते हैं। वकील कानून के हिसाब से आसानी से मसौदा तैयार करके और उसे पंजीकृत करवा सकता है। पंजीकरण के बाद, पावर ऑफ अटॉर्नी को नोटरीराइज़ करवाना होता है। आप चाहे तो केवल POA को एक स्टाम्प पेपर पर मुद्रित कर सकते हैं। हालांकि, जब अचल संपत्ति की बात आती है, तब नॉर्मल पावर ऑफ अटॉर्नी का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य हो जाता है।
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भारत में पावर ऑफ अटॉर्नी के लिए स्टाम्प ड्यूटी अमाउंट
भारत में पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत करने के लिए आपके पास वीजा स्टैम्प वाला वैध पासपोर्ट होना या ID Proof होना जरूरी है। आपको गवर्नमेंट एजेंसी के साथ रजिस्टर्ड होना जरूरी है। आपकी उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए। आपके पास अपनी हेल्थ और सेफ्टी के बारे में निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। भारत में पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत करने की फीस 100 रुपये से शुरू होती है। हालांकि, प्रॉपर्टी वैल्यू और दूसरे फैक्टर्स के आधार पर वैल्यू बदलती रहती है।
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