हिंदू पंचांग के मुताबिक सितंबर की 10 तारीख से श्राद्ध पक्ष शुरू होगा और 25 सितंबर को खत्म होगा। इसे पितृ तर्पण के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भाद्रपद के महीने में, हमारे पितर धरती पर किसी न किसी शक्ति और ऊर्जा के जरिए अवतरित होते हैं और फुल मून से मून तक रहते हैं।
ऐसे में हमें कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है। ऐसी बहुत सी बातें हैं और चीजें जो हमें इस दौरान नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे हमारे पूर्वज नाराज हो सकते हैं।
इस दौरान ब्राह्मणों को खाना, कपड़े, दान आदि दिया जाता है। गाय, कुत्तों और कौवों को खाना खिलाया जाता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के 13 दिनों के बाद आत्मा यमपुरी के लिए अपनी यात्रा शुरू करती है और वहां पहुंचने में सत्रह दिन लगते हैं। आत्मा यमपुरी से होकर एक और 11 महीने यात्रा करती है और 12वें महीने में ही वह यमराज के दरबार में पहुंचती है। 11 महीने की अवधि के दौरान उसे भोजन और पानी तक पहुंच नहीं होती। ऐसा माना जाता है कि पुत्र और परिवार के सदस्यों द्वारा किया गया पिंडदान और तर्पण यमराज के दरबार तक पहुंचने तक की यात्रा के दौरान आत्मा की भूख और प्यास को संतुष्ट करता है। इसलिए मृत्यु के पहले वर्ष के दौरान श्राद्ध अनुष्ठानों को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
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श्राद्ध के दौरान आपको भी इन बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। अपने पूर्वजों से आशीर्वाद लें और उन्हें खुश रखें। अगर यह जानकारी आपको पसंद आई तो इसे लाइक और शेयर करना न भूलें। ऐसे अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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