हिंदू धर्म में पितृपक्ष का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत में पितृ पक्ष आरंभ होता है और अश्विन मास की अमावस्या को समाप्त होता है। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष के दिनों में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं।
इस दौरान पितरों की शांति के लिए लोग धरती पर पिंडदान व तर्पण करते हैं। इस दौरान पूर्वज किसी भी रूप में धरती पर आ सकते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है।
पितरों को सही विधि से पिंडदान करने और उन्हें जल तर्पण करने से उनका आशीर्वाद तो मिलता ही है और घर से पितृ दोष भी दूर होता है। ऐसी मान्यता है कि यदि पितरों को सही तरीके से तर्पण न किया जाए तो उन्हें मुक्ति नहीं मिलती है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें इस साल पितृ पक्ष कब से शुरू हो रहा है और तर्पण की सही तिथियां क्या हैं।
पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां
इस साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 10 सितंबर 2022 को है। इसलिए इसी दिन पितृ पक्ष (पितृ पक्ष से जुड़ी बातें) की शुरुआत होगी और इसका समापन 25 सितंबर 2022 को होगा।
- पूर्णिमा का श्राद्ध/ प्रतिपदा का श्राद्ध- 10 सितंबर, शनिवार
- द्वितीया का श्राद्ध-11 सितंबर, रविवार
- तृतीया का श्राद्ध- 12 सितंबर, सोमवार
- चतुर्थी का श्राद्ध- 13 सितंबर, मंगलवार
- पंचमी का श्राद्ध- 14 सितंबर, बुधवार
- षष्ठी का श्राद्ध- 15 सितंबर, बृहस्पतिवार
- सप्तमी का श्राद्ध-16 सितंबर, शुक्रवार
- अष्टमी का श्राद्ध-18 सितंबर, शनिवार
- नवमी श्राद्ध- 19 सितंबर, रविवार
- दशमी का श्राद्ध- 20 सितंबर, सोमवार
- एकादशी का श्राद्ध- 21 सितंबर, मंगलवार
- द्वादशी/संन्यासियों का श्राद्ध- 22 सितंबर, बुधवार
- त्रयोदशी का श्राद्ध- 23 सितंबर, बृहस्पतिवार
- चतुर्दशी का श्राद्ध- 24 सितंबर, शुक्रवार
- अमावस्या का श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या- 25 सितंबर, शनिवार
पितृ पक्ष में कैसे करें तर्पण
- शास्त्रों के अनुसार पितरों का श्राद्ध, पिंड दान और ब्राह्मण को भोजन कराने से पूर्ण माना जाता है।
- यदि आप घर में श्राद्ध और तर्पण कर रहे हैं तो ब्राह्मणों को घर में आमंत्रित करें।
- ब्राह्मणों के चरण धोकर उन्हें आसन पर बैठाएं।
- पितरों को तर्पण करते हुए अपने हाथ में जल, कुशा, अक्षत, पुष्प और काले तिल लें और उन्हें आमंत्रित करें।
- पितरों का नाम लेते ही जल पृथ्वी पर 5-7 या 11 बार अंजलि से गिराएं।
- शास्त्रों में कौवों को पितरों का रूप माना जाता है इसलिए पितृ पक्ष में कौवों को भोजन अवश्य कराएं।
पितृ पक्ष में तर्पण का महत्व
श्राद्ध के समय में तर्पण का बहुत अधिक महत्व है। मान्यता है कि तर्पण से ही पितरों को मुक्ति मिलती है और उनका आशीष प्राप्त होता है। इस दौरान पूर्वज हमारे आस-पास मौजूद होते हैं, इसलिए उन्हें तर्पण अवश्य करना चाहिए। यदि आपके घर में कोई भी पितृ दोष है तो उसे दूर करने के लिए पितरों का आह्वान किया जाता है। हिन्दुओं में तर्पण को मोक्ष का प्रवेश द्वार माना जाता है। इसलिए मृत पूर्वजों का श्राद्ध जरूरी माना जाता है।
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यदि आप श्रद्धा पूर्वक पितरों का तर्पण करते हैं तो आपको अपने सभी पापों से मुक्ति मिलती है और पितृ दोषों से मुक्ति भी मिलती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: freepik.com
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