पितृपक्ष का पूरा समय पूर्वजों को समर्पित होता है और ऐसा माना जाता है कि इन 16 दिनों के समय में हमारे मृत पूर्वज धरती पर आते हैं। इन पूरे दिनों में मृत पितर भोजन और जल प्राप्ति की इच्छा लिए हुए धरती पर आते हैं और उनकी पूरे श्रद्धा भाव से पूजा करने और जल तर्पण करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है। लेकिन वहीं दूसरी और यह भी मान्यता है कि यदि किसी वजह से पितर नाराज़ हो जाते हैं तो यह घर में पितृ दोष का कारण बनता है और पितरों को शांति नहीं मिलती है।
पितरों के नाराज होने से यदि पितृ दोष हो जाता है तो घर में हमेशा अशांति बनी रहती है। ऐसे में किसी भी उपाय को अपनाकर पितृ दोष को मुक्त करना जरूरी होता है। आइए एस्ट्रोलॉजर और वास्तु स्पेशलिस्ट डॉ आरती दहिया जी से जानें कि घर में पितृ दोष होने पर क्या -क्या परेशानियां हो सकती हैं।
आरती दहिया जी बताती हैं कि पितृ दोष एक अत्यधिक कष्टदायक कुण्डली का दोष माना जाता है। मृत पूर्वजों के अतृप्त होने के कारण वंशजों को किसी प्रकार का कष्ट पहुंचाना ही इस दोष की तरफ़ संकेत करता है । इसे सरल भाषा में पितृ ऋण भी कहा जाता हैं। ज्योतिष के अनुसार पितृ दोष और पितृ ऋण से पीड़ित कुंडली, शापित कुंडली कही जाती है। हालांकि धारणा यह भी है कि व्यक्ति अपने कर्मों से भी पितृदोष का निर्माण कर लेता है और अपने आने वाली पीढ़ियों को सौग़ात के रूप में दे देता है। मान्यतानुसार अपने पूर्वजों का अपमान करने से भी पितृ ऋण बनता है, इस ऋण का दोष आपके बच्चों पर भी लगता है। इसलिए कुछ आसान उपायों से इस दोष को दूर करना ही हितकारी होता है।
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यदि व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष या पितृ ऋण होता है तो इसके प्रभाव से व्यक्ति की मान प्रतिष्ठा का अभाव होने लगता है। उस व्यक्ति को संतान की ओर से कष्ट मिलता है और संतान के स्वास्थ्य के खराब रहने या बुरी संगति में होने के योग बनते हैं। के कारण व्यक्ति को मान प्रतिष्ठा का अभाव रहता है।
पितृ दोष की वजह से विवाह में बाधा जैसी कई समस्याएं होती हैं। इस दोष के परिणामस्वरूप विवाह ना होना या विवाह होने में बहुत समस्या होना। वैवाहिक जीवन में कलह होना जैसी कई समस्याएं होना एक आम बात है। यदि विवाह में देरी हो रही है और पति -पत्नी के बीच लड़ाई झगड़े बढ़ रहे हैं तो आप पितृ दोष के निवारण हेतु उपाय करें।
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अमावस्या के दिन किसी निर्धन को भोजन कराएं। गरीबों को भोजन कराने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान जितना ज्यादा हो सके गरीबों को दान पुण्य करना और भोजन कराना चाहिए। मुख्य रूप से अमावस्या तिथि में गरीबों को भोजन कराना फलदायी होता है।
पितृ पक्ष के दौरान पीपल के वृक्ष की मुख्य रूप से देखभाल करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पीपल के वृक्ष में पितरों का वास होता है। इसलिए पितृ दोष से निवारण के लिए पीपल का वृक्ष लगवाएं और उसकी देखभाल करें।
पितृ पक्ष के दौरान उपर्युक्त उपायों को आजमाकर पितरों को प्रसन्न करने के साथ पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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