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does risk of extra marital affair increase between age 31 to 44 expert opinion

क्‍या वाकई 31 से 44 की उम्र में एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर का खतरा बढ़ जाता है? जानिए एक्‍सपर्ट की राय

क्या 31-44 की उम्र में एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर का खतरा सच में बढ़ जाता है? एक्सपर्ट लाइफ कोच Kavita Sachdev से  इस उम्र में इमोशनल खालीपन, मेंटल बदलाव और सोशल दबाव के पीछे छिपी सच्चाइयां जानिए। 
Editorial
Updated:- 2025-12-19, 21:19 IST

क्‍या सच में 31 से 44 की उम्र में एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर का खतरा बढ़ जाता है? यह बात बेवफाई को सही ठहराने का नहीं है, बल्कि इमोशनल, मेंटल और सोशल सच्‍चाइयों को समझने की कोशिश है, जिन पर अक्‍सर चुप्‍पी साध ली जाती है। 31 से 44 वर्ष की उम्र खासतौर पर 34 से 38 के बीच जीवन का एक ऐसा दौर होता है, जहां बाहर से सभी कुछ ठीक दिखता है, लेकिन भीतर कई सवाल, खालीपन और उलझनें जन्म लेने लगती हैं। इसी भीतर के संघर्ष में कई महिलाएं चुपचाप इमोशनल रिश्तों की ओर खिंच जाती हैं।

क्‍या आप जानती हैं कि इसके पीछे कुछ गहरे, अनकहे और अक्सर अनदेखे कारण होते हैं? इनके बारे में हमें Certified Life Coach & NLP Expert Kavita Sachdev बता रही हैं।

Emotional Neglect

इमोशनल उपेक्षा

शादी के कई साल बाद बहुत-सी महिलाओं को लगने लगता है कि वे दिखाई तो देती हैं, लेकिन महसूस नहीं की जातीं।
ना उन्हें ठीक से सुना जाता है, ना समझा जाता है।
वे 'सभी कुछ संभालने वाली' तो होती हैं, लेकिन 'समझी जाने वाली' नहीं।
धीरे-धीरे यह उपेक्षा मन में खालीपन भर देती है। यह इमोशनल उपेक्षा ही अक्सर बाहर किसी कंधे की तलाश की पहली सीढ़ी बनती है।

हार्मोनल बदलाव

इस उम्र में शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव सिर्फ फिजिकल ही नहीं, इमोशनल जरूरतों को भी प्रभावित करते हैं।
अंतरंगता, इमोशनल जुड़ाव और जुनून की चाह बढ़ती है।
अगर वैवाहिक रिश्ते में संवाद और निकटता पहले से कमजोर हो, तो यह चाह अधूरी रह जाती है और अधूरापन रास्ता तलाशता है।

Lost Identity

अपनी पहचान खो देना

मां, पत्नी, बहु, देखभाल करने वाली जैसे रोल धीरे-धीरे महिला की अपनी पहचान पर हावी हो जाते हैं।
उनकी इच्छाएं, सपने और जरूरतें प्राथमिकता की लिस्‍ट से बाहर हो जाती हैं।
इस भीड़ में वह खुद को खोने लगती है और बस इतना चाहती है कि कोई उसे फिर से देखे, सराहे, ताकि वह खुद को जिंदा महसूस कर सके।
ऐसे में जब कोई बाहर से उसे एक व्यक्ति के रूप में देखता है, उसकी बातों में दिलचस्पी दिखाता है या उसकी तारीफ करता है, तो वह ध्यान बहुत गहरा असर छोड़ जाता है। यह सिर्फ आकर्षण नहीं, बल्कि 'मैं अब भी मायने रखती हूं' का एहसास होता है।

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वैवाहिक नीरसता और रूटीन

जब रिश्ता सिर्फ बच्चों, बिलों, जिम्मेदारियों और दिनचर्या तक सीमित हो जाए, तो रोमांस और इमोशनल जुड़ाव धीरे-धीरे गायब होने लगता है।
रिश्ता चलता तो रहता है, लेकिन इसमें जीवंतता नहीं रहती।
ऐसे में कोई नया जुड़ाव, नया संवाद या नया एहसास भीतर जमी थकान को तोड़ने जैसा लगता है।

Marital Boredom

बाहर से मिलने वाला ध्यान

करियर में बढ़ता आत्मविश्वास और बाहर की दुनिया से मिलने वाली सराहना महिलाओं को यह अहसास कराती है कि वह और भी बहुत कुछ हो सकती हैं। जब घर का माहौल नीरस और रूटीन में फंसा होता है, तब बाहर से मिलने वाला थोड़ा सा भी सम्मान या अटेंशन एक ताजी हवा के झोंके जैसा लगता है। आकर्षण यहां कमजोरी से नहीं, बल्कि फिर से 'जिंदा' महसूस करने की चाहत से जन्म लेता है।

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क्‍या कहती हैं रिसर्च

2020 की एक YouGov रिसर्च के अनुसार, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर करने वाली महिलाओं में से 66 प्रतिशत ने माना कि उन्होंने इसलिए धोखा दिया क्योंकि उनके पति उनकी भावनात्मक जरूरतों को नहीं समझ रहे थे।

एक एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर डेटिंग ऐप Gleeden द्वारा की गई रिसर्च में यह बात सामने आई कि 77 प्रतिशत भारतीय महिलाएं इसलिए अफेयर करती हैं क्योंकि शादी से उन्हें बोरियत होने लगती है और वे घरेलू जिम्मेदारियों से ऊब जाती हैं। वहीं, 48 प्रतिशत महिलाएं शारीरिक जरूरतों के लिए अफेयर करती हैं, क्योंकि उन्हें पति से वैसी संतुष्टि नहीं रही होती है।

साल 2024 के एक बड़े ग्लोबल रिसर्च में 300 से ज्यादा अध्ययन शामिल थे, जिसमें ये बातें सामने आईं कि करीब 35 प्रतिशत पुरुषों और 33 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि उन्होंने कभी भावनात्मक या ऑनलाइन अफेयर किया है। वहीं, 25 प्रतिशत पुरुषों और 14 प्रतिशत महिलाओं ने फिजिकल अफेयर की बात मानी।

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हमें यह समझने की जरूरत है कि लोग अक्सर इसलिए नहीं भटकते कि वे अपने पार्टनर से प्यार नहीं करते, बल्कि इसलिए भटकते हैं क्योंकि दूसरों के लिए मजबूत बनते-बनते वह खुद के लिए कमजोर पड़ने लगते हैं। रिश्ते तब नहीं टूटते जब प्यार खत्म होता है, बल्कि तब टूटते हैं जब आपसी जुड़ाव खत्म होने लगता है। 31 से 44 की यह उम्र रिश्तों की परीक्षा का समय है।

यह आर्टिकल किसी पर सवाल उठाने के लिए नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि रिश्तों में बढ़ती इमोशनल दूरी को नजरअंदाज न किया जाए।

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Image Credit: Shutterstock.com

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