दीपावली में क्या है आकाशदीप का महत्व? जानें इसके पीछे की मान्यता

हिंदू धर्म में दीपावली के पर्व को खुशियों और रोशनी का त्योहार कहा गया है। इस त्योहार में लोग दीया जलाते हैं, लक्ष्मी पूजन करते हैं और एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियां मनाते हैं।

 
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दिवाली का पर्व खुशियों और जगह जगह रोशनी फैलाने का पर्व है। इस पर्व में लोग अपने घर खेत खलिहान और दुकानों में दीया जलाकर रौशनी फैलाते हैं। आज के समय में दीपावली के अवसर पर आकाश दीप जलाने की परंपरा मानों गुम सी हो गई है।

बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि पुराने समय में कार्तिक मास में विशेष कर दिवाली के दिन आकाशदीप जलाया जाता था। आकाशदीप जिसे आकाश कंदील भी कहा जाता है, इसे दिवाली के सजावटी सामानों का अहम हिस्सा माना गया है। इसे लोग अपने पितर देवता की याद, तो बहुत से लोग घर को सजाने के लिए जलाते हैं। बहुत से लोग इसे माता लक्ष्मी और गणेश को अपने घर में आमंत्रित करने के लिए जलाते हैं।

रामायण से जुड़ा है आकाश दीप जलाने की परंपरा

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शास्त्रों का मानें तो आकाश दीप जलाने की परंपरा रामायण काल से हैं। मान्यता है कि भगवान श्री राम जब लंका से रावण का वध कर लौटे थे तब अयोध्या के लोगों ने, भगवान राम के स्वागत में इस आकाशदीप को जलाए थे। लोग भगवान श्री राम को अयोध्या के दीपोत्सव को दूर तक दिखाने के लिए बांस का खूंटा बनाकर उसमें दीये की रोशनी किए थे। पुराने समय में बाजार से आकाशदीप या कंदील खरीदने के बजाए घर पर ही बांस के खूंटे से बनाया करते थे।

महाभारत में है उल्लेख

आज भी बनारस या वाराणसी में पितरों की स्मृति में आकाशदीप जलाने की परंपरा चली आ रही है। शास्त्र के अनुसार यह कहा गया है कि महाभारत में युद्ध के दौरान दिवंगत हुए लोगों की स्मृति में भीष्म पितामह ने कार्तिक के महीने में विशेष रूप से दीये जलाए थे, जिसके बाद से आकाश दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई और आज भी कई जगहों पर आकाश दीप जलाया जाता है।

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आकाशदीप या कंदील जलाने से मिलते हैं ये लाभ

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मान्यता है कि जो कोई भी कार्तिक साम में कंदील या आकाश दीप का दान करता है उसके जीवन में सुख, संपत्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। सदैव ही इन मनुष्यों के ऊपर पितर और देवी देवताओं की कृपा बनी रहती है। ऐसे मनुष्यों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सरलता से परम लोक को जाते हैं। आजकल लोग कंदील या आकाशदीप को आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी (रमा एकादशी) से लेकर कार्तिक मास पर रोजाना छत या बालकनी के मेन गेट पर जला कर रखते हैं।

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Image Credit: Freepik

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