Rama Ekadashi Vrat Katha: रमा एकादशी पर पढ़ें यह व्रत कथा, नष्ट हो जायेंगे सारे पाप कर्म

हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व माना जाता है। वहीं, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी रमा एकादशी कहलाती है। 

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Rama Ekadashi Vrat Katha: हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व माना जाता है। वहीं, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी रमा एकादशी कहलाती है। इस साल रमा एकादशी का व्रत 9 नवंबर, दिन गुरुवार को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स का कहना है कि इस दिन पूजा के साथ-साथ व्रत कथा भी पढ़ना जरूरी है। तभी इस व्रत का पूरा फल मिलता है।

रमा एकादशी 2023 व्रत कथा

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पौराणिक कथा के अनुसार, मुचुकंद नाम का एक प्रतापी राजा था जिसकी एक परम धर्मात्मा पुत्री थी चंद्रभागा। वहीं, एक और प्रतापी राजा थे जिनका नाम था चंद्रसेन जो धार्मिक कार्यों को पूर्ण श्रद्धा से करते थे। उनका एक बेटा भी था शोभन। शोभन धार्मिक कार्य करता था लेकिन उसकी एक कमजोरी थी कि वह भूखा नहीं रह सकता था और यही कारण था कि उसने कभी भी किसी पर्व या एकादशी (एकादशी में चावल क्यों नहीं खाते हैं) का व्रत नहीं रखा था।

एक बार दोनों प्रतापी राजा मिले और उन्होंने चंद्रभागा एवं शोभन का रिश्ता तय कर दिया। दोनों का विवाह हुआ। विवाह के बाद एक समय ऐसा आया जब कार्तिक के महीने में शोभन अपनी पत्नी के साथ उसके मायके रहने के लिए गया। अगले दिन रमा एकादशी का व्रत था जिसके बारे में चंद्रभागा ने उसे बताते हुए व्रत रखने के लिए कहा। तब शोभन घबरा गया और उसने भूखे न रह पाने की बात अपनी पत्नी को बताई।

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चंद्रभागा ने शिभन को बताया कि रमा एकादशी का व्रत उसके राज्य में सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि जीव-जन्तु भी रखते हैं। यह सुन शोभन ने भी व्रत रखने का निर्णय लिया और अपनी पत्नी एवं समस्त राज्य के साथ रमा एकादशी का व्रत रखा। चूंकि शोभन को भूखे रहने की आदत नहीं थी तो व्रत पारण करने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई लेकिन उसकी पत्नी चंद्रभागा ने अपना व्रत नहीं तोड़ा। चंद्रभागा ने अखंड निर्णय लिया।

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चंद्रभागा ने संकल्प लिया कि रमा एकादशी के दिन ही उसके पति की मृत्यु है तो रमा एकादशी के व्रत से ही वह भगवान विष्णु (भगवान विष्णु के मंत्र) और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करेगी और अपने पति शोभन को वापस प्राप्त करेगी। हुआ भी ऐसा ही। कुछ सालों बाद रमा एकादशी के अखंड व्रत से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी ने चंद्रभागा को दर्शन दिए। साथ ही, उन्होंने शोभन को नए जन्म के रूप में चंद्रभागा को पुनः लौटा दिया।

अगर आप भी इस साल रमा एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो इस लेख में दी गई जानकरी के माध्यम से रमा एकादशी की व्रत अवश्य पढ़ें और साथ ही जानें इसका महत्व। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: shutterstock

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