हिन्दू धर्म शास्त्रों में धनतेरस के पर्व को बहुत ही पावन पर्व माना जाता है। इस दिन से ही दिवाली के महोत्सव की शुरुआत होती है। हर साल धनतेरस पर अलग-अलग संयोग बनते हैं उनका महत्व भी व्यक्ति के जीवन में अलग होता है।
इस पर्व को भगवान धन्वन्तरि के अवतरण दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन धन्वन्तरि जी समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर निकले थे। हर साल धनतेरस में शुभ मुहूर्त बनते हैं और इस दिन खरीदारी का भी विशेष महत्व होता है।
इस साल भी धनतेरस पर ग्रहों का एक बहुत ही अच्छा और शुभ संयोग बन रहा है। यह दिन कई राशियों के लिए भी अलग तरह के शुभ संयोग लेकर आने वाला है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें इस साल धनतेरस कब मनाया जाएगा और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।
धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त (Dhanteras Shubh Muhurat)
इस साल शनि देव मार्गी होने जा रहे हैं। इससे इस दिन से ही कई राशियों के जीवन में शुभ और अशुभ बदलाव आने के योग हैं। इस साल धनतेरस पर ऐसा संयोग बना है कि लोगों को दो दिनों तक धन्वंतरी भगवान का आशीर्वाद मिलेगा।
- इस साल धनतेरस की शुरुआत 22 अक्टूबर, शनिवार को शाम 6 बजकर 3 मिनट से होगी।
- 22 अक्टूबर को ही कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि लग रही है जिसे धनतेरस कहा जाता है।
- कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि का समापन 23 अक्टूबर, शाम 6 बजकर 4 मिनट तक।
- इसलिए धनत्रयोदशी यानी धनतेरस 22 अक्टूबर की शाम से अगले दिन 23 अक्टूबर की शाम तक मनाई जा सकती है।
- लेकिन यदि उदया तिथि की मानें तो यह पर्व 23 अक्टूबर को ही मनाना शुभ होगा।
धनतेरस पर बन रहे हैं विशेष योग (Dhanteras Shubh Yog)
इस साल धनतेरस (धनतेरस के दिन करें ये उपाय)पर धन वृद्धि का योग बनेगा क्योंकि इसी दिन से शनि मार्गी हो रहे हैं। इससे धनतेरस कई राशियों के जीवन में धन समृद्धि लाने वाला होगा। इस दिन से कई राशियों के जीवन में आएंगे शुभ बदलाव आने के योग बनेंगे।
इस दिन दो शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग होंगे। ऐसा माना जाता है कि इन दोनों ही योगों की उपस्थिति में आप जो भी कार्य करते हैं वो आपको सफलता दिलाने में मदद करते हैं। इस दिन आप यदि सोच समझकर सही जगह निवेश करेंगे या फिर सही वस्तुओं की खरीदारी करेंगे तो आपको अवश्य ही लाभ मिलेगा।
धनतेरस का महत्व (Significance Of Dhanteras)
एक पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धनवंतरी जी को भगवान विष्णु के ही अवतार के रूप में भी पूजा जाता है।
ऐसी मान्यता है कि दुनिया में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए भगवान विष्णु ने धनवंतरी जी के रूप में अवतार लिया था। भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों में भी धनतेरस त्योहार का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन धन्वंतरि देव, लक्ष्मी जी और कुबेर देव की पूजा अर्चना का विधान है। साथ ही, इस दिन सोना, चांदी और बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि इसी दिन घर में नया झाड़ू भी लाना चाहिए।
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धनतेरस में कैसे करें पूजा (Dhanteras Puja Vidhi)
- धनतेरस के दिन सबसे पहले चौकी पर माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरी और कुबेर की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- इसके बाद दीपक और धूप जलाएं तथा फल और फूल अर्पित करें।
- आप जिन बर्तनों या गहनों की खरीदारीइस दिन कर रही हैं उसे पूजा स्थल पर जरूर रखें।
- लक्ष्मी जी के सूक्त स्त्रोत का पाठ करें और माता लक्ष्मी जी की आरती करें।
- घर के मंदिर में घी का दीपक जलाएं और मुख्य द्वार पर भी दिया प्रज्वलित करें।
इस प्रकार धनतेरस का पर्व पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और ऐसी मान्यता है कि इस दिन खरीदारी करने से कभी भी धन धान्य की कमी नहीं होती है।
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Image Credit: freepik.com, wallpapercave.com
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