भारतीय इतिहास में कई महाराजाओं के किस्से और कहानियां दर्ज हैं पर इतिहास में अपनी जगह बनाने वाली ऐसी महारानियां भी हैं जिन्होंने समाज की नहीं अपने दिल की सुनी और वही किया जो उन्हें सही लगा। गलत को गलत कहने से इन महारानियों को कोई डर नहीं था और अपने स्वाभिमान की रक्षा करना इन्हें आता था। ये सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए ही नहीं बल्कि अपने कामों के कारण भी चर्चित थीं। भारतीय इतिहास की ऐसी ही एक महारानी हैं महारानी गायत्री देवी जो जयपुर के सवाई मान सिंह बहादुर की तीसरी पत्नी थीं। 29 जुलाई को गायत्री देवी की पुण्यतिथि पर हम उनके बारे में कुछ बातें बताने जा रहे हैं।
कूचबिहार (पश्चिम बंगाल) के महाराजा की बेटी गायत्री बचपन से ही काफी तेज़ थीं। उन्हें अपने मन की बात सुनने की विरासत अपनी मां से मिली थी जिसने 1920-30 के दशक में भी लव मैरिज कर अपना घर बसाया था। सिमी ग्रेवाल को दिए अपने एक इंटरव्यू में गायत्री देवी ने बताया था कि आखिर उन्हें उनके दोस्त और उनकी मां आयशा क्यों बुलाते थे। दरअसल, उनकी मां ने एक किताब पढ़ी थी जिसकी नायिका का नाम आयशा था। उस समय एक हिंदू राजकुमारी के लिए ऐसा नाम रखना अपने आप में एक बड़ी बात थी। हालांकि, कुंडली की वजह से उनका नाम गायत्री पड़ गया, लेकिन उनके करीबी उन्हें हमेशा आयशा ही बुलाते रहे।
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जयपुर राजघराने की महारानी गायत्री देवी की जिंदगी बहुत ही अनोखी रही है और यही कारण है कि अब तक उन्हें याद किया जाता है।
जब गायत्री देवी 12 साल की थीं तब उनके घर 21 साल के सवाई मान सिंह II आए थे। 21 साल के जयपुर के राजा को देख गायत्री देवी को बहुत अच्छा लगा था। उन्हें पोलो खेलते हुए देखने, उनके साथ पार्टियां अटेंड करने और समय बिताने के बीच ही गायत्री को उनसे प्यार हो गया। गायत्री देवी ने अपनी मां को पहले ही ये फैसला बताया था, लेकिन उनकी मां इंदिरा को लगा कि ये गायत्री का बचपना है।
पर गायत्री अपने मन की सुनने वालों में से थी और उन्होंने एक ऐसे इंसान को अपना जीवनसाथी चुना जिसकी पहले ही दो बार शादी हो चुकी थी और उस वक्त उम्र में उनसे लगभग दुगना था। सवाई मान सिंह भी गायत्री के प्यार में पड़ गए।
अपने एक इंटरव्यू में गायत्री देवी ने बताया था कि जब वो 16 साल की थीं तब सवाई मान सिंह ने उन्हें शादी के लिए पूछा था और कहा था कि वो पोलो खेलते हैं, पहले से शादीशुदा हैं और वो गायत्री से शादी करना चाहते हैं। 21 साल की उम्र में गायत्री ने सभी के विरोध के बाद भी सवाई मान सिंह से शादी कर ली।
महाराजा सवाई मान सिंह ने मरुधर कंवर (प्रिंसेज ऑफ जोधपुर) से 1924 में शादी की थी, इसके बाद किशोर कंवर (प्रिंसेज ऑफ जोधपुर) से 1932 में शादी की थी और महारानी गायत्री देवी को 1940 में वो अपनी पत्नी बनाकर लाए थे। ये कोई नहीं जानता था कि गायत्री देवी महाराजा की पहली दो पत्नियों की तरह पर्दे में नहीं रहने वालीं।
जयपुर की महारानी जो पर्दा सिस्टम के खिलाफ थीं। वो महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल थीं। उन्होंने अपने पति से भी इस बारे में कहा था कि वो पर्दे में नहीं रहेंगी। वो शुरुआती दौर में कई इवेंट्स में सिर्फ इसलिए नहीं जाया करती थीं क्योंकि उन्हें सिर ढकना पड़ता।
गायत्री देवी ने अपने पति से वादा किया था कि अगर वो उन्हें एक गर्ल्स स्कूल खोलकर देंगे तो वो 10 सालों में पर्दा सिस्टम को हटा देंगी। इसके बाद महारानी गायत्री देवी स्कूल की स्थापना हुई और वहां पढ़ने वाली राजपूत लड़कियों को ये सिखाया गया कि पर्दा करना सही नहीं। अपने इंटरव्यू में गायत्री देवी ने कहा था कि आगे चलकर इन्हीं लड़कियों ने बहुत बड़े-बड़े काम किए हैं और पर्दा सिस्टम को खत्म करने की कोशिश की है।
उस दौर के चुनावी रिजल्ट के बारे में जब भी चर्चा होती है तब इंदिरा गांधी का नाम लिया जाता है, लेकिन मैं आपको बता दूं कि गायत्री देवी ने भी कुछ कम कमाल नहीं किया था। जयपुर लोकसभा सीट से 1962 में गायत्री देवी ने चुनाव लड़ा था और ये कांग्रेस पार्टी के विरुद्ध था। इस दौर में 2,46,516 में से 1,92,909 वोट गायत्री देवी को मिले थे और उस वक्त उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था क्योंकि उन्हें ऐसी मेजोरिटी में वोट मिले थे।
उनकी उपलब्धि को देखते हुए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने उनकी तारीफ भी की थी।
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महारानी गायत्री देवी इमर्जेंसी के समय जेल भी गई हैं। कांग्रेस पार्टी ने एक बिल पेश किया था जिसमें राज परिवारों से उनके खास अधिकार छीनने की बात की गई थी। उसके एक महीने बाद ही सवाई मान सिंह की मृत्यु हो गई थी और वो राजमाता बन गई थीं। सवाई मान सिंह के सबसे बड़े बेटे (पहली शादी से हुए बच्चे) भवानी सिंह को महाराजा घोषित कर दिया गया था।
1971 में जब जयपुर को प्रिंसली स्टेट की जगह आम राज्य घोषित किया गया तब राजमाता गायत्री देवी की जिंदगी काफी बदल चुकी थी। वो तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रही थीं। 1975 में इमर्जेंसी लगते ही उन्हें और जयपुर के महाराज भवानी सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया और 6 महीने जेल में रखा गया।
गायत्री देवी के लिए ये वक्त बहुत कठिन था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
इसके बाद भी वो जेल में अमानवीय स्थितियों के लिए लड़ती रहीं और राजस्थान से पर्दा सिस्टम हटाने की पुरजोर कोशिश करती रहीं। भले ही वो राजकुमारी, महारानी और राजमाता रही हों, लेकिन वो एक बेखौफ महिला थीं जिन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई थी। वो खूबसूरती, शालीनता और महिला सशक्तिकरण की मिसाल थीं।
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All Photo Credit: Pinterest/ Lappolo
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