अब बचपन में हुए यौन शोषण की भी करे सकेंगी आप शिकायत, केंद्र पास कर सकता है यह प्रस्ताव

केंद्र सरकार जल्द ही एक ऐसा प्रस्ताव लाने वाली है जिससे बचपन में हुए बाल शोषण की शिकायत केवल 25 साल की उम्र तक ही की जा सकेगी। 

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पिछले दिनों #मीटू के जरिए सामान्य से लेकर कई बड़ी-बड़ी हस्तियों तक ने अपने साथ हुए अतीत के हैरेसमेंट के मामलों का खुालसा किया था। जिसके कारण कई लोगों की नौकरी गई तो कई लोगों की काफी बदनामी हुई। #मीटू कैम्पेन की सबसे अच्छी बात थी कि इसे पूरी दुनिया के लोगों का सहयोग मिला और इसके तहत दुनिया के कोने-कोने से महिलाओं ने अपने शोषण की कहानी बयां की।

जितेंद्र तक पर लगे आरोप

#मीटू के तहत ही बॉलीवुड एक्टर जीतेंद्र पर उनकी कज़िन सिस्टर ने चालीस साल पहले किए गए यौन शोषण का आरोप लगाया था। जिसकी एफआईआऱ तक दर्ज हुई। उसके बाद जीतेंद्र ने इन आरोपों का झूठा बताया और कुछ दिनों के बाद मामला खत्म हो गया। जीतेंद्र की तरह ऐसे ही कई बचपन के मामले उठने लगे हैं जिनके बारे में शिकायत की जा रही है। इसी को देखते हुए जल्द ही केंद्र सरकार प्रस्ताव लाने वाली है कि बाल शोषण की शिकायत केवल 25 की उम्र तक ही की जा सकेगी।

बाल शोषण की शिकायत

केंद्र सरकार बाल यौन शोषण से जुड़े मामलों पर जल्द ही एक बड़ा फैसला ले सकती है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्रालय ने बचपन में हुए शोषण की शिकायत 25 की उम्र तक करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है। अगर केंद सरकार इस प्रस्ताव पर मुहर लगा देती है तो पीड़िता 25 की उम्र तक भी अपने साथ हुए बचपन के यौन शोषण की शिकायत कर सकेंगी।

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यह जानकारी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने दी जो इस मामले से जुड़े हुए हैं। डब्ल्यूसीडी चाहता है कि ऐसे यौन शोषण के पीड़ितों को बालिग होने के बाद सात साल का और वक्त मिले जिससे कि वे अपने साथ हुए अपराध के खिलाफ आवाज उठा सकें। अगर इस प्रस्ताव को हरी झंड़ी मिल जाती है तो शायद बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण की घटनाएं रुक सकती हैं।

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अभी क्या है प्रावधान?

अभी फिलहाल ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि बचपन की यौन शोषण की घटनाओं पर कोई सजा हो सकती है। अभी सीआरपीसी की धारा 468 के तहत ऐसे अपराध जिनकी सजा केवल जुर्माना है, उनकी शिकायत करने की समय सीमा छह महीने है, वहीं जिन अपराधों की सजा एक साल जेल तक है, उनकी शिकायत एक साल तक की जा सकती है। वहीं तीन साल तक की जेल की सजा वाले अपराधों की शिकायत तीन साल की समय सीमा के भीतर की जा सकती है। लेकिन बाल शोषण की घटनाओं पर केस मुश्किल से ही दर्ज हो पाता है। इस प्रस्ताव के बाद एक लिखित प्रावधान आ जाएगा जिससे मुज़रिमों को सालों बाद भी जेल में पहुंचाया जा सकेगा।

पिछले हफ्ते हुई थी बैठक

इस मुद्दे पर पिछले सप्ताह महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी की अध्यक्षता में पूरे मंत्रालय की समीक्षा बैठक हुई थी। अब देखना यह है कि क्या 25 की उम्र तक की सीमा हर किसी को रास आती है। क्योंकि कई घटनाओं के मामले तीस या चालीस बाद भी बाहर आते हैं।

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