चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में माता के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि जो भक्त इन नौ दिनों में श्रद्धापूर्वक माता का पूजन करता है उसे समस्त कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। यह तो हम सभी को पता है कि माता के 9 स्वरूप हैं और सबकी अलग महिमा है जिनका पूजन विशेष रूप से फलदायी होता है।
वैसे तो नवरात्रि साल में 4 बार आती है, लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि का काफी विशेष महत्व होता है। जब चैत्र नवरात्रि की बात आती है, तो ये चैत्र के महीने में होती है जिसे हिंदू पंचांग का पहला महीना भी कहा जाता है। इस साल चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से आरंभ हो रही है और इसका समापन 30 मार्च को होगा
ऐसे में सभी लोग हवन, पूजा और व्रत रखते हैं और मां दुर्गा को खुश करने की हर मुमकिन कोशिश करते हैं। मगर क्या आपको पता है कि हवन में अगर कुछ सामग्रियों को शामिल करना अच्छा माना जाता है। मान्यता है कि हवन के बिना नवरात्रि की पूजा संपन्न नहीं होती है। ऐसे में अगर आप चाहें तो हवन की लिस्ट में इन सामग्रियों को शामिल कर सकती हैं।
हवन के दौरान क्या-क्या चाहिए होता है?
पूजा करने के लिए सामग्री सब अपनी आस्था के अनुसार रखते हैं। मगर कुछ सामग्रियां ऐसी होती हैं तो पूजा के हवन के लिए जरूरी होती हैं। इसमें आम की लकड़ी, कपूर, लौंग, चावल, ब्राह्मी, मुलैठी की जड़, बहेड़ा का फल, बेल, नीम, पलाश का पौधा, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, लोबान, इलायची आदि जरूरी सामग्री चाहिए होती है, जिसका यूज पूजा हवन में होता है।
इसके अलावा आपके पंडित जी जिन चीजों के लिए कहें, उन्हें भी हवन में शामिल करना जरूरी होता है। (हवन में क्यों किया जाता है आम की लकड़ियों का इस्तेमाल)
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चैत्र नवरात्रि 2023 हवन की सामग्री (Chaitra Navratri 2023 Hawan Samagri List)
- हवन कुंड
- हवन सामग्री
- देसी घी
- समिधा (हवन के लिए पवित्र लकड़ी)
- आम या केले के पत्तेकपूर
- अगरबत्ती
- सूखा नारियल
- लाल कलावा
- रोली
- चंदन
- अक्षत (चावल)
- पान के पत्ते
- मिष्ठान
- 5 प्रकार के फल
- सुपारीगंगाजल
- चरणामृत
- गुग्गल
- लोबान
- शहद
- कपूर
- रुमाल के साइज का लाल कपड़ा
- फूलों की माला
ऐसे तैयार करें हवन
- पूजा के लिए सबसे पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहन लें।
- फिर पूजा घर की सफाई करें और माता रानी की फोटो भी साफ करें।
- अब हवन कुंड को अच्छे से धोकर साफ कर लें और फिर सुखा लें। इसके बाद माता की चौकी लगाएं।
- माता को धूप, दीप और मिष्ठान अर्पित करें। ध्यान रहे कि स्थान साफ-सुथरा और शांत होना चाहिए।
- इसके बाद हवन कुंड रखें और इसमें एक-एक करके लकड़ियां सजाएं। आप आम की लड़कियों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- लकड़ियों के बीच में कपूर और घी डालकर इसे जलाएं। दूसरी तरफ हवन सामग्री में थोड़ा-सा घी मिला लें।
- योग्य पंडित के सानिध्य में सही मंत्रों का उच्चारण करते हुए हवन कुंड में आहुति दें। जब आहुति पूरी हो जाए तो नारियल पर लाल कपड़ा लपेटकर इसे कलावा से बांधें।
- इस नारियल को हवन कुंड में मंत्रों के साथ अर्पित करें। फिर हवन कुंड में पूड़ी, खीर, पान और सुपारी चढ़ाएं।
- अब बची हुई हवन सामग्री उठाकर यज्ञ में अर्पित करते हुए इस्तेमाल करें। अपनी सामर्थ्य के मुताबिक हवन की थाली में दक्षिणा अर्पित करें।
- इसके बाद मां दुर्गा और मां महागौरी की आरती का पाठ करें।यज्ञ स्थल पर खड़े होकर हाथ जोड़ें और मां से प्रार्थना करें कि यदि कोई भूल हुई है तो उसे क्षमा करें और पूजा को स्वीकार करें।
हवन का महत्व
नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा की गई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि हवन के दौरान जलने वाली लकड़ी और हवन सामग्री से हवा में मौजूद हानिकारक पैथोजन नष्ट हो जाते हैं और मन को शांति मिलती है। बता दें कि इस दौरान पवित्र मंत्रों के उच्चारण के साथ हवन किया जाता है। (घर में एक चम्मच लौंग जलाने के क्या हैं फायदे)
मंत्रों के उच्चारण से पैदा होने वाली ध्वनि पूरे वातावरण में सकारात्मकता फैलाती है। साथ ही साथ यह हमारे चित्त को भी स्थिर करती है जिस कारण मन शांत एवं एकाग्र होता है।
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