चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल 2022, शनिवार से शुरू हो रही है। नवरात्रि में भक्त माता रानी का आशीर्वाद पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए नौ दिन का उपवास रखते हैं। कुछ भक्त नवरात्रि के पहले दिन और आखिरी दिन वाला व्रत भी रखते हैं। नवरात्रि में पूजा-पाठ और यज्ञ अनुष्ठान का काफी महत्व होता है।
नवरात्रि को लेकर मान्यता है कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा से माता रानी की पूजा अर्चना करता है देवी उसकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। नवरात्रि की पूजा में कलश स्थापना, आरती मंत्र, पूजा विधि और हवन का काफी ज्यादा महत्व है। वैदिक तरीके से किया गया हवन ही पूजा का संपूर्ण फल देता है। इसमें अगर किसी भी तरह की कोई कमी रह जाए तो पूजा अधूरी मानी जाती हैं।
हवन का महत्व
नवरात्रि के दौरान पवित्र मंत्रों के उच्चारण के साथ हवन किया जाता है। हवन के दौरान मंत्रों के उच्चारण से पैदा होने वाली ध्वनि पूरे वातावरण में सकारात्मकता फैलाती है। साथ ही चित्त को भी स्थिर करती है जिस कारण मन शांत एवं एकाग्र होता है। नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा की गई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि हवन के दौरान जलने वाली लकड़ी और हवन सामग्री से हवा में मौजूद हानिकारक पैथोजन नष्ट हो जाते हैं। ऋग्वेद में भी इस बात का जिक्र मिलता है कि प्राचीन काल में ऋषि हवन में जो आहुति दिया करते थे उससे वातावरण की शुद्धि होती थी। हवन के दौरान पैदा होने वाले धुएं से वायु जनित बैक्टीरिया काफी मात्रा में कम हो जाते हैं, जिस कारण हवा के जरिए फैलने वाले संक्रामक रोग काफी हद तक कम हो जाते हैं।
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यज्ञ में समिधा (आम की लकड़ी), हवन सामग्री, गुग्गुल, अश्वगंधा, कपूर, लौंग जैसे औषधीय गुणों वाले सामग्री का इस्तेमाल होता है। इन सामग्रियों के बिना यज्ञ अपूर्ण माना जाता है। जब हवन में हवन सामग्री से आहुति डाली जाती है तो इससे पैदा होने वाला धुंआ काफी लाभदायक होता है।
यज्ञ के प्रकार
मोटे तौर पर हवन दो प्रकार का होता है- वैदिक यज्ञ और तांत्रिक यज्ञ। वैदिक यज्ञ को ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ, देव यज्ञ, वैश्य यज्ञ और अतिथि यज्ञ में बांटा गया है। हर यज्ञ का अलग-अलग महत्व होता है।पंडित अमित मिश्रा के अनुसार, जानें नवरात्रि में हवन की सामग्री और सटीक विधि...
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नवरात्रि हवन की सामग्री
- हवन कुंड
- हवन सामग्री
- देसी घी
- समिधा (हवन के लिए पवित्र लकड़ी)
- कपूर
- धूप
- अगरबत्ती
- सूखा नारियल
- लाल कलावा
- रोली
- चंदन
- अक्षत (चावल)
- आम या केले के पत्ते
- पान के पत्ते
- मिष्ठान
- 5 प्रकार के फल
- गंगाजल
- चरणामृत
- गुग्गल
- लोबान
- शहद
- कपूर
- रुमाल के साइज का लाल कपड़ा
- सुपारी
- फूलों की माला
नवरात्रि हवन की विधि
- नवरात्रि की पूजा के लिए स्नान कर साफ कपड़े धारण करें।
- पूजा घर की सफाई करें और माता रानी की फोटो भी साफ करें।
- अब हवन कुंड को अच्छे से धोकर साफ कर लें और इसे सुखा लें। माता की चौकी लगाएं।
- माता को धूप, दीप और मिष्ठान अर्पित करें।
- इसके बाद हवन कुंड रखें और इसमें एक-एक करके लकड़ियां सजाएं।
- लकड़ियों के बीच में कपूर और घी डालकर इसे जलाएं। दूसरी तरफ हवन सामग्री में थोड़ा सा घी मिला लें।
- योग्य पंडित के सानिध्य में सही मंत्रों का उच्चारण करते हुए हवन कुंड में आहुति दें।
- जब आहुति पूरी हो जाए तो नारियल पर लाल कपड़ा लपेटकर इसे कलावा से बांधें।
- इस नारियल को हवन कुंड में मंत्रों के साथ अर्पित करें।
- इसके बाद हवन कुंड में पूड़ी, खीर, पान और सुपारी चढ़ाएं।
- अब बची हुई हवन सामग्री उठाकर यज्ञ में अर्पित करते हुए पूर्णाहुति दें।
- इसके बाद अपनी सामर्थ्य के मुताबिक हवन की थाली में दक्षिणा अर्पित करें।
- इसके पश्चात मां दुर्गा और मां महागौरी की आरती का पाठ करें।
- यज्ञ स्थल पर खड़े होकर हाथ जोड़ें और मां से प्रार्थना करें कि यदि कोई भूल हुई है तो उसे क्षमा करें और पूजा को स्वीकार करें।
नवरात्रि में इस विधि से यज्ञ कर आप माता रानी का आशीर्वाद पा सकते हैं। यदि यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें, साथ ही इसी तरह की अन्य जानकारी पाने के लिए जुड़े रहें HerZindagi के साथ।
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