Chaitra Navratri 2022 Details: चैत्र माह 19 मार्च 2022 से प्रारंभ हो चुका है। इसी महीने में चैत्र नवरात्रि और राम नवमी दोनों पड़ते हैं। हर साल की तरह इस बार भी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ ही नवरात्रि आरम्भ हो जाएगी। चैत्र नवरात्रि में घट स्थापना के साथ ही मां दुर्गा के नव दुर्गा स्वरूप की पूजा प्रारंभ हो जाएगी। पंडित रामनारायण मिश्रा के अनुसार, इस साल चैत्र नवरात्रि 02 अप्रैल शनिवार के दिन से शुरू होगी और 11 अप्रैल, सोमवार तक चलेगी। नवरात्रि के अंतिम दिन रामनवमी है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन प्रभु श्री राम का जन्म हुआ था।
नवरात्रि के नौ दिनों तक हर रोज मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर स्वरूप की पूजा का अलग-अलग महत्व और तरीका है। जानें किस तिथि के दिन मां के किस स्वरूप की पूजा की जाएगी।
नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि यानी कि पहले दिन 2 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 01 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक के बीच का समय कलश स्थापना के लिए शुभ है। वहीं कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 50 मिनट तक है। भक्त इस मुहूर्त में भी घट स्थापना कर सकते हैं।
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नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर गंगाजल मिले पानी से स्नान करें। साफ कपड़े पहनें और फिर मंदिर साफ करें। चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और इसपर मां की मूर्ति या चित्र लगाएं। अब साफ मिट्टी में जौ बोकर इस पर कलश स्थापित करें। इसके बाद मां का आह्वाहन करें फिर मंत्र और आरती का पाठ करें।
हर नवरात्रि पर मां अलग-अलग वाहन पर सवार होकर पधारती हैं। पंडित जी के अनुसार, इस बार मां अश्व यानी कि घोड़े पर सवार होकर आएंगी। देवी भागवत पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि नवरात्रि में घोड़े पर मां का आगमन देश में शासन और सत्ता के लिए शुभ संकेत नहीं है। ऐसे में नवरात्रि पूजन के दौरान मां से शांति और स्थायित्व की कामना जरूर करें।
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बता दें कि नवरात्रि साल में चार बार आती है। चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और साल में 2 बार गुप्त नवरात्रि। चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में सामान्य भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए नौ दिन के व्रत और अनुष्ठान करते हैं, वहीं गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक तंत्र विद्या सिद्ध करने के लिए नौ रातों तक महाविद्याओं की पूजा-अर्चना और अनुष्ठान करते हैं।
चैत्र नवरात्रि पर मां का दिल से स्वागत करें और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करें। आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें, साथ ही इसी तरह की पौराणिक मान्यताओं से जुड़ी अन्य जानकारी पाने के लिए जुड़े रहें HerZindagi के साथ।
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