होली का त्योहार आने में बस अब कुछ ही दिन बाकी हैं। रंगों का त्योहार भारत में खुशी और धूमधाम से मनाया जाता है। इस खास मौके पर देश के कई हिस्सों में भांग वाली ठंडाई पीने की खास परंपरा है। भांग को भारत में सरकारी ठेकों पर बेचा जाता है और यह कानूनी रूप से वैध है। भांग के अलावा, अगर कोई होली के दौरान गांजा यानी मारिजुआना और चरस यानी हशीश जैसे नशीले पदार्थों के साथ पकड़ा जाता है, तो नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) के तहत सख्त नियम बनाए गए हैं। NDPS अधिनियम 1985 के तहत, नशीले पदार्थों के इस्तेमाल, बिक्री और उनका व्यापार करने को लेकर नियंत्रण रखा जाता है। आज हम इस आर्टिकल में भारत में नशीले पदार्थों और भांग की कानूनी स्थिति और इनके सेवन या बिजनेस से जुड़े दंडों पर विस्तार से चर्चा करने वाले हैं।
NDPS अधिनियम, 1985
साल 1985 में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम भारत में लागू किया गया था, जो देशभर में नशीले पदार्थों के उत्पादन, बिक्री और सेवन को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया सख्त कानून है। इस अधिनियम के तहत, ड्रग्स को अलग-अलग कैटगिरी में रखा गया है और इनकी अवैध बिक्री और इस्तेमाल पर कड़ी सजा का प्रावधान है।
भांग, गांजा और चरस में क्या फर्क है?
- भांग और गांजा एक ही पौधे से तैयार किए जाते हैं। भांग नर पौधे की पत्तियों और बीजों से तैयार की जाती है।
- गांजा मादा पौधे के फूलों से तैयार किया जाता है और इसे सुखाकर बेचा जाता है।
- चरस कैनबिस पौधे से निकलने वाले एक राल से तैयार किया जाता है। इसे हैश या हशीश के नाम से भी जाना जाता है। इसे सुखाकर या गूंथकर छोटी टिकिया के रूप में बेचा जाता है।
भारत में भांग, गांजा और चरस के कानून
भांग और कानून
NDPS अधिनियम 1985 के तहत, भांग को सीधे तौर पर बैन नहीं किया गया है। हालांकि, भारतीय कानून में गांजा और चरस को अवैध माना जाता है। इसकी वजह से कुछ राज्यों में भांग को कंट्रोल करने का अधिकार मिलता है।
उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सरकार के लाइसेंस से भांग की दुकानें चलती हैं। वहीं, गुजरात में 2017 में भांग को वैध कर दिया गया था और यह राज्य अभी भी ड्राय स्टेट है। हालांकि, महाराष्ट्र में भांग के सेवन को गैरकानूनी माना जाता है। होली के त्योहार पर भांग का इस्तेमाल होना आम है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति भांग का सेवन करने के बाद शांति भंग करता है, तो पब्लिक नशा कानूनों के तहत उस पर कार्रवाई की जा सकती है।
गांजा और चरस पूरी तरह से बैन
NDPS अधिनियम के अनुसार, भारत में गांजा और चरस पूरी तरह प्रतिबंधित हैं, और इस पर कड़े कानून लागू किए गए हैं। केंद्र सरकार ने 2021 में इस अधिनियम में संशोधन के लिए लोकसभा में एक विधेयक पेश किया, जिसे मंजूरी भी मिल गई। इस कानून के तहत, नशीले पदार्थों की मात्रा के हिसाब से अलग-अलग दंड तय किए गए हैं।
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स्मॉल क्वांटिटी (Small Quantity)
नए नियमों के अनुसार, 100 ग्राम तक का गांजा या चरस छोटी मात्रा मानी जाती है। अगर किसी के पास इतनी मात्रा में ये नशीले पदार्थ पाए जाते हैं, तो उसे 1 साल तक की जेल या 10,000 रुपये तक का जुर्माना, या फिर दोनों सजा मिल सकती हैं।
इंटरमीडिएट क्वांटिटी(Intermediate Quantity)
नवीनतम संशोधनों के अनुसार, अगर गांजा 100 ग्राम से ज्यादा लेकिन 1 किलोग्राम से कम है या चरस 100 ग्राम से ज्यादा लेकिन 1 किलोग्राम से कम है, तो इसे मध्यवर्ती मात्रा माना जाएगा। इस सीमा में नशीला पदार्थ रखने पर 10 साल तक की जेल या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना, या फिर दोनों सजा हो सकती हैं।
कॉमर्शियल क्वांटिटी (Commercial Quantity)
अगर गांजा 20 किलो से ज्यादा या चरस 1 किलो से ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, तो इसे कॉमर्शियल क्वांटिटी माना जाएगा। ऐसे मामलों में सजा 10 से 20 साल तक की जेल हो सकती है, साथ ही 1 लाख से 2 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लग सकता है।
भांग की खेती
अगर बिना सरकारी अनुमति के भांग के पौधों की खेती की जाती है, तो इसके लिए 10 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
होली के दौरान भारत में भांग का सेवन करने की परंपरा ऐतिहासिक है। भांग को कानूनी दर्जा प्राप्त है, लेकिन गांजा-चरस के लिए NDPS अधिनियम के तहत सख्त नियम हैं। हालांकि, भारत में भांग के वैधीकरण पर बहस अभी भी जारी है।
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Image Credit - freepik, jagran
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