भांग एक ऐसा पौधा है, जो भारत में सदियों से चर्चा में रहा है। एक ओर भारत में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के तहत भांग की खेती और उपयोग को अवैध घोषित किया गया है। वहीं, इसके औषधीय, धार्मिक और औद्योगिक उपयोगों के कारण इसे काफी महत्व भी दिया जाता है। हालांकि, भारत में भांग की खेती और उपयोग को लेकर कानून काफी सख्त रहे हैं। फिर भी, कुछ राज्यों में इसकी खेती होती है। खासतौर पर उत्तर-पूर्वी राज्यों में इसका उत्पादन अधिक किया जाता है। तो आइए हम आपको बताते हैं कि भारत के किन-किन राज्यों में भांग की खेती होती है और इस पदार्थ का इस्तेमाल किन चीजों में किया जाता है।
किन राज्यों में होती है भांग की खेती?
- अरुणाचल प्रदेश: अरुणाचल प्रदेश में भांग की खेती होती है। इसे चिकित्सा और अन्य उपयोगों में इस्तेमाल किया जाता है।
- हिमाचल प्रदेश: देश में सबसे ज्यादा भांग की खेती अगर कहीं होती है, तो वह राज्य है- हिमाचल प्रदेश। यह विशेष रूप से किन्नौर, मंडी और कुल्लू जिलों में की जाती है। यहां भांग का उपयोग औषधीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
- उत्तराखंड: उत्तराखंड में भांग की खेती की जाती है। यहां भांग का उपयोग स्थानीय औषधीय चिकित्सा और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है।
- सिक्किम: सिक्किम की जलवायु भांग की खेती के लिए अनुकूल है। इस राज्य में भांग की खेती खासकर उसके पारंपरिक उपयोग के लिए की जाती है।
किन कामों में होता है भांग का उपयोग
औषधीय उपयोग
भांग की बीज, पत्तियां और पत्तियों के अर्क औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। ऐसे में, भांग का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में खूब होता है। इसका इस्तेमाल दर्द निवारण, मतली, और चिंता को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। यही नहीं, भांग का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी होता है। दरअसल, इसे विभिन्न औषधियों में मिलाया जाता है। इसके अलावा, भांग के बीज से प्राप्त तेल औषधीय गुणों से भरपूर होता है, जो त्वचा की देखभाल और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में काम आता है।
भांग का धार्मिक और सांस्कृतिक उपयोग
भारत में भांग का प्रयोग धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भी किया जाता है। हिंदू धर्म में भांग का उपयोग शिव जी की पूजा-अर्चना में किया जाता है।
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भांग का औद्योगिक उपयोग
भांग के रेशे का औद्योगिक वस्त्रों, कागज और बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बनाने में किया जाता है। दरअसल, भांग के रेशे मजबूत और टिकाऊ होते हैं। यही कारण है कि इसका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के वस्त्रों और निर्माण सामग्री में होता है।
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