भारत में अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं और शादी-ब्याह के लिए वह अपने-अपने रीति-रिवाजों को अपनाते हैं। वहीं जब रिश्ता टूटता है यानी तलाक होता है तो भी अलग-अलग प्रावधान हैं। हिंदू धर्म में शादी और तलाक, दोनों ही चीजें हिंदू मैरिज एक्ट के तहत आती हैं। हिंदू मैरिज एक्ट में तलाक की स्थिति में पत्नी ही नहीं, पतियों को भी एलिमनी या गुजाराभत्ता मांगने का अधिकार है। आमतौर पर तलाक की जब बात आती है तो पत्नियां ही एलिमनी की डिमांड करती हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि ज्यादातर मामलों में पत्नियां कमाऊ नहीं होती हैं, ऐसे में उन्हें गुजारे और खर्चे के लिए पैसे या संपत्ति में अधिकार मिलता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि एक नौकरी करने वाली पत्नी से बेरोजगार पति एलिमनी मांग सकता है या नहीं।
हिंदू मैरिज एक्ट के तहत कुछ परिस्थितियों में पति अपनी पत्नी से गुजाराभत्ता की मांग कर सकता है। लेकिन, इसे लेकर क्या कानून है इस बारे में यहां वकील से जानते हैं। नौकरी करने वाली पत्नी से बेरोजगार पति एलिमनी ले सकता है या नहीं, इस बारे में हमें दिल्ली हाई कोर्ट के वकील एडवोकेट मनीष कुमार शर्मा ने बताया है।
वकील के मुताबिक, पति अपनी पत्नी से गुजाराभत्ता मांग सकता है। हालांकि, ट्रेडिशनली एलिमनी और गुजाराभत्ता कानून केवल महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। लेकिन, समय के साथ कानूनों में बदलाव हुआ और अब पति भी पत्नी से गुजाराभत्ता मांग सकता है। आम भाषा में कहें तो अगर पत्नी आर्थिक तौर पर मजबूत है और पति अपना खर्चा नहीं उठा सकता है तो तलाक की स्थिति में वह पत्नी से एलिमनी या गुजाराभत्ता मांग सकता है। अगर पति काम बीमारी या विकलांगता की वजह से काम नहीं कर सकता है या वह बेरोजगार है और पत्नी नौकरी करती है तो उसे पति को गुजाराभत्ता देना पड़ सकता है।
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हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के तहत पति अपनी पत्नी से गुजाराभत्ता या एलिमनी मांग सकता है। किस
हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के तहत दो ऐसी धाराएं हैं जो पति को पत्नी से गुजाराभत्ता या एलिमनी मांगने का अधिकार देती हैं। आइए, इन धाराओं के बारे में यहां डिटेल से जानते हैं।
धारा 24 हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत मुकदमेबाजी के दौरान गुजारा भत्ता और मुकदमे के खर्चे का भी अधिकार मिलता है। इस धारा में तलाक या इसकी कार्यवाही के दौरान पति या पत्नी को गुजारा भत्ते का दावा करने की अनुमति मिलती है। वहीं, अगर पति की बात करें तो अगर वह कोर्ट में साबित कर देता है कि मुकदमे के दौरान उसके पास भरण-पोषण के लिए साधन नहीं हैं और पत्नी के पास उसकी देखभाल करने की आय और साधन हैं। ऐसी स्थिति में अदालत की तरफ से राहत मिल सकती है।
धारा 25 के तहत तलाक के फैसले के समय कोर्ट पति या पत्नी को परमानेंट एलिमनी देने का ऑर्डर दे सकता है। अगर पति कोर्ट में साबित कर देता है कि उसके पास साधनों की कमी है और वह जीवन बीताने के लिए अपना खर्च नहीं उठा सकता है तो वह पत्नी से हर महीने के गुजाराभत्ता देने की मांग कर सकता है या फिर एकमुश्त राशि ले सकता है।
कोर्ट अपना फैसला देने से पहले कई चीजों पर विचार करता है। आइए, यहां जानते हैं वह कौन-कौन सी चीजें होती हैं।
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