आखिर कितना समय लग जाता है तलाक के केस में? शादी और कानून से जुड़े जरूरी सवाल और उनके जवाब

शादी के बाद अगर तलाक की नौबत आ रही है, तो यकीनन आप पहले से ही बहुत परेशान हो चुके हैं। पर ऐसी स्थिति में पूरी तरह से तैयार होकर काम करना ही सही होता है। 

How to deal with questions related to marriage in court

हमारे देश में शादी-ब्याह करना आसान नहीं है। बहुत सारी तैयारियां और रिश्तेदारों के नखरे उठाने के बाद ही शादियां हो पाती हैं। पर इसके बाद अगर गलती से भी कोर्ट-कचहरी की नौबत आ जाए तब तो और भी ज्यादा मुसीबत होती है। एक तरह से देखा जाए तो हमारे देश में कोर्ट के चक्कर काटने से सभी को परेशानी होती है। अधिकतर लोग यह समझते हैं कि कोर्ट में जाने का मतलब है कि उनका काम जल्दी हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है। कोर्ट केस सालों-साल चल सकते हैं। अधिकतर लोग कम जानकारी के कारण परेशान होते हैं, लेकिन मैट्रिमोनियल केस में कई ऐसे सवाल हैं जो लगभग हर मामले में सामने आते हैं।

हमने सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट जूही अरोड़ा से इसे लेकर बात की। हमने उनसे कुछ कॉमन सवाल पूछे जो असल में लोगों को परेशान करते हैं और मैट्रिमोनियल केस में मायने रखते हैं। एडवोकेट जूही लगभग दो दशकों से लॉ की फील्ड से जुड़ी हैं और खुद की फर्म भी चलाती हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में भी वो प्रैक्टिस करती हैं।

जूही के हिसाब से कुछ ऐसे सवाल हैं जो उनके सामने आते रहते हैं और किसी भी कोर्ट केस में वैलिड हो सकते हैं। वो सवाल हैं...

1. मेरे केस में कितना समय लग सकता है?

जवाब: इसका कोई एक जवाब नहीं होता है। आपसी सहमति में अगर तलाक फाइल किया जा रहा है, तो 6 महीने तक का समय लग सकता है, लेकिन अगर तलाक किसी एक पार्टी को चाहिए या घरेलू हिंसा जैसा कोई मामला शामिल है, तो तलाक को एक साल या कई साल भी लग सकते हैं। यह निर्भर करता है कि पति-पत्नी का मामला क्या है और किस तरह के सबूत पेश किए जा रहे हैं।

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2. स्त्री धन का क्या होगा?

जवाब: जैसा कि नाम है, इसका पूरा हक लड़की का ही होता है। शादी के समय मिले गहने, कैश, गिफ्ट आदि पर लड़की अपना हक जता सकती है।

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3. ससुराल वालों के खिलाफ प्रताड़ना का केस किस आधार पर नहीं लगता है?

जवाब: हर मामला अलग होता है और केस भी अलग। प्रताड़ना का केस दाखिल करने से पहले आपको यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि यह सही है या नहीं।

4. कोर्ट मेंटेनेंस कैसे कैलकुलेट करता है?

जवाब: मेंटेनेंस डिसाइड करने का तरीका यही है कि कोर्ट दोनों पक्षों को एफिडेविट फाइल करने को कहता है। इस एफिडेविट में उनकी प्रॉपर्टी, स्थाई और अस्थाई कमाई, शेयर और अन्य तरह के एसेट्स जैसे जेवर आदि की जानकारी होती है। मेंटेनेंस तय करते समय दोनों पक्षों की इकोनॉमिक स्थिति को देखा जाता है। इसके बाद ही यह तय किया जाता है कि मेंटेनेंस कितनी होगी और कितने समय में मिलेगी। ऐसा भी हो सकता है कि किसी केस में मेंटेनेंस की जरूरत ही ना पड़े।

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5. क्या पति या पत्नी का मजाक उड़ाने में भी केस हो सकता है?

जवाब: ऐसे मामले सामने आए हैं। किसी की गरिमा को ठेस पहुंचाने के खिलाफ केस किया जा सकता है, लेकिन तलाक कब मिलेगा और कैसे मिलेगा यह कोर्ट ही तय करता है।

6. अगर पैसे नहीं हैं, तो कोर्ट में केस कैसे लड़ा जाए?

जवाब: हमारी कानूनी व्यवस्था में लीगल सर्विसेज का प्रावधान है। यह सुविधा सभी कोर्ट्स में रहती है। चाहे वो डिस्ट्रिक्ट कोर्ट हो, हाई कोर्ट हो, फैमिली कोर्ट हो, कंज्यूमर कोर्ट हो या सुप्रीम कोर्ट। आप वहां जाकर अपना केस बताएं और आपको कानूनी सहायता प्रदान की जाएगी।

अगर आप इसके अलावा कोई और सवाल पूछना चाहें, तो हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर भेजें। हम अपनी स्टोरीज के जरिए इन सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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