डिजिटल युग में ऑनलाइन पेमेंट और ट्रांजेक्शन के लिए बैंक में अकाउंट होना जरूरी है। जब भी बैंकिंग की बात आती है, तब साथ ही दोनों तरह के अकाउंट्स यानी सेविंग्स और करंट अकाउंट का जिक्र आ जाता है। करंट अकाउंट व्यवसायियों, कंपनियों और फर्म्स के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे वह आसानी से पैसे का लेन-देन कर सकें। वहीं, सेविंग्स अकाउंट मूल रूप से बचट और धन को सुरक्षित रखने के लिए खोला जाता है। दोनों ही बैंक अकाउंट्स को मैनेज करने के लिए अलग-अलग नियम तय किए गए हैं।
हाउसवाइफ से लेकर छोटी-मोटी कमाई करने वाले ज्यादातर लोग सेविंग्स अकाउंट ही खुलवाते हैं। लेकिन, सेविंग्स अकाउंट खुलवाते समय कुछ बैंक जीरो मिनिमम बैलेंस और कुछ मिनिमम बैलेंस का जिक्र करते हैं। ऐसे में क्या आप जानती हैं कि यह मिनिमम बैलेंस क्या होता है और इसे अकाउंट में न रखने पर क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं। अगर नहीं, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। आइए, यहां जानते हैं क्या बैंक मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर जुर्माना वसूल सकता है और इससे जुड़े क्या-क्या नियम हैं।
क्या मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर बैंक जुर्माना वसूलता है?
बैंक मिनिमम बैलेंस पर जुर्माना वसूल सकता है या नहीं, इससे पहले जान लेते हैं कि यह होता क्या है। मिनिमम बैलेंस का मतलब है कि आपके बैंक अकाउंट में हर समय एक निश्चित राशि होनी चाहिए। यह निश्चित राशि हर बैंक की अलग-अलग हो सकती है। सरकारी बैंक में यह राशि 1 हजार से लेकर 5 हजार हो सकती है। वहीं, प्राइवेट में यह 10 हजार से ज्यादा भी हो सकती है। अब सवाल उठता है कि क्या मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर बैंक जुर्माना वसूल सकता है या नहीं।
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सेविंग्स अकाउंट में मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर बैंक जुर्माना वसूल सकता है। हालांकि, हर बैंक की मिनिमम लिमिट अलग-अलग लिमिट होती है। यह जुर्माना हर महीने या हर क्वार्टर में लग सकता है।
मिनिमम बैलेंस रखना क्यों है जरूरी?
हर बैंक अपने कस्टमर यानी ग्राहकों को कई तरह की सेवाएं देता है, इसके लिए उसे पैसे खर्च करने होते हैं। अब यह पैसे बैंक को मिनिमम बैलेंस से मिलते हैं, जिसकी मदद से वह ग्राहक को सुविधाएं दे पाता है।
मिनिमम बैलेंस नहीं रखने के नुकसान क्या हैं?
मिनिमम बैलेंस नहीं रखने से ग्राहक को जुर्माना तो लगता ही है, साथ ही बैंक की फ्री सुविधाओं का एक्सेस भी खत्म हो सकता है। जी हां, कई बार बैंक फ्री ATM ट्रांजेक्शन और फ्री नेट बैंकिंग की सुविधा देते हैं, वह मिनिमम बैलेंस नहीं रखने की वजह से बंद की जा सकती है।
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वहीं, अगर आप मिनिमम बैलेंस नहीं रखने की वजह से जुर्माना देते हैं, तो इसका असर आपके क्रेडिट स्कोर पर भी पड़ सकता है। क्रेडिट स्कोर खराब होने की स्थिति में बैंक या फाइनेंस कंपनियां लोन के साथ क्रेडिट कार्ड भी नहीं देती हैं।
इतना ही नहीं, अगर आप लगातार मिनिमम बैलेंस अकाउंट में नहीं रखते हैं तो बैंक आपका अकाउंट बंद भी कर सकता है।
किस बैंक में है कितनी लिमिट?
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI): देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक यानी स्टेट बैंक में मिनिमम बैलेंस 3 हजार रुपये से 5 हजार रुपये है। हालांकि, यह मिनिमम बैलेंस बड़े शहरों के लिए है, छोटे शहरों में यह राशि घटकर 3 हजार से 2 हजार तक है। वहीं गांव में मिनिमम बैलेंस 1 हजार भी है।
- बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB): इस बैंक में मिनिमम बैलेंस 2 हजार रुपए है। हालांकि, अगर आप जीरो बैलेंस अकाउंट ओपन कराती हैं तो आपको मिनिमम बैलेंस मेंटेन करने की जरूरत नहीं है।
- HDFC: यह एक प्राइवेट बैंक है, ऐसे में इसका मिनिमम बैलेंस अमाउंट करीब 10 हजार रुपये है। यह मिनिमम बैलेंस अमाउंट बड़े शहरों के लिए है, वहीं सेमी अर्बन ब्रांच में यह लिमिट ढाई हजार रुपये है।
हर बैंक की मिनिमम बैलेंस लिमिट अलग होती है। ऐसे में जब भी बैंक में अकाउंट ओपन कराने जाएं, तो मिनिमम अमाउंट को लेकर जरूर जानकारी लें।
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Image Credit: Freepik
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