केंद्रीय बजट 2025 से मिडिल क्लास को बहुत-सी उम्मीदें हैं। जैसे-जैसे बजट की तारीख पास आती जा रही है, वैसे-वैसे लोगों में इसे लेकर उत्सुकता बढ़ रही है। हर साल भारत का केंद्रीय बजट 1 फरवरी को पेश किया जाता है, जिसका सीधा असर देश की आम जनता की जेब पर पड़ता है। इस साल केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आठवीं बार संसद में बजट पेश करने जा रही है। लेकिन, आज हम यहां केंद्रीय बजट 2025 को लेकर नहीं, बल्कि एक ऐसे दिलचस्प फैक्ट के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही कोई जानता होगा।
आजाद भारत का पहला बजट साल 1947 में पेश किया गया था। ऐसे तो यह अंतरिम बजट था, लेकिन इतिहास में आजाद भारत के पहले बजट के रूप में इसे दर्ज किया गया है। आजाद भारत का पहला बजट आरके शनमुखम शेट्टी ने पेश किया था। आप सोच रहे होंगे कि यहां हम आजाद भारत का क्यों बार-बार जिक्र कर रहे हैं। तो आपकी कंफ्यूजन को दूर करते हुए बता दें कि ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत भी भारत का बजट पेश किया गया था। ब्रिटिश सरकार के शासन में भारत के बजट का मूल उद्देश्य क्वीन के कोष को बढ़ाना था। वहीं, अगर इतिहास के पन्नों को पलटा जाए तो देश का पहला बजट साल 1860 में ब्रिटिश शासन के फाइनेंस मिनिस्टर जेम्स विल्सन ने पेश किया था।
भारत का पहला बजट कब और किसने पेश किया था, इस बारे में तो आपको पता लग गया है। लेकिन, क्या आप जानती हैं दुनिया में किस देश ने सबसे पहले अपना बजट पेश किया था और इसका इतिहास क्या है। अगर इस सवाल के साथ ही आपके मन में अमेरिका या फ्रांस का नाम आ रहा है, तो आप गलत सोच रही हैं। आइए, यहां जानते हैं किस देश ने अपना बजट सबसे पहले पेश किया था और इसका क्या इतिहास है।
दुनिया में सबसे पहले बजट पेश करने वाला देश इंग्लैंड ही था। पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारी के मुताबिक, साल 1760 में पहली बार बजट पेश किया गया था। इसके बाद अन्य देशों ने वित्तीय नीतियों के लिए बजट पेश करना शुरू किया था। रिपोर्ट्स की मानें तो इंग्लैंड के बाद फ्रांस ने अपना पहला बजट साल 1817 में पेश किया था और वहीं, अमेरिका ने केंद्रीय बजट की शुरुआत 1921 से की थी।
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इंग्लैंड में पहली बार आर्थिक नीतियों के लिए बजट पेश करने के करीब 100 साल के बाद भारत में पहली बार बजट पेश किया गया था। ऐसा माना जाता है कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ 1857 में विद्रोह के बाद पहली बार भारत में बजट पेश करने की कवायद शुरू हुई थी। इसके लिए इंग्लैंड के बड़े अर्थशास्त्री यानी जेम्स विल्सन को भारत बुलाया गया था और उन्होंने फिर अपनी रिसर्च और तैयारी के बाद 1860 में पहली बार देश का केंद्रीय बजट ब्रिटिश क्राउन के सामने पेश किया था। तब से लेकर 1955 तक देश का बजट केवल अंग्रेजी में ही पेश किया जाता था।
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दरअसल, ब्रिटिश सरकार की भाषा अंग्रेजी थी और वह अपने हुक्मरानों के सामने अंग्रेजी में ही इसे पेश करते थे। जिसका सीधा यह भी मतलब होता था कि केंद्रीय बजट का आम जन से कोई लेना-देना नहीं था। देश आजाद होने के बाद सरकार ने 1955 में बजट को इंग्लिश और हिंदी दोनों में पेश करने का फैसला लिया था।
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Image Credit: Herzindagi
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