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Bombay High Court on single mother

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, सिंगल मदर की कास्ट एडॉप्ट कर सकती है संतान

बच्चे पर जितना अधिकार पिता का होता है, उतना ही अधिकार मां का भी होता है, ऐसे में सिंगल मदर्स के हक में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया यह फैसला।
Editorial
Updated:- 2022-03-28, 19:08 IST

25 मार्च 2022 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सिंगल मदर्स के लिए बेहद अहम फैसला सुनाया। बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए धारावी डिप्टी कलेक्टर को दो हफ्ते के अंदर कास्ट सर्टिफिकेशन तैयार करने को कहा, जिसमें जज ने कहा कि अगर कोई महिला सिंगल मदर है, तो ऐसे में उसका बच्चा उसकी कास्ट एडॉप्ट कर सकता है।

आज के आर्टिकल में हम आपको हाई कोर्ट के इस फैसले के बारे में बताएंगे, जिसमें सिंगल मदर की कास्ट को लेकर फैसला सुनाया गया है। तो देर किस बात की, आइए जानते हैं हाई कोर्ट के डिसीजन के बारे में-

क्या है पूरा मामला-

Bombay HC Judgement Says Children Solely Raised By Single Mother Can Adopt Her Caste In Hindi

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में यह फैसला सुनाया कि अगर कोई माता-पिता अंतरजातीय विवाह करते हैं और अगर बच्चे की जिम्मेदारी केवल मा द्वारा निभाई जाती है। तो ऐसी सूरत में बच्चा मां की कास्ट को अडॉप्ट कर सकता है।

बदलाव का यह फैसला जस्टिस सुनील शुकरे और गोविंद सनाप की बेंच द्वारा दिया गया है। बता दें कि कस्तूरी खांडेकर नाम के एक लड़की ने हाईकोर्ट में यह क्लेम किया कि उसे उसके पिता की जाति नहीं बल्कि मां की जाति चाहिए।

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कस्तूरी खांडेकर ने बताई यह कहानी-

Bombay High Court decision on single mother

हाईकोर्ट को कस्तूरी ने बताया कि उसकी मां और उसके पिता ने साल 1993 में शादी की थी। शादी से पहले दोनों अलग-अलग जाति के थे, ऐसे में यह एक अंतरजातीय विवाह था। हालांकि, शादी के कुछ दिनों बाद ही कस्तूरी के माता-पिता ने आपस में चल रहे विवादों के चलते आपस में तलाक ले लिया।

तलाक के बाद केवल मां ने ही की परवरिश-

Children Raised By Single Mothers Can Adopt Her Caste

मामले पर कस्तूरी का यह कहना है कि जब उसके माता-पिता अलग हुए, तब कस्तूरी की उम्र केवल 7 साल की थी। तलाक के बाद कस्तूरी का पालन-पोषण पूरी तरह से उसकी मां द्वारा ही किया गया। हाईकोर्ट ने इस बात को नोटिस करते हुए कहा कि ‘ तलाक के बाद पूरी कस्तूरी की पूरी जिम्मेदारी केवल उसकी मां द्वारा ही उठाई गई। बता दें कि कोर्ट ने जांच में यह भी पाया कि कस्तूरी के पिता ने कभी भी अपने दोनों बच्चों की देखभाल में कोई भी योगदान नहीं दिया। ऐसे में बच्चों की जाति पर उसका ही अधिकार होना चाहिए, जिसने उनकी देखभाल की है।

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मां की जाति एडॉप्ट कर सकती है संतान-

कस्तूरी की सारी दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि कस्तूरी अपने मां की जाति एडॉप्ट कर सकती है। बता दें कि कस्तूरी की मां शादी से पहले महर जाति से ताल्लुक रखती थीं, वहीं उसके पिता किसी अन्य जाति के थे। ऐसे में कोर्ट ने 2 हफ्ते के अंदर कस्तूरी का कास्ट सर्टीफिकेट तैयार करने को कहा है।

तो ये थी बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले से जुड़ी जानकारियां, आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

Image Credit- wikipedia.com and freepik

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