अपने किरदारों को जीवंत कर देने वाले करिश्माई एक्टर इरफान खान का फिल्मी सफर कैसा रहा, जानिए

अद्भुत अभिनय क्षमता से दर्शकों का दिल जीतने वाले चर्चित एक्टर रहे इरफान खान का फिल्मी सफर कैसा रहा, जानिए

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ऐसे कलाकार बहुत कम होते हैं, जो अपनी अद्भुत अभिनय क्षमता के बल पर फिल्में देखे जाने के लंबे वक्त बाद भी अपनी अदाकारी के लिए याद रह जाते हैं। ऐसे ही महान कलाकारों में शुमार किए जाते थे इरफान खान, जिन्होंने भले ही फिल्मों में कन्वेंशनल हीरो वाले ज्यादा किरदार बहुत ज्यादा ना निभाए हों, लेकिन दर्शकों से उनका नाता बहुत गहरा था। इरफान ने अपनी फिल्में में बहुत अलग तरह के किरदार निभाए और सभी किरदारों में वे अलग ही इंसान के तौर पर नजर आए। कल उनकी तबियत अचानक खराब हो गई और इसके बाद उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया और आज ये खबर आई कि वे हमें छोड़कर जा चुके हैं। इरफान खान का जाना हर भारतीय के लिए एक बड़ा सदमा है। इरफान अपनी अभिनय क्षमता के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उनका जाना भारतीय सिनेमा जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है, जिसे कभी भी भरा नहीं जा सकता। इरफान खान एक ऐसे स्टार थे, जिनके नाम पर फिल्में हिट हो जाती थीं। इरफान जिस शिद्दत से अपने किरदारों को निभाते थे, उसका शब्दों में वर्णन करना संभव नहीं है। टीवी, बॉलीवुड और हॉलीवुड, तीनों ही जगह उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता से अलग छाप छोड़ी। उनका ये सफर कैसा रहा, आइए जानते हैं-

जयपुर में पैदा हुए थे इरफान

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साहबजादे इरफान अली खान को इरफान के नाम से जाना जाता था। उनका जन्म राजस्थान की राजधानी जयपुर में हुआ था। इरफान की मां बेगम खान शाही घराने से ताल्लुक रखती थीं। शायद इसीलिए इरफान ने कभी फिल्मों में आने के बारे में नहीं सोचा था। वह क्रिकेटर बनने का सपना देखते थे, हालांकि उनके पेरेंट्स की क्रिकेट में दिलचस्पी नहीं थी।

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एक्टिंग के लिए था जुनून

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इरफान खान ने अपनी एमए की डिग्री लेते हुए नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में पढ़ाई के लिए एक स्कॉलरशिप हासिल की थी। ड्रेमेटिक आर्ट्स में उन्होंने डिप्लोमा हासिल किया था। इरफान ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, 'पहले मैंने क्रिकेट को अपना करियर बनाना चाहा, इसके बाद मैंने बिजनेस में हाथ आजमाया। लेकिन मैं बहुत जल्दी बोर हो गया। इसके बाद मैं ड्रामा स्कूल गया। किसी ने नहीं सोचा था कि मैं एक्टर बन सकता हूं। मैं बहुत शर्मीला था। लेकिन मुझमें एक्टर बनने का जुनून था। मुझे लगता था कि अगर मुझे एनएसडी (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) में एडमिशन ना मिला तो मैं मर जाऊंगा।' एनएसडी में इरफान ने अभिनय की बारीकियां सीखीं और इसकी यादें हमेशा उनके साथ रहीं। उन्होंने कहा था, 'नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में मैंने परफॉर्म करना सीखा, डायलॉग डिलीवर करना सीखा और अलग तरह के किरदारों के अनुसार बॉडी लैंग्वेज को कैरी करना सीखा। लेकिन एक बात हमेशा मेरे जेहन में रहती थी और वह ये कि कलाकार खामोशी से किस तरह से अपनी प्रांसगिकता बरकरार रखता है, बिना कोई भी डायलॉग बोले। फिल्मों में यह चीज बहुत मायने रखती है। यह छोटा सा एक्सप्रेशन है, लेकिन इसका असर गहरा होता है।' इरफान की सभी फिल्मों में उनकी यह खूबी नजर आती है। वह बहुत कम शब्दों में भी अपना संदेश लोगों तक पहुंचाने में कामयाब रहे।

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सलाम बॉम्बे से हुई करियर की शुरुआत

इरफान ने फिल्मों में काम करने से पहले काफी संघर्ष किया। ट्यूशन पढ़ाकर और एसी रिपेयर करके वह अपना गुजारा किया करते थे। कहा जाता है कि जिन घरों में वह एसी ठीक करने गए थे, उनमें से एक राजेश खन्ना का भी घर था। इसके बाद उन्होंने टीवी सीरियल्स का रुख किया और भारत एक खोज, सारा जहां हमारा, चाणक्य, लाल घाट पर नीले घोड़े जैसे कई शोज में काम किया। इरफान की पहली फिल्म 'सलाम बॉम्बे' (1988) काफी ज्यादा चर्चित हुई थी। तब इरफान एनएसडी में अपने फाइनल इयर में थे।

'द वॉरियर' से मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान

इरफान की बहुत सी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर औसत साबित हुईं। लेकिन लंदन में रहने वाले डायरेक्टर आसिफ कपाड़िया के साथ काम करने के बाद चीजें बदल गईं। उनकी फिल्म 'The Warrior' में इरफान ने लीड रोल निभाया था। इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में यह फिल्म जब दिखाई गई तो कुछ ही समय में इरफान एक इंटरनेशनल फेम वाले एक्टर बन गए। इरफान ने साल 2005 में बॉलीवुड की फिल्म 'रोग' में काम किया। टीवी से लेकर हिंदी सिनेमा और वेस्टर्न सिनेमा, इरफान ने हर जगह अपनी मौजूदगी दर्ज कराई और सही मायने में वह एक सुपरस्टार बने।

'हासिल' ने दिलाई बॉलीवुड में लोकप्रियता

इरफान ने बहुत सी फिल्मों में नेगेटिव रोल किए। इनमें 'घात', 'Aan: Men at Work' और हासिल जैसी फिल्में शामिल हैं। खासतौर पर 'हासिल' फिल्म में उनका किरदार काफी चर्चित रहा था। इस फिल्म में उनका किरदार इतना सशक्त था कि उसके आगे अन्य कलाकार फीके नजर आए। जिस साल हासिल रिलीज हुई, उसी साल वह विशाल भारद्वाज की फिल्म 'मकबूल' में मुंबई अंडरवर्ल्ड के 'मैकबेथ' के तौर पर नजर आए। 'मकबूल' फिल्म में उन्होंने पंकज कपूर, नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ काम करते हुए अपने जबरदस्त एक्सप्रेशन्स से दर्शकों का दिल जीत लिया। 'हासिल' और 'मकबूल' जैसी फिल्मों ने उन्हें बॉलीवुड में अलग पहचान दिलाई और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

'द नेमसेक' से हुए अमेरिका में मशहूर

इरफान की सबसे बड़ी खूबी ये थी कि वह हर किरदार में इस तरह से रच-बस जाते थे कि उन्हें उससे अलग करके देखना संभव नहीं हो पाता था। जब उन्होंने इंग्लिश फिल्म 'The Namesake'में काम किया तो अमेरिका में रहने वाले अप्रवासी बंगाली प्रोफेसर का किरदार निभाया। इस फिल्म में इरफान की भूमिका ऐसी थी, कि अमेरिकी फिल्म क्रिटिक्स भी उनकी तारीफ करने को मजबूर हो गए थे।

'पान सिंह तोमर' में निभाई यादगार भूमिका

अक्सर देखा जाता है कि जब प्रतिभाओं को उचित सम्मान नहीं मिल पाता, जिसके के हकदार होते हैं और जब वे लगातार मुश्किलों से जूझते हैं तो वे विद्रोही हो जाते हैं। इरफान खान ने तिग्मांशु धूलिया के निर्देशन वाली 'पान सिंह तोमर' के जरिए ऐसे ही एक भारतीय एथलीट की लाइफ स्टोरी को सिल्वर स्क्रीन पर दिखाया और दर्शकों के दिल पर गहरी छाप छोड़ी। यह एथलीट किस तरह से लगातार अपने जीवन की स्थितियों से जूझता रहा और चंबल के बीहड़ों का सबसे भयावह डाकू बन गया, इसे इरफान ने पर्दे पर बेहद खूबसूरती के साथ दिखाया। इस फिल्म के लिए 60वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स 2012 में उन्हें बेस्ट एक्टर के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

'द लंचबॉक्स' में कही एक खूबसूरत कहानी

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मुंबई में लंच बॉक्स डिलीवरी वर्ल्ड फेमस है, लेकिन एक दिन लंच बॉक्स की अदला-बदली में एक यंग और शादीशुदा महिला किस तरह से अपने से उम्र में बड़े शख्स के साथ कनेक्ट स्थापित करती है, यह चीज फिल्म 'द लंच बॉक्स' में बड़ी खूबसूरती के साथ दिखाई गई है। लंच बॉक्स में मैसेज की अदला-बदली और अपनी खूबसूरत यादों की शेयरिंग कब प्यार में बदल जाती है, पता ही नहीं चलता। बुजुर्ग हो जाने पर किस तरह से इंसान को अकेलापन घेर लेता है और कैसे वह उम्र के इस मोड़ पर भी दोबारा प्यार में पड़ जाता है, इरफान ने फिल्म में ये सभी इमोशन अपनी आंखों से खूबसूरती से जाहिर किए। साल 2013 में रिलीज हुई यह फिल्म अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुई थी और कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स का हिस्सा बनी थी।

'लाइफ इन ए मेट्रो' में मोंटी के जरिए सिखाई जिंदादिली

महानगर में हर इंसान की जिंदगी दौड़भाग और कश्मकश से भरी होती है। करियर में कामयाब होने और लाइफ को बेहतर बनाने के लिए लोग कितनी ही तकलीफें सहते हैं। 'लाइफ इन ए मेट्रो' फिल्म में एक साथ कई कहानियां दिखाई जाती हैं, लेकिन शिल्पा शेट्टी, शाइनी आहूजा, धर्मेंद्र, नफीसा अली, के के मेनन, कंगना रनौत, शर्मन जोशी जैसे कलाकारों के बीच भी इरफान ने 'मोंटी' के अपने मजेदार किरदार से दर्शकों को दर्शकों को जिंदादिल रहने के लिए इंस्पायर किया। कोंकणा सेन शर्मा के साथ उनकी कैमिस्ट्री काफी रियलिस्टिक नजर आई और उनके किरदार को आसानी से रिलेट किया जा सकता है।

'7 खूब माफ' में दिखी जबरदस्त अभिनय क्षमता

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अपनी अलग स्टोरीलाइन के चलते यह फिल्म सुर्खियों में रही थी। इस फिल्म में इरफान ने प्रियंका चोपड़ा के पति का किरदार निभाया था। फिल्म में सुजैन यानी प्रियंका चोपड़ा जब कश्मीर की खूबसूरत वादियों में चली जाती है, तो वसीउल्ला (इरफान) को दिल दे बैठती हैं। वसीउल्लाह के साथ सुजैन की शादी हो जाती है, जो दिन में शायर और रात में हैवान बनकर उस पर जुल्म करता है। सुजैन ये तकलीफ बर्दाश्त नहीं कर पाती और वह उसे दफनाकर मुंबई आ जाती है। इस फिल्म में इरफान खान का रोमांस और क्रूरता, दोनों ही रूप दर्शकों को बहुत अपील करते हैं।

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'पीकू' के जरिए दर्शकों के चेहरे पर लाए मुस्कान

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A post shared by @ djennita onNov 9, 2017 at 7:57am PST

इरफान खान के आलोचक अक्सर कहा करते थे कि वह इंटेंस रोल निभाना पसंद करते हैं और कॉमेडी में वह खरे नहीं उतर पाएंगे। लेकिन बेहतर प्रतिभाशाली इरफान एक वर्सेटाइल एक्टर थे और उन्होंने 'पीकू' फिल्म में राना चौधरी के अपने किरदार से दर्शकों के चेहरे पर स्माइल ला दी। इस फिल्म में उन्होंने एक ऐसे बिजनेसमैन की भूमिका निभाई, जो हमेशा जल्दबाजी में रहता है, लेकिन दिल का बुरा नहीं है। शूजीत सरकार के निर्देशन वाली इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के साथ उनकी मजेदार डायलॉग डिलीवरी और दीपिका पादुकोण के साथ कैमिस्ट्री दर्शकों को काफी पसंद आई।

अंग्रेजी मीडियम में बने एक इमोशनल पिता

अपनी आखिरी फिल्म अंग्रेजी मीडियम में भी इरफान खान ने एक ऐसे पिता की भूमिका निभाई, जो अपनी बेटी का सपना पूरा करने के लिए हर मुश्किल उठाने को तैयार रहता है। इस फिल्म में इरफान के साथ राधिका मदान और करीना कपूर जैसे स्टार्स नजर आए, लेकिन इरफान ने पिता के किरदार में जिस तरह अपनी बेटी के लिए जज्बात जाहिर किए, उसे देखकर हर पिता भावुक हो उठेगा। यह फिल्म हॉटस्टार पर रिलीज की गई थी। हालांकि तबियत खराब होने के चलते वह इस फिल्म के प्रमोशन का हिस्सा नहीं बन सके थे।

आज इरफान खान की मौत की खबर से सभी भारतीयों की आंखें नम हैं, लेकिन अपने यादगार किरदारों और बेमिसाल अभिनय के जरिए वे हमेशा हमारे जेहन में जिंदा रहेंगे।

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