कपूर का दर्जा हमारे देश में बहुत ही ऊपर है और इसे पूजा-हवन आदि में अक्सर इस्तेमाल किया जाता है। कुछ लोग इसके आयुर्वेदिक फायदे भी बताते हैं और ये भी कहते हैं कि इसे दवा के रूप में खाया जा सकता है। कोरोना के समय में तो इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए लौंग और कपूर की पोटली अपने पास रखने की बात भी चल रही थी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आमतौर पर मिलने वाला कपूर नकली और सिंथेटिक होता है?
नेचुरल कपूर को भीमसेनी कपूर कहा जाता है जिसे आयुर्वेद में बहुत बड़ा दर्जा दिया गया है। कई रिसर्च मानती हैं कि इसके फायदे न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए हो सकते हैं बल्कि ये हवा को शुद्ध करने का काम भी कर सकता है।
आयुर्वेद के हिसाब से पक्व, अपक्व और भीमसेनी तीन तरह के कपूर का वर्णन किया जाता है। ये मुख्य रूप से पेड़ों से निकलने वाला ज्वलनशील, उड़नशील और तैलीय पदार्थ होता है। प्राकृतिक कपूर को ही भीमसेनी कपूर कहा जाता है जिसे आप दवा के रूप में भी ले सकते हैं और इसके कई तरह के उपयोग किए जा सकते हैं।
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अधिकतर जो हमारे घरों में आता है वो भीमसेनी नहीं बल्कि सिंथेटिक कपूर होता है। सिंथेटिक कपूर भीमसेनी कपूर की तुलना में ज्यादा हल्का होता है।
सिंथेटिक कपूर को किसी भी तरह हवा को शुद्ध करने या फिर दवा के तौर पर नहीं लिया जा सकता है।
कपूर को पहचानने के कुछ खास तरीके होते हैं। सबसे पहले तो आपको पैकेट में ही दिखेगा कि भीमसेनी कपूर या प्राकृतिक कपूर लिखा है या नहीं। भीमसेनी कपूर जिस भी डिब्बे में लिखा होता है वो प्राकृतिक होता है।
जैसा कि हम बता चुके हैं, नकली कपूर असली कपूर की तुलना में ज्यादा हल्का होता है और इसलिए ये हवा में जल्दी उड़ता भी है और पानी में बहुत जल्दी घुल जाता है। इसकी जगह भीमसेनी कपूर ठीक इसका उल्टा होगा।
नकली कपूर का शेप चौकोर या गोल हो सकता है जो आसानी से किराने की दुकान पर मिल जाता है, लेकिन असली कपूर का साइज अलग होता है। ये मिश्री के छोटे-छोटे पीस की तरह दिखता है। साइज और शेप देखकर आसानी से पता लगाया जा सकता है कि घर में आने वाला 95% कपूर सिंथेटिक होता है।
नकली कपूर को सिंथेटिक तेल (तारपीन के तेल या पाम ऑयल) से बनाया जाता है। यही कारण है कि इसमें सुगंध भी अलग होती है और काफी तेज़ गंध आती है, वहीं आप अगर असली कपूर लेंगे तो उसकी सुगंध आपको बहुत अच्छी लगेगी। पतंजलि आयुर्वेद के एक लेख के अनुसार ये सुगंध साइनस से लेकर सिरदर्द तक कई चीज़ों में राहत दे सकती है।
जैसा कि हमने बताया कि असली कपूर में नेचुरल सब्सटेंस ज्यादा होते हैं और इसलिए ये जब जलता है तो कोई निशान नहीं छोड़ता, लेकिन अगर नकली कपूर है तो ये जलने के बाद सफेद निशान छोड़ जाता है। आप इसे किसी चम्मच में जलाकर देख लीजिए दोनों के बीच का अंतर साफ नजर आएगा।
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अब हमने ये तो जान लिया कि हमारे घरों में आने वाला कपूर सिंथेटिक होता है, लेकिन अगर ये भीमसेनी के मुकाबले ज्यादा सस्ता होता है तो फिर हम नेचुरल कपूर की तरफ क्यों जाएं? इस सवाल का जवाब भीमसेनी कपूर के फायदों में छुपा है-
ये सारे फायदे तभी हैं जब आप नेचुरल कपूर का इस्तेमाल करें। इसी के साथ, अगर आपको कोई गंभीर बीमारी है, त्वचा संवेदनशील है या फिर आसानी से कोई चीज़ सूट नहीं करती है तो अपने डॉक्टर की सलाह पर ही इसे इस्तेमाल करें। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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