केक से लेकर पेस्ट्री तक वनीला एसेंस और वनीला एक्सट्रैक्ट की बहुत मांग रहती है। वनीला का फ्लेवर ही कुछ अलग होता है जो कई तरह के मीठे पकवानों में इस्तेमाल किया जाता है। पर क्या आप जानते हैं कि ये बनता कैसे है और आखिर वनीला एसेंस और वनीला एक्सट्रैक्ट में अंतर क्या होता है?
इस आर्टिकल में हम आपको वनीला एसेंस और एक्सट्रैक्ट के बारे में और बातें बताने जा रहे हैं। यकीनन इसके बारे में आपने कभी न कभी सुना ही होगा।
वनीला एसेंस को सिर्फ वनीला का इमिटेशन फ्लेवर मतलब आर्टिफिशियल फ्लेवर कहा जाता है, जबकि वनीला एक्सट्रैक्ट सीधे वनीला बीन्स से निकला हुआ फ्लेवर होता है। इसलिए कई ब्रांड्स वनीला एक्सट्रैक्ट को 'प्योर' वनीला फ्लेवर के नाम से भी बेचते हैं।
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वनीला एक्सट्रैक्ट असल में वनीला बीन्स को पानी और एथिल अल्कोहल (ethyl alcohol) के मिश्रण में डुबोकर बनाया जाता है। इसमें बाद में शक्कर, कोई और स्वीटनर, कॉर्न सिरप आदि भी मिलाया जाता है।
पर वनीला एसेंस को पानी, एथेनॉल, प्रोपिलीन ग्लाइकोल (ethanol, propylene glycol) और कई केमिकल फ्लेवर और कलर मिलाकर बनाया जाता है।
इसके प्रोडक्शन में अंतर के कारण वनीला एक्सट्रैक्ट कम प्रोसेस्ड होता है और इसमें वनीला फ्लेवर भी काफी स्ट्रांग होता है। इसलिए ये महंगा भी होता है।
कई देशों में वनीला एसेंस को बनाने का तरीका थोड़ा अलग है और कुछ में वनीला बीन्स का इस्तेमाल भी किया जाता है। वनीला आइसक्रीम का सबसे आम फ्लेवर है और आपको बता दूं कि केसर के बाद वनीला ही सबसे महंगा मसाला माना जाता है। वनीला को उगाने और इसे प्रोसेस करने में बहुत मेहनत लगती है और इसलिए इसे महंगा माना जाता है।
अगर आप नेचुरल वनीला एसेंस ले रहे हैं तो इसमें 2 से 3 प्रतिशत अल्कोहल भी मिला होगा। इसे ज्यादा मात्रा में लेना लिवर के लिए हानिकारक हो सकता है इसलिए कई रेसिपीज में सिर्फ कुछ ही बूंदों का इस्तेमाल होता है।
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वनीला एसेंस से जुड़ा सबसे बड़ा मिथक ये है कि ये बीवर (एक तरह का जानवर) के एनल ग्लांड्स से निकलता है। जी हां, इस तरह से भी एक तरह का एसेंस एक्सट्रैक्ट किया जाता है, लेकिन वो आपका नॉर्मल वनीला एसेंस नहीं होता है। वो अलग तरह के कमर्शियल उपयोग में आता है और आपको उसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है।
वनीला एसेंस से जुड़ा दूसरा मिथक ये है कि ये आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है। असल बात तो ये है कि अगर तय मात्रा से ज्यादा आप इसका इस्तेमाल करते हैं तो इसमें मौजूद केमिकल्स सीधे लिवर पर असर कर सकते हैं।
वनीला एसेंस को हमेशा तभी इस्तेमाल करना चाहिए जब डिश गर्म न हो रही हो यानी या तो गैस पर से इसे हटाने के बाद या फिर माइक्रोवेव में डालने से पहले। इसे सीधे हीट पर नहीं डालना चाहिए। इससे आपकी डिश का स्वाद खराब हो सकता है।
अगर आप वनीला एसेंस ज्यादा डालेंगे तो ये न सिर्फ आपके खाने के स्वाद को खराब कर देगा बल्कि इससे उस डिश को डाइजेस्ट करने में भी समस्या होगी।
पूरी दुनिया में इस्तेमाल होने वाला 80% वनीला एसेंस इंडोनेशिया, बर्बन, तहीती और मेक्सिको से आता है।
अपने लिए वनीला एसेंस चुनने के लिए आप वो ब्रांड चुनें जिसके प्रोडक्ट का रंग गहरा पीला या भूरा हो। प्योर नेचुरल वनीला का रंग एम्बर (Amber- Bright dark yellow) होता है। आप वनीला एसेंस लेते समय उसके अल्कोहल कंटेंट का भी ध्यान रखें। सिंथेटिक वनीला में या तो 2% अल्कोहल होता है या फिर नहीं होता। (बिना अंडे के कुकर वनीला केक की रेसिपी यहां पढ़ें)
बेक करने वाली चीज़ों जैसे ब्रेड, केक, पेस्ट्री आदि में, ड्रिंक्स में, कस्टर्ड में, कई नमकीन प्रोडक्ट्स में भी वनीला एसेंस का इस्तेमाल होता है। सिर्फ ठंडी चीज़ों में ही नहीं बल्कि कुछ गर्म चीज़ें जैसे चाय, कॉफी, दूध आदि में भी वनीला का इस्तेमाल किया जाता है। वनीला एसेंस को कुछ दवाओं में भी इस्तेमाल किया जाता है।
तो अब आप जान ही गए होंगे कि वनीला एसेंस की असली कहानी क्या है। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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