क्या है हिंदू धर्म में बेल वृक्ष का महत्व, जानें इसके उत्पत्ति और मां पार्वती के बीच संबंध

साधारण शिव पूजा हो या सावन पूजा भगवान शंकर के पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व है। शिवपुराण के अनुसार शिव जी को बेलपत्र बहुत प्रिय है। इस लेख में बेलपत्र के उत्पत्ति और महत्व के बारे में जानेंगे।

bel patra tree puja

क्या आपने कभी सोचा है कि गर्मियों में शरीर को ठंडा करने वाले बेल के शरबत और शिव पूजा में चढ़ाए जाने वाले बेलपत्र का धार्मिक महत्व क्या है? अगर नहीं तो, इस लेख में इस पेड़ के महत्व और उत्पत्ति के बारे में जानेंगे। हिंदू धर्म में बेल के पेड़ का बहुत महत्व है, लोग इसके पेड़, फल, पत्ते और लकड़ी का उपयोग पूजन के लिए करते हैं।

मान्यता है कि बेल के पेड़ में साक्षात भगवान शिव का वास होता है और भोलेनाथ को इस पेड़ के फल, फूल और पत्ते बेहद प्रिय है। कहा जाता है कि बेल पेड़ के पूजन करने से गरीबी दूर होती है। बेलपत्र इतना शुभ पेड़ है कि इसके दर्शन और स्पर्श मात्र से पुण्य की प्राप्ति होती है। घर में बेल के पेड़ लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।

बेल पेड़ के धार्मिक मान्यताओं के बारे में

bel patra uses for puja vidhi in hindi

पुराणों में बेलपत्र के तीन समूह वाले पत्ते को भगवान शंकर के त्रिशूल या त्रिनेत्र से तुलना किया गया है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि बेलपत्र में ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव का वास होता है। स्कंद पुराण के अनुसार बेल पेड़ की उत्पत्ति माता पार्वती के पसीने की बूंद से हुई थी। कहा जाता है कि बेल का यह शुभ पेड़ सकारात्मक ऊर्जा का भंडार है।

बेलपत्र का महत्व

bel patra uses in hindi

हिंदू धर्म ग्रंथों में यह मान्यता है कि जिस प्रकार भगवान विष्णुको तुलसी पत्र प्रिय है वैसे ही भगवान शिव को बेलपत्र बहुत पसंद है। इसलिए शिव पूजा में बेल पत्र को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जो कोई भी शिव जी की पूजा बेलपत्र से करते हैं उसकी मनोकामना भगवान जल्द ही पूरा करते हैं।

इसे भी पढ़ें: घर में लक्ष्मी के वास के लिए जरूर लगाएं बेल पत्र का पौधा

बेल वृक्ष की उत्पत्ति

bael tree importance story behind its origin and relation with parvati

स्कन्द पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती जब भ्रमण कर रहीं थीं, तब उनके शरीर से पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई थी। उस पसीने के बूंद से पर्वत पर एक पेड़ की उत्पत्ति हुई और इस पेड़ को ही बेल वृक्ष के नाम से जाना गया। चूंकि, इस पेड़ की उत्पत्ति मां पार्वती के पसीने से हुई थी इसलिए इस पेड़ में मां पार्वती के सभी रूप वास करते हैं। बेल पेड़ (सावन पूजा) के जड़ को गिरजा का स्वरूप माना गया है।

वहीं इसके तनों में माहेश्वरी और शाखाओं में दक्षिणायनी एवं बेल के पत्तियों में मां पार्वती (मां पार्वती के मंत्र) वास करती हैं। बेल के फलों में कात्यानी, फूलों में गौरी का वास होता है। इन सभी स्वरूपों के अलावा, मां लक्ष्मी जी बेल के समस्त पेड़ में निवास करती हैं। मान्यता है कि बेलपत्र मां पार्वती का प्रतिबिंब है जिसके कारण यह भगवान शिव को बहुत प्रिय है। शिव जी पर बेलपत्र चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं।

इसे भी पढ़ें: भगवान शिव को भस्म क्यों चढ़ाई जाती है, जानें कारण

हिंदू धर्म में इस पेड़ का बहुत महत्व है आप भी बेल पेड़ की पूजा कर मां पार्वती के कृपा का पात्र बन सकते हैं। हमें उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आया होगा। ऐसे ही धर्म से संबंधित लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ। यह लेख पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर जरूर करें।

Image Credit

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP