Ashtayam Sewa: हिन्दू धर्म में अष्टयाम सेवा का अत्यधिक महत्व है। यूं तो अष्टयाम सेवा किसी भी देवी-देवता की हो सकती है लेकिन कृष्ण पूजन में अष्टयाम सेवा का अधिक प्रचलन है। हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स का कहना है कि मां यशोदा कन्हैया को दिन के आठों प्रहर भोजन कराती थीं इसी कारण से कृष्ण पूजा में अष्टयाम सेवा का विधान स्थापित हो गया। तो चलिए जानते हैं अष्टयाम सेवा के महत्व और उससे जुड़े नियमों के बारे में।
हिन्दू धर्म के अनुसार, दिन के 24 घंटे में आठ प्रहर होते हैं। इन्हीं आठों प्रहर में भगवान की सेवा की जाती है। अष्टयाम सेवा मुख्य रूप से श्री कृष्ण के बाल स्वरूप यानी कि लड्डू गोपाल की होती है। अष्टयाम सेवा के इन आठ प्रहरों का नाम कुछ इस प्रकार है- मंगला, श्रृंगार, ग्वाल, राजभोग, उत्थापन, भोग, आरती और शयन।
माना जाता है कि अष्टयाम सेवा करने से लड्डू गोपाल शीघ्र प्रसन्न होते हैं।अष्टयाम सेवा से व्यक्ति के रोग, दोष, दुख-संताप, पाप और व्याधियों का अंत होता है। अष्टयाम सेवा करने से दिन के आठ प्रहर व्यक्ति भक्ति में लीन रहता है जिससे उसके भीतर मौजूद नकारात्मकता स्वतः ही समाप्त होने लगती है।
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तो ये था अष्टयाम सेवा का महत्व, विधि और नियम। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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