आज है अपरा एकादशी, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत पारण का सही समय

आइए जानें ज्येष्ठ के महीने में कब पड़ेगी एकादशी तिथि और इसका इस तिथि को हिन्दुओं में श्रेष्ठ क्यों माना जाता है।

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हिंदू धर्म में सभी व्रत और त्योहारों का अपना अलग महत्व है ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक त्योहार किसी एक उपासक को समर्पित होता है। ऐसी ही तिथियों में से एक है एकादशी। साल में पड़ने वाली सभी 24 एकादशियों की कथा और महत्व अलग है और ऐसी मान्यता है कि सभी एकादशी तिथियों में पूरी श्रद्धा भाव से विष्णु पूजन करना चाहिए।

विष्णु भगवान् को सृष्टि का पालक माना जाता है इसलिए उनका पूजन विशेष फल देता है। सभी एकादशी तिथियों में से ज्येष्ठ महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी का अलग महत्व है। आइए अयोध्या के पंडित राधेशरण पाण्डेय, शास्त्री से जानें इस साल कब है यह एकादशी और इसमें किस तरह से विष्णु पूजन करना फलदायी होगा।

अपरा एकादशी की तिथि

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इस साल अपरा एकादशी ज्येष्ठ महीने, कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 26 मई, बृहस्पतिवार के दिन पड़ेगी। इसे अपरा एकादशी कहा जाता है और इसमें भगवान् विष्णु का पूजन माता लक्ष्मी समेत किया जाता है।

  • हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ- 25 मई, सुबह 10 बजकर 32 मिनट से
  • एकादशी तिथि समापन - 26 मई प्रातः 10 बजकर 54 मिनट पर
  • उदया तिथि में एकादशी 26 मई, गुरुवार के दिन पड़ेगी इसलिए इसी दिन व्रत और उपवास करना फलदायी माना जाएगा
  • व्रत पारण का समय - 27 मई, शुक्रवार प्रातः 5 बजकर 25 मिनट से 8 बजकर 10 के बीच

अपरा एकादशी व्रत कथा

अपरा एकादशी की कथा के अनुसार प्राचीन काल में महीध्वज नाम का एक राजा राज्य करता था। जिसका छोटा भाई वज्रध्वज बहुत ही अधर्मी था। अपने क्रूर स्वभाव की वजह से छोटा भाई अपने बड़े भाई को मारना चाहता था। एक दिन रात्रि में छोटे भाई ने बड़े भाई महाध्वज की हत्या कर दी और शव को जंगल में पीपल के वृक्ष के नीचे गाड़ दिया। अकाल मृत्यु की वजह से राजा प्रेतात्मा रूप में पीपल (क्या रात के समय पीपल के वृक्ष पर होता है आत्माओं का वास) पर रहने लगा। प्रेतात्मा होने की वजह से उसका कहर आस-पास के लोगों में फ़ैल गया था। एक दिन धौम्य नाम के एक ॠषि पीपल के वृक्ष के पास से गुजरे, तो उन्होंने प्रेतात्मा रूप में राजा को देखा। सबकुछ जानने के बाद ॠषि ने उस प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा और उसे परलोक विद्या का उपदेश दिया। दयालु ॠषि ने राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाई और उसके लिए स्वयं ही अपरा एकादशी का व्रत किया। तभी से ऐसी मान्यता है कि अपरा एकादशी की कथा पढ़ने या सुनने से मनुष्य को समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है।

अपरा एकादशी का महत्व

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हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी के दिन विष्णु पूजन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पापों से मुक्ति मिलती है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि के दिन जो लोग किसी भी पवित्र नदी में स्नान करता है उसके सभी पाप धुल जाते हैं और शुभ लाभ मिलते हैं। यही नहीं मान्यता यह भी है कि इस दिन का व्रत और उपवास करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस दिन व्रत करने वालों को फलाहार व्रत करने की सलाह दी जाती है और ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल का सेवन न करें।

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कैसे करें अपरा एकादशी में विष्णु पूजन

  • मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु का पूजन माता लक्ष्मी समेत करना फलदायी होता है।
  • यदि आप व्रत रखते हैं तो प्रातः उठकर, स्नान से मुक्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • विष्णु जी की मूर्ति माता लक्ष्मी समेत स्थापित करें।
  • इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ जरूर करें और एकादशी व्रत कथा पढ़ें और सुनें।
  • कुछ लोग इस दिन घर में सत्यनारायण कथा भी कराते हैं।
  • यदि आप कथा करते या सुनते हैं तो आपको भगवान् विष्णु को पंचामृत और आटे की पंजीरी का भोग लगाना चाहिए।
  • विष्णु जी को लगने वाले भोग में तुलसी दल अवश्य अर्पित करें।

इस प्रकार अपरा एकादशी का व्रत और पूजन हिन्दुओं के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है, जिसे करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व ज्योतिष से जुड़े इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

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Image Credit: freepik and wallpapercave.com

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