पंचाग के अनुसार अंनत चतुर्दशी का व्रत भादो मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस साल ये पर्व 19 सितंबर के दिन मनाया जाएगा। इसे अंनत चौदस के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि अन्नत चतुर्दशी का व्रत रखने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और चतुर्दशी का व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
अन्नत चतुर्दशी का त्योहार देशभर में बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है क्योंकि इस दिन गणपति विसर्जन भी किया जाता है इसलिए इस पर्व का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। इस साल अन्नत चतुर्दशी यानी कि भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 19 सितंबर को है और इसी दिन गणपति विसर्जन किया जाएगा। आइए एस्ट्रोलॉजर और वास्तु स्पेशलिस्ट डॉ आरती दहिया जी से जानें अनंत चतुर्दशी की पूजा और गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त और महत्त्व ।
क्यों होता है गणपति विसर्जन
श्री गणेश जी की विदाई को गणेश विसर्जन कहा जाता है। जब गणपति बप्पा गणेश चतुर्थी पर स्थापित किए जाते हैं तब उसके 10 वे दिन बाद, गणेश विसर्जन की रस्म निभाकर उन्हें अपने घर कैलाश की यात्रा के लिए विदाई दी जाती है। कहते हैं कि बप्पा का विसर्जन यह कहते हुए करना चाहिए कि बप्पा अगले बरस आप फिर आना और अपना असीम आशीर्वाद हम सबको दे कर जाना। जिस तरह घर पर गणपति की स्थापना करने के लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है उसी प्रकार बप्पा के विसर्जन के लिए भी शुभ मुहूर्त का इंतजार करना चाहिए। 19 सितंबर अनंत चतुर्दशी है यानी की बप्पा को विदाई देने का दिन है। धार्मिक मान्यता है कि यदि शुभ मुहूर्त में ही बप्पा का विसर्जन किया जाए, तो अत्याधिक शुभ होता है।
गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त
- चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - 19 सितंबर, 2021,रविवार को सुबह 05:59 बजे
- चतुर्दशी तिथि समाप्त - 20 सितम्बर, 2021, सोमवार को सुबह 05:28 बजे

गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
- प्रातः काल - सुबह 07:39 से दोपहर 12:14 तक
- दोपहर - शाम 01:46 से शाम 03:18 बजे तक
- शाम - शाम 06:21 से शाम 10:46 बजे तक
- रात - मध्यरात्रि 01:43 से मध्यरात्रि 03:11 बजे तक (20 सितंबर)
- उषाकाल मुहूर्त (शुभ) - तड़के 04:40 से सुबह 06:08 तक (20 सितंबर)
अनंत चतुर्दशी की पूजा का शुभ मुहूर्त
- 19 सितंबर 2021, दिन रविवार, प्रातः 6 बजकर 07 मिनट से शुरू होकर
- 20 सितंबर 2021 को प्रातः 5 बजकर 30 मिनट तक।
- इस दिन शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 23 घंटे और 22 मिनट है।
अनंत चतुर्दशी की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत हुई थी। इसकी कथा के अनुसार सुमंत नामक एक वशिष्ठ गोत्री ब्राह्मण थे। उनका विवाह महर्षि भृगु की कन्या दीक्षा से हुआ। इनकी पुत्री का नाम सुशीला था। दीक्षा के असमय निधन के बाद सुमंत ने कर्कशा से विवाह किया। पुत्री का विवाह कौण्डिन्य मुनि से हुआ। किंतु कर्कशा के क्रोध के चलते सुशीला एकदम साधनहीन हो गई। वह अपने पति के साथ जब एक नदी पर पंहुची, तो उसने कुछ महिलाओं को व्रत करते देखा। महिलाओं ने अनंत चतुर्दशी व्रत की महिमा बताते हुए कहा कि अनंत सूत्र बांधते समय यह मंत्र पढ़ना चाहिए और इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए।
अनंतचतुर्दशी पूजा विधि
- ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति अनंत चतुर्दशी व्रत रखते हैं उन्हें प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा स्थान को साफ करना चाहिए।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। अपने पूजा स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करना चाहिए।
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और भगवान की प्रिय वस्तुओं का भोग अर्पण करना चाहिए।
- जिसमें पीले फूल, मिठाई आदि का प्रयोग करना चाहिए।
- भगवान के चरणों में अन्नत सूत्र समर्पित करना चाहिए इसके बाद उस रक्षा सूत्र खुद धारण करना चाहिए।
- जो लोग इस दिन गणपति का विसर्जन करते हैं उन्हें शुभ मुहूर्त में गणपति को अगले साल वापन आने की प्रार्थना करते हुए विदा करना चाहिए।
उपर्युक्त नियमों का पालन करके विष्णु एवं गणपति पूजन करने से भक्तों को समस्त पापों से मुक्ति मिलने के साथ मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Recommended Video
Image Credit: freepik and shutterstock
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों