हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की परिक्रमा का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि व्यक्ति का संपूर्ण जीवन एक चक्र है और ईश्वर में पूरी सृष्टि समाई होती है, इसलिए यदि कोई व्यक्ति ईश्वर, किसी पवित्र स्थल या फिर देव तुल्य पौधों की परिक्रमा करता है, तो वह संपूर्ण सृष्टि की परिक्रमा कर लेता है।
इतना ही नहीं, धार्मिक महत्व के साथ ही परिक्रमा का वैज्ञानिक महत्व भी है। ऐसा कहा जाता है कि परिक्रमा करने से व्यक्ति के शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है, जो व्यक्ति के मन को शांत रखती है और उसे आत्मबल प्रदान करती है।
वैसे तो हिंदू धर्म के अलावा अन्य धर्मों में भी परिक्रमा का महत्व बताया गया है। हर धर्म में अलग-अलग तरह से परिक्रमा की जाती है। हिंदू धर्म में भी अलग-अलग देवी-देवताओं और पवित्र स्थलों एवं पेड़ों की परिक्रमा अलग-अलग तरह से की जाती है। हर किसी की परिक्रमा करने से अलग-अलग फलों की प्राप्ति होती है।
सभी हिंदू देवी-देवताओं में सबसे प्रथम कहे जाने वाले भगवान श्री गणेश की भी परिक्रमा की जाती है। इस बारे में हमारी बातचीत उज्जैन के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य मनीष शर्मा जी से हुई। उन्होंने बताया, 'गणपति जी की परिक्रमा अलग तरह से की जाती है और परिक्रमा के दौरान कुछ बातों का विशेष धन भी रखना होता है।'
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तो चलिए पंडित जी से जानते हैं कि श्री गणेश की परिक्रमा कैसे की जानी चाहिए-
भगवान श्री गणेश के मंदिर में जा कर उनकी मूर्ति की 3 बार पूरी तरह से परिक्रमा जरूर करनी चाहिए। इस दौरान श्री गणेश के विराट स्वरूप के दर्शन और मंत्र का विधिवत अध्ययन भी जरूर करें। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपको कठिन से कठिन कार्य को सफल रूप देने का मार्ग मिल जाएगा।
पंडित जी कहते हैं, 'बहुत सारे लोगों को यह बात नहीं पता होगी कि श्री गणेश की पीठ में दरिद्रता का वास होता है। आमतौर पर लोग मंदिर जाते हैं और परिक्रमा के दौरान हर दिशा से ईश्वर को माथा टेकते हुए चलते हैं। मगर श्री गणेश की परिक्रमा के दौरान ऐसा नहीं करना चाहिए। श्री गणेश के दर्शन हमेशा सामने से ही करने चाहिए और सामने से ही माथा टेकना चाहिए, क्योंकि श्री गणेश की पीठ की ओर माथा टेकने पर आपको अशुभ फल प्राप्त हो सकते हैं, साथ ही जीवन में दरिद्रता आ सकती है।'
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भगवान गणेश जी की पूरी 3 परिक्रमा का विधान है। इसलिए जब आप श्री गणेश जी की परिक्रमा करें, तो बीच में रुके नहीं। इसके अलावा, इस बात का भी ध्यान रखें कि आपने परिक्रमा जहां से शुरू की है वहीं पर उसे खत्म करें, तब ही आपको पूर्ण लाभ प्राप्त होगा।
वैसे तो आप गणेश जी की परिक्रमा के दौरान उनके मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं, मगर यदि आपको गणेश जी का कोई मंत्र याद न हो तो आप 'यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च। तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।।' मंत्र का जाप करें। पंडित जी कहते हैं, 'आप किसी भी देवी-देवता की परिक्रमा के वक्त इस मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं।' इसका अर्थ होता है, 'जाने- अनजाने में हुए पापों के लिए हमें क्षमा करें और हे! परमेश्वर हमें सद्बुद्धि प्रदान करें।'
भगवान श्रीगणेश के कानों में वैदिक ज्ञान, मस्तक में ब्रह्म लोक, आंखों में लक्ष्य, दाएं हाथ में वरदान, बाएं हाथ में अन्न, सूंड में धर्म, पेट में सुख-समृद्धि, नाभि में ब्रह्मांड और चरणों में सप्तलोक का वास माना जाता है। भगवान गणेश के संपूर्ण स्वरूप के दर्शन से आपको यह सभी चीजें प्राप्त होती हैं। इसके साथ ही, आपको श्री गणेश के दर्शन से रिद्धि, सिद्धि, शुभ और लाभ भी प्राप्त होते हैं।
अगर गणेश उत्सव के दौरान आप गणेश जी की प्रतिमा के दर्शन करते हैं और उनकी परिक्रमा करते हैं, तो पंडित जी द्वारा बताई गई बातों का विशेष ध्यान रखें। यह आर्टिकल पसंद आया हो, तो इसे शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल्स पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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