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Amarnath Yatra  history and significance of this place

Amarnath Yatra 2024: शुरू हुई अमरनाथ यात्रा, जानें क्यों इस स्थान को माना जाता है मोक्ष का धाम

हिंदू धर्म में प्रमुख स्थानों में से एक अमरनाथ भी शामिल है। इस तीर्थ स्थल पर हर साल बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं। आइए अमरनाथ यात्रा के बारे में विस्तार से जानते हैं। 
Editorial
Updated:- 2024-07-02, 09:50 IST

बर्फानी बाबा की गुफा में भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है। 29 जून शनिवार से ही अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो गई थी। जिसका समापन अब रक्षाबंधन पर होगा। सनातन धर्म में प्रमुख स्थलों में से एक अमरनाथ में भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। इतना ही नहीं श्रद्धालु दुर्गम रास्ते से होकर कठिन यात्रा का सफर करते हुए बाबा बर्फानी पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि श्रद्धालु अमरनाथ की यात्रा करता है। उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति की सभी परेशानियां भी दूर हो जाती है। अब ऐसे में अमरनाथ को मोक्ष का धाम क्यों कहा जाता है। अमरनाथ यात्रा को लेकर मान्यताएं क्या हैं। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं। 

क्या है अमरनाथ गुफा की कहानी 

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प्रचलित कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव साक्षात अमरनाथ गुफा में विराजते हैं। ऐसी मान्यता है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से उनके अमरत्व का कारण जानने की इच्छा जताई थी और जाहिर की। तो भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती से कहा कि इसके लिए आपको अमर कथा सुननी पड़ेगी। इस कथा को सुनने के लिए उन्होंने एक ऐसे स्थान की तलाश शुरू की, जहां कोई और इस अमर कथा को न सुन सके। तब भगवान शिव और माता पार्वती अमरनाथ गुफा पहुंचे। गुफा जाते समय पहले उन्होंने पहलगाम में अपने नंदी का परित्याग किया। इसके बाद चंदनवाड़ी में भगवान शिव ने अपनी जटाओं से चंद्रमा को मुक्त किया। फिर शेषनाग नाम की झील के किनारे अपने गले में लिपटे सर्प को मुक्ति किया। उसके बाद अपने पुत्र गणेश को महागुनस पर्वत पर छोड़ा। फिर भगवान शिव ने पंचतरणी नाम की जगह पर पंच तत्वों पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश का भी त्याग किया। 

इन सभी को छोड़कर भगवान शिव और माता पार्वती अमरनाथ गुफा में प्रवेश किए और वहां समाधि ली। गुफा के आसपास मौजूद हर जीव को नष्ट करने के लिए भगवान शिव ने कालाग्नि बनाई और उसे आग फैलाने का आदेश दिया। ताकि माता पार्वती के अलावा कोई और अमर कथा न सुन सके। 

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जब भगवान शिव ने माता पार्वती के अमरत्व का रहस्य बताना आरंभ किया। इस दौरान अचानक आए कबूतर के एक जोड़े ने अमरत्व का रहस्य सुन लिया। इसके बाद बी कबूतर का ये जोड़ा अमरत्व को प्राप्त हुआ। आज भी ऐसा कहा जाता है कि तीर्थ यात्री कबूतर के इस जोड़े को देखने का दावा करते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि ये जोड़ा इतनी ऊंचाई और ठंड में रहने के बावजूद कैसे जीवित रह सकते हैं। 

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अमरनाथ यात्रा का महत्व क्या है? 

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हिंदू धार्मिक तीर्थ स्थल अमरनाथ हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित है। इस गुफा को प्राचीन समय में अमरेश्वर भी कहा जाता था। यहां बर्फ से ही शिवलिंग बनता है। यही कारण है कि इसे बाबा बर्फानी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो श्रद्धालु इस पवित्र गुफा में बने शिवलिंग का सच्ची श्रद्धा से दर्शन करते हैं। उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि बाबा अमरनाथ के दर्शन करने से काशी में शिवलिंग का दर्शन और पूजा से 10 गुना और नैमिषारण्य तीर्थ से 1000 गुना अधिक पुण्य फल की प्राप्ति होती है। बता दें, अमरनाथ गुफा के ऊपर पर्वत पर श्री राम कुंड है। अमरनाथ गुफा में स्थित शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। 

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