मंगलसूत्र का महत्व क्या है? क्या ये सिर्फ एक ज्वेलरी है या फिर ये एक ऐसी चीज़ है जिसका महत्व बहुत ज्यादा बड़ा है? हाल ही में मंगलसूत्र विवादों के घेरे में आ गया है। इसका कारण है मद्रास हाई कोर्ट का एक कथित स्टेटमेंट जिसके अनुसार कोर्ट ने 2016 में लिए अपने एक फैसले में कहा था कि, 'पत्नी का मंगलसूत्र उतारना पति के लिए उच्च कोटि की मानसिक प्रताड़ना का प्रारूप है'। इस खबर के जगजाहिर होते ही मंगलसूत्र बहुत बड़ी कॉन्ट्रोवर्सी में फंस गया है और लोग कोर्ट के इस ऑर्डर को लेकर तरह-तरह की बातें करने लगे।
सोशल मीडिया पर मंगलसूत्र को लेकर अलग-अलग बातें होने लगी हैं और ये माना जा रहा है कि कोर्ट का ये फैसला एक सही नहीं है। पर क्या आप जानते हैं कि असल मुद्दा क्या है और आखिर क्यों कोर्ट की इस बात को तूल दिया जा रहा है।
जिस बात को लेकर इतनी कॉन्ट्रोवर्सी फैल रही है उसका आधार एक गलतफहमी ही है। द वायर के फैक्ट चेक के अनुसार असलियत उस दावे से अलग है जो दावा किया जा रहा है। 5 जुलाई को मद्रास हाई कोर्ट सी.शिवकुमार वर्सेस ए. श्रीविद्या के केस की सुनवाई पर विचार कर रहा था जहां 2016 में फैमिली कोर्ट के ऑर्डर की बात हो रही थी जिसमें पत्नी को तलाक देने के फैसले को खारिज कर दिया गया था।
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पत्नी श्रीविद्या ने पति के ऑफिस में जाकर उसके सहकर्मियों के सामने एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर करने की बात की थी। साथ ही पति का आरोप था कि पत्नी ने एक निराधार पुलिस कंप्लेंट भी फाइल की थी और इन सभी मामलों को संज्ञान में रखने के साथ-साथ मंगलसूत्र उतारने की बात को मानसिक प्रताड़ना कहा था। इस मामले में 2016 के एक फैसले पर भी बात की गई थी जिसके कारण पति को तलाक नहीं मिला।
कोर्ट का कहना था, 'जहां मंगलसूत्र को हटाना एक अनौपचारिक बात है वहीं हम ये नहीं कहते कि सिर्फ मंगलसूत्र को हटाना ही शादी को खत्म करने के लिए काफी है। पर प्रतिवादी का ये कृत्य से सबूत देता है कि कथित पार्टीज को साथ में नहीं रहना है। रेस्पोंडेंट का मंगलसूत्र को उतारना और अन्य कार्य करना ये साफ जाहिर करता है कि दोनों को साथ में नहीं रहना है और इस शादी को मान्य नहीं रखना है।'
इसका आधार ये है कि जो मीडिया में रिपोर्ट किया जा रहा है कि हाई कोर्ट ने मंगलसूत्र को उतारना ही मानसिक प्रताड़ना का मुख्य आधार माना है वो गलत है।
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हिंदू धर्म में मंगलसूत्र को सुहाग के कई जरूरी चिन्हों में से एक माना जाता है। मंगलसूत्र दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया है जिसमें मंगल का मतलब है पवित्र और सूत्र का मतलब है धागा जिसका शाब्दिक अर्थ है पवित्र धागा। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मंगलसूत्र में मौजूद धागा और काले मोती पति की मुसीबतों को कम करने और उसकी आयु को बढ़ाने का काम करते हैं। इसमें काले मोती ही इसलिए लगाए जाते हैं क्योंकि इसे शिव और पार्वती से जोड़ा जाता है जहां काले मोती शिव के प्रतीक हैं और सोना माता पार्वती का।
मंगलसूत्र को इसी कारण से सबसे अहम माना जाता है और यही कारण है कि इसे सोलह श्रृंगार में दर्जा दिया गया है।
हिंदू धर्म की मान्यताओं से परे मंगलसूत्र को स्टाइल और स्टेटस सिंबल भी माना जाता है, लेकिन ये भी उतना ही सही है कि कई महिलाएं इसे ना पहनने का फैसला लेती हैं और ये पूरी तरह से उनकी इच्छा है जिसे मान्य किया जाना चाहिए। कोर्ट के फैसले को गलत तरीके से बताकर मंगलसूत्र से जुड़ी कॉन्ट्रोवर्सी उत्पन्न हुई है। मंगलसूत्र पहनना या न पहनना दोनों ही पति-पत्नी का आपसी मामला है और कोर्ट ने ऐसा बिल्कुल भी नहीं कहा है कि सिर्फ मंगलसूत्र को उतारना ही मानसिक प्रताड़ना का कारण बन सकता है।
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