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होमली और सॉफ्ट इंजीनियर लड़की को ही मिलेगा दूल्हा, AI ने बताया शादी के लिए ये चीजें हैं जरूरी

अखबारों में छपे अतरंगी मैट्रिमोनियनल विज्ञापनों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बनाए ऐड में कुछ तो अंतर होना चाहिए। अफसोस कि AI के मुताबिक भी अगर लड़की होमली नहीं है, तो शायद लड़का मिलने में उसे देर हो जाएगी!
Editorial
Updated:- 2023-06-19, 18:30 IST

एक 30 वर्षीय लड़की सिंगल हो, तो सोचिए उस पर शादी करने का कितना दबाव होता है। रिश्तेदार और दोस्तों के तानों से ज्यादा उसे अपने घर में भी शादी को लेकर दिन भर में 10-12 बार सुनने को मिल जाता है। ऐसे में अखबारों में आने वाले तरह-तरह के अजीबोगरीब विज्ञापनों को देखकर खून और जलता है। किसी को छप्पन भोग बनाने वाली लड़की चाहिए। कोई चाहता है लड़की घर के कामों में निपुण हो और नौकरी भी जरूर करे। 

अब जब जमाना AI का है और दुनिया बदल रही है, तो मैंने सोचा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से क्यों ने एक अच्छा और दमदार मैरिज बायोडाटा मैं भी बनाकर देखूं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तो कम से कम इन अतरंगी विज्ञापनों से अलग कुछ करेगा!

अफसोस, ये इंटेलिजेंस भी मेरे किसी काम की नहीं रही और विज्ञापन देखकर मुझे वाकई लगा कि यह पड़ोस की किसी चाची ने बनाया है। AI के लिए मेरे होमली होने का प्रमाण उतना ही जरूरी थी, जितना पड़ोस की चाची को रहता है। 

ताज्जुब की बात है कि आर्टिफिशियल इंटेंलिजेंस जिसकी चर्चा होते हुए कहा जाता है कि इससे दुनिया में क्रांति आएगी। ये लोगों के नजरिए और काम करने के तरीके को स्मार्ट बनाएगा, उसका खुद का नजरिया कितना बेतुका है। 

AI की नजर में अगर आप 30 वर्षीय मिडल क्लास फैमिली से हैं। अगर आप एक लीडिंग आईटी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर नहीं हैं। आपकी ब्राह्मण जात से ताल्लुक नहीं रहती हैं और खाना बनाना और होमली आपके शौक नहीं हैं, तो आपके लिए लड़का मिलना मुश्किल हो सकता है।

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लड़की का कंप्यूटर साइंस पढ़ना है जरूरी

बार्ड जो बायोडाटा आपके साथ शेयर कर रहा है, वो एक सैम्पल है। इस एआई टूल के मुताबिक, लड़की की पर्सनल डिटेल देखें, तो उसकी हाइट 5'5 होनी चाहिए। हिंदू लड़की और सारस्वत ब्राह्मण हो, तो बेहतर है। मैरिटल स्टेटस-नेवर मैरिड ही होना चाहिए।  

मेरा सवाल बस इतना है कि क्या एक 30 वर्षीय वर्किन वुमेन के लिए हिंदू ब्राह्मण होना ही क्यों जरूरी है। ऐसा भी हो सकता है कि वह राजपूत हो या किसी दूसरे जाति की हो। हो सकता है कि एक 30 वर्षीया लड़की सेपरेटेड हो या फिर विधवा हो। 

जहां तक उसकी पढ़ाई की बात आती है, तो आईआईटी बॉम्बे से उसने कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हो और एक लीडिंग आईटी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हो। क्या है कि यदि किसी लड़की ने आर्ट्स या कॉमर्स की पढ़ाई की होगी और वह टीचर या नर्स होगी, तो उसे कम्पेटिबल पार्टनर ढूंढना मुश्किल होगा? क्योंकि एआई द्वारा बनाए गए बायोडाटा से यही नजर आता है। यह एआई टूल बायोडाटा बनाते वक्त अलग ऑप्शन दे सकता था। प्रोफेशन अलग हो सकता था, लेकिन आप जितनी बार भी इसमें एक नया बायोडाटा बनाएंगे, हर बार यही डिस्क्रिप्शन सामने आएगा। 

एक कॉन्फिडेंट और एंबिशियस वुमन जो होमबॉडी हो

मैं एक कॉन्फिडेंट, इंडिपेंडेंट और एंबिशियस लड़की हूं जो अपने घर और काम के बीच बैलेंस बनाना बखूबी जानती है। मगर किसी लड़के से मिलते वक्त मुझे यह बताने की जरूरत क्यों पड़ेगी कि मैं घरेलू हूं? मेरा सबसे बड़ा सवाल यही है कि एक लड़की का ही घरेलू होना क्यों जरूरी है? सबकी अपनी चॉइस होती है और हो सकता है कि किसी महिला को घर पर ज्यादा समय बिताना पसंद हो, लेकिन हर लड़की को घरेलू बनना पसंद होगा यह कैसे कोई कह सकता है?

एआई के मुताबिक, एक लड़की की हॉबी कुकिंग जरूर होनी चाहिए और वह होमबॉडी हो तो और भी अच्छा है। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के मुताबिक, जिसे घर में रहना पसंद होता है या जो अनएडवेंचरस है, उसे होमबॉडी कहते हैं। तो माफ कीजिएगा बार्ड महाराज मैं कॉन्फिडेंट और एंबिशियस हूं, लेकिन अनएडवेंचरेस बिल्कुल नहीं हूं। 

क्या यह उस एक रूढ़िवादी मानसिकता का प्रतीक नहीं है, जो लंबे समय से चलती आ रही है। आज भी सिर्फ एक महिला को क्यों घेरलू होना जरूरी है और क्यों खाना बनाना उसकी हॉबी होना चाहिए। मैं एक 30 वर्षीया वर्किंग वुमेन हूं, जिसे कुकिंग बिल्कुल नहीं पसंद (आखिर कब तक होगा कन्यादान)।

खाना बनाना हम महिलाओं के डीएनए में तो नहीं है। यह सिर्फ हमारा कर्तव्य नहीं है। यह एक सर्वाइवल स्किल है, जो हर किसी के लिए जरूरी है। एक महिला जो अपने परिवार के लिए तीन बार खाना पका रही है सिर्फ वही 'सर्व गुण संपन्न' क्यों मानी जाती है?

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क्यों आज भी कायम हैं जेंडर रोल्स?

21वीं सदी में आकर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में कदम रखकर अगर आज भी हम एक लड़की के बायोडाटा में होमली, फेयर और खाना बनाने के शौक जैसी हॉबी देख रहे हैं, तो मतलब हम आज भी पिछड़े हुए हैं। आज भी पितृसत्तात्मक समाज इसमें विश्वास रखता है कि खाना बनाना एक महिला का ही काम है।

आज, जब महिलाएं लगभग हर करियर क्षेत्र में ऊंचाइयों पर पहुंच रही हैं, तब भी समाज का मानना है कि पुरुष और महिलाएं समान नहीं हैं। क्यों हम आज भी महिलाओं से एक बेहतरीन कुक होने की उम्मीद करते हैं। हमें क्यों लगता है कि घर संभालने और किचन में घंटों बिताने पर ही वह शादी के लिए एक परफेक्ट कंटेंडर बन सकेगी?

एआई जैसा टूल जो वाकई बड़े बदलाव ला सकता है, उसमें भी बदलाव की आवश्यकता है। लिंग के आधार पर भूमिकाओं को विभाजित करना अब हमें बंद करना चाहिए। 

इस मैरिज बायोडाटा के बारे में आपका क्या ख्याल है, वो लिखकर हमारे कमेंट सेक्शन में जरूर भेजें। हमें उम्मीद है यह लेख आपको पसंद आएगा। इसे लाइक और शेयर करना न भूलें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए विजिट करें हरजिंदगी। 

Image Credit: Freepik

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