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France rape case exposes a disheartening truth about mens lack of accountability

10 सालों तक पति ने 50 से ज्यादा पुरुषों से करवाया पत्नी का यौन शोषण, महिलाओं के खिलाफ अपराध की घिनौनी कहानी

कहते हैं कि एक पति-पत्नी का रिश्ता अटूट होता है। इस रिश्ते में प्यार, समर्पण, वादे और इज्जत होती है। मगर फ्रांस की एक घटना ने इस कथन और महिलाओं के खिलाफ अपराध की घिनौनी कहानी बयां की है।
Editorial
Updated:- 2024-09-16, 15:20 IST

'Not All Men Yet Always A Man'... बीते कुछ समय से यह एक फ्रेज आप यदा-कदा देख रहे होंगे। लगातार आ रही रेप की खबरों ने एक बार फिर से पुरुषों की जवाबदेही पर सवाल खड़ा किया है। जब ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, तो अक्सर कुछ पुरुष यह कहते हुए सामने आते हैं कि हर आदमी गलत नहीं होता...लेकिन कमाल है कि गलत करने वाला एक आदमी ही है। वह चाहे आपका दोस्त हो, भाई हो, पिता हो, चाचा हो, सीनियर हो या पति हो। हम महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के बारे में अक्सर न्यूज में पढ़ते व सुनते हैं। महिलाओं के साथ होती हैवानयित का आखिर कब अंत होगा, यह विचार हममें से तमाम महिलाओं के मन में होगा। 

जब आप ऐसी कोई खबर पढ़ते हैं जिसमें महिला के साथ यौन शोषण करने वाला उसका अपना होता है, तो खून और खौलता है। साथ ही, यह विचार भी आता है कि महिलाएं अपने ही घर में सुरक्षित नहीं हैं, तो वे कहां अपनी सुरक्षा की गारंटी पा सकती हैं। 

एक और ऐसे मामले ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर फिर यह सवाल खड़ा किया है कि आखिर महिलाएं सुरक्षित कहां हैं? यह मामला भारत का नहीं, बल्कि फ्रांस का है। जहां पर एक 72 वर्षीया महिला कोर्ट के चक्कर लगा रही है, ताकि उसके गुनेहगारों को सजा मिल सके। 

यह दर्दनाक कहानी है जिसेल पेलिखो (Gisèle Pelicot) की, जिसने न केवल पति डोमिनिक पेलिखो (Dominique Pelicot) बल्कि 50 से अधिक पुरुषों के हाथों वर्षों तक अकल्पनीय यौन हिंसा के खिलाफ साहसपूर्वक आवाज उठाई है। इस घटना ने मानवीय शालीनता की नींव को हिलाकर रख दिया है। यह फ्रांस में चल रहा मुकदमा है जिसने पुरुषों की जवाबदेही पर सवाल खड़ा किया है। जिसेल पेलिखो का पति ने इस भयावह कारनामे की साजिश रची थी। यह केवल व्यक्तिगत पीड़ा की कहानी नहीं है। यह महिलाओं के साथ अपराधों के लिए पुरुषों को जवाबदेह ठहराने में समाज की विफलता का भी अभियोग है।

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जब जिसेल पेलिखो के पति ने की सारी हदें पार

who is Gisèle Pelicot

10 साल तक पेलिखो के पति ने (अब एक्स) ने इस यौन शोषण जैसे घिनौने अपराध को अंजाम दिया था। इस मामले के बारे में जब आप पढ़ेंगे, तो आपको समझ आएगा कि यह सिर्फ चौंकाने वाला मामला नहीं है, बल्कि यह दिल को दहलाकर रख देता है। आप यह सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि सिर्फ गांव और देहात में ही नहीं, बल्कि सबसे 'प्रगतिशील'देशों और समाज में भी महिलाओं के प्रति द्वेष की जड़ें इतनी पैठी हुई हैं। यह क्रूरता से भरा ऐसा अपराध था, जिसे व्यवस्थित तरीके से जानबूझकर अनजाम दिया गया था।

डोमिनिक, जिसेल को उनकी जानकारी के बिना नींद की गोलियां और ट्रैंक्विलाइजर दिया करता था और फिर ऑनलाइन लोगों को पत्नि के साथ सेक्शुल रिलेशन बनाने के  लिए इनवाइट कर था। फ्रांस के एविग्नन के पास माजान में दोनों का घर था और उसने 50 से ज्यादा लोगों को पत्नि का रेप करने के लिए बुलाया था। जब ड्रग्स से जिसेल की तबीयत बिगड़ने लगी, तो उन्हें लगा कि वह अल्जाइमर रोग से पीड़ित हैं। 

डोमिनिक के इस अपराध का खुलासा भी चांस से ही हुआ। दरअसल, 2020 यह अपराध तब सामने आया जब उसे एक सुपरमार्केट में महिलाओं की वीडियो बनाते हुए पकड़ा गया। जब पुलिस ने उसके फोन को चेक किया तो उसमें से तमाम ऐसे वीडियोज और पिक्चर निकले जो जिसेल के थे और तब पुलिस ने इसकी जानकारी जिसेल को दी। इस शोषण में विभिन्न व्यक्ति शामिल थे, जिनमें अग्निशमन अधिकारी से लेकर पत्रकार तक शामिल थे। इस कृत्य में  किसी ने एक बार भाग लिया, तो कुछ लोग बार-बार जिसेल का रेप करने के लिए आए थे। 

यह मुकदमा दिसंबर तक चलने की उम्मीद है, जिसमें प्रत्येक आरोपी जज के पैनल के समक्ष छोटे-छोटे समूहों में पेश होगा। मुकदमे का नतीजा इसमें शामिल लोगों के लिए कानूनी परिणामों को निर्धारित करेगा, जिसमें दोषी पाए जाने वालों को 20 साल तक की जेल की सजा हो सकती है।

 

 

 

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किसी पैनडेमिक से कम नहीं पुरुषों की जवाबदेही की कमी

यह मामला सिर्फ एक घिनौना व्यक्तिगत अपराध नहीं है, बल्कि एक पैटर्न बन गया है जहां पुरुषों को लगता है कि वे महिलाओं के साथ कुछ भी कर सकते हैं और उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। इस मामले में अपराधियों की इतनी संख्या ने शायद इस मामले की ओर ध्यान आकर्षित किया हो, मगर अब भी यौन हिंसा और महिलाओं की आवाज को दबाने का काम हर कदम पर किया जाता है। समस्या सिर्फ पुरुषों की हरकतों में ही नहीं है, बल्कि उस सिस्टम में भी है जो इन हरकतों को बिना रोक-टोक के जारी रहने देती हैं।

अक्सर, महिलाओं को उनके साथ हुए अपराधों के लिए दोषी ठहराया जाता है। उनकी कहानियों को झूठ बताकर खारिज कर दिया जाता है। लेकिन क्या कभी भी किसी पुरुष से सवाल किया गया है? पुरुषों को शायद ही कभी उसी तरह से जवाबदेह ठहराया जाता है। यह दोहरा मापदंड पुरुषों में ऐसे कृत्य को बेझिझक करने का  विश्वास भरता है।

महिलाओं के साथ होते अपराधों की सामूहिक जिम्मेदारी कौन लेगा?

who is responisble for women

हमें इस असहज सच्चाई का सामना करना होगा कि हमारी व्यवस्था और दोहरे मापदंडों ने कारण अक्सर एक महिला को जख्म मिलते हैं। आज लॉ इंफोर्समेंट से लेकर न्यायपालिका तक महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए ढांचे ढह गए हैं, जिससे अपराधियों को बिना डरे ऐसे कृत्य करने की अनुमति मिल जाती है। भारत की निर्भया, डॉक्टर बेटी से लेकर जिसेल पेलिखो जैसी कितनी महिलाएं आज शायद इन अपराधों के सहने के बाद भी चुप्प खड़ी हैं। ऐसे कितने पुरुष हैं जो अपने घिनौने काम की जिम्मेदारी लेने से बचते रहेंगे। क्या एक पीड़िता को उसके साथ हुए जर्म के लिए दोषी ठहराना सही है? आखिर इन अपराधों की सामूहिक जिम्मेदारी कौन लेगा?

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चुप्पी नहीं, अब वक्त है लड़ने का!

हम अक्सर तमाम बातें बोलते हैं। कड़ी निंदा करते हैं। शोक जताते हैं, लेकिन हम भी जानते हैं कि इन चीजों से कुछ नहीं होगा। जो बेटी और महिला इस दर्द से गुजरी है, वही जानती है कि उसके लिए यह कितना कठिन है। यह हम सभी के लिए पुरुषों को उनके कृत्यों के लिए जवाबदेह ठहराने और इन दुर्व्यवहारों को जारी रखने वाले सिस्टम को खत्म करने की मांग करने का आह्वान है।

निर्भया, आसिफा, प्रियंका, डॉक्टर बेटी और फ्रांस की जिसेल जैसी बच्चियों, बेटियों, बहनों और महिलाओं के साथ ऐसा होना ही नहीं चाहिए था, लेकिन अब जब ऐसा हो गया है, तो हमें इसे सिर्फ एक न्यूज की तरह नहीं देखना चाहिए। बल्कि दुनिया भर में ऐसे सिस्टम को एम्प्लिफाई करना चाहिए जो इन विफलताओं को संबोधित करके रेक्टिफाई करे।

अगर हम वास्तव में लैंगिक समानता में विश्वास करते हैं। अगर हम वास्तव में महिलाओं की सुरक्षा के बारे में परवाह करते हैं, तो हमें यह पहचानना होगा कि एक महिला के लिए न्याय सभी के लिए न्याय है। वहीं, जब तक हम पुरुषों को उनके घिनौने कृत्यों के लिए जवाबदेह नहीं ठहराते, तब तक न्याय नहीं मिल सकता।

असली जीत तब होगी जब महिलाओं को सिर्फ अपनी बात कहने के लिए इतनी कड़ी लड़ाई नहीं लड़नी पड़ेगी। 

दुनिया देख रही है। फ्रांस देख रहा है। भारत देख रहा है। यह वह क्षण होना चाहिए जब हम पुरुषों के लिए बहाने बनाना बंद कर दें। जब हम जवाबदेही की मांग करें और जब इसकी कड़ी सजा मिल सके।

इस लेख को लेकर यदि आपके मन में भी कोई विचार हैं। कोई सवाल हैं या फिर किसी तरह की पीड़ा है, तो हमारे साथ उसे साझा करने से बिल्कुल न झिझकें। आपकी आवाज कई महिलाओं की आवाज बन सकती है। 

 

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Image Credit: Freepik and aljajeera.com

 

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