बच्चों पर अपने माता-पिता का कितना असर पड़ता है? इसका जवाब तो शायद हम सभी को पता होगा। बच्चों की मानसिक और शारीरिक ग्रोथ के लिए माता-पिता के साथ सही रिलेशनशिप बहुत जरूरी होती है। कई स्टडीज इस तथ्य को साबित कर चुकी हैं कि डेवलपमेंट के लिए बच्चों को शुरुआती दौर से ही माता-पिता का पॉजिटिव सपोर्ट चाहिए होता है। वो अपने आस-पास की चीजों से सीखते हैं और आने वाले सालों में उनकी पर्सनैलिटी भी इसी तरह से स्थापित होती है।
हमेशा यह माना जाता है कि बच्चे के भविष्य के लिए मां का रोल बहुत अहम होता है। पर क्या वाकई मां अपने बच्चों की पर्सनैलिटी को बदल सकती है? हमने इस सवाल का जवाब जानने के लिए फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट की सीनियर चाइल्ड और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और हैप्पीनेस स्टूडियो की फाउंडर डॉक्टर भावना बर्मी से बात की। उनका कहना है कि मां का रिश्ता अपने बच्चे के साथ कैसा रहता है, वो उसकी लर्निंग विंडो को स्थापित कर सकता है।
बच्चे के डेवलपमेंट के लिए एक मां सिर्फ मां नहीं, बल्कि कई किरदारों को निभाती है। मां अपने बच्चे को सोशल, इमोशनल, फिजिकल इंडिपेंडेंट बना सकती है और गलत असर इसका उल्टा भी कर सकता है। ऐसे कई मौके होते हैं जिसमें मां अपने बच्चे को इम्पैक्ट कर सकती है।
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जी नहीं, इसे पढ़कर चौंकिए मत। मां का इन्फ्लुएंस बच्चे के दिमाग में वाकई परिवर्तन ला सकता है। 2021 की स्टडी बताती है कि इससे बच्चे के दिमाग के साइज पर असर पड़ता है। इस स्टडी में स्कूल जाने वाले बच्चों पर शोध किया गया था। उसमें बताया गया था कि उन बच्चों का hippocampus (दिमाग का अंदरूनी हिस्सा) ज्यादा बड़ा था जिन्हें उनकी मां से पॉजिटिव सपोर्ट मिलता था।
आपकी जिंदगी में कैसे बदलाव आएंगे, वो आपकी मां के साथ पर काफी हद तक निर्भर करता है। अगर आपकी रिलेशनशिप आपकी मां के साथ अच्छी है, तो जिंदगी भर आपको उसका असर दिखता रहेगा। अगर आपको मां का साथ सही तरह से मिला है, तो आपका बचपन सही होगा, आपको दिमागी तौर पर ग्रोथ मिलेगी और आपकी पर्सनैलिटी में ऐसे बदलाव आएंगे जिससे आप अपनी हर रिलेशनशिप को सही तरह से जी पाएंगे। अगर बच्चे के शुरुआती 16 सालों में वो मां का पॉजिटिव सपोर्ट पाता है, तो आने वाली जिंदगी में उसे ज्यादा सैटिस्फैक्शन मिलता है।(नई मां के लिए ब्रेस्टफीडिंग गाइड)
मेगा नेटवर्क टर्म 2020 की एक स्टडी में सामने आई थी जो जर्नल ऑफ न्यूरो इमेज में पब्लिश की गई थी। स्टडी मेंबताया गया था कि जब मां की इमोशनल स्टेट पॉजिटिव होती है, तो बच्चे का ब्रेन ज्यादा तेज़ी से विकसित होता है। यहां गर्भावस्था के दौरान मां की भावनात्मक समस्याओं की बात हो रही है। इस स्टडी के लिए मां के साथ-साथ उनके नवजात शिशुओं की ब्रेन स्कैनिंग भी की गई थी। यह स्टडी साफ बताती है कि मां की इमोशनल स्टेट बच्चे के पैदा होने से पहले से ही उसपर असर डालना शुरू कर देती है।
आपको शायद इस बात का अंदाजा ना हो, लेकिन मां की आवाज बच्चे को हर वक्त पॉजिटिव या नेगेटिव ट्रिगर कर सकती है। साइकोलॉजी मानती है कि हमें हमेशा अपनी मां की आवाज ही अच्छी लगती है। जब हमारा दिमाग शांत होता है तब भी और जब बेचैन होता है तब भी हमें मां की आवाज कंफर्ट कर देती है। हमारा दिमाग उसी तरह से इवॉल्व होता है।
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डॉक्टर भावना के मुताबिक यह आपके मूड में एक बहुत ही पॉजिटिव बदलाव लाता है। अगर आपका मूड बहुत खराब है, तो आप मां से बात करिए। रिश्ते अगर पॉजिटिव हैं, तो आपकी स्थिति में भी इसका असर सही पड़ेगा।
कुल मिलाकर साइकोलॉजी भी यही मानती है कि अगर आपकी मां का साथ है आपके साथ, तो आपकी जिंदगी ज्यादा खुशनुमा बनती है। इस मामले में आपकी क्या राय है? हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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