कभी गुजरात और महाराष्ट्र हुआ करते थे एक राज्य में, जानिए इनके बंटवारे की दर्दभरी कहानी

आमतौर लोग 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में जानते हैं, लेकिन इस दिन एक ऐतिहासिक बंटवारा भी हुआ था। आज के दिन ही महाराष्ट्र और गुजरात राज्य अलग-अलग हुए थे। 
on 1st may bombay state was divided into gujarat and maharashtra

1 मई यानी आज से 65 साल पहले, 1960 को भारत के बड़े राज्य बॉम्बे को भाषा के आधार पर दो राज्यों में बांट दिया गया था और वो दो राज्य थे महाराष्ट्र और गुजरात। उस समय बॉम्बे देश के बड़े क्षेत्रों में हुआ करता था, लेकिन यहां मराठी और गुजराती बोलने वालों की आबादी ज्यादा थी। लोग एक अलग राज्य की मांग कर रहे थे और उन्होंने इसके लिए आंदोलन भी चलाया था। काफी लंबी बहस के बाद, बॉम्बे स्टेट को दो हिस्सों में विभाजित कर दिया गया था। आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने वाले हैं कि बॉम्बे राज्य का इतिहास क्या था और कैसे यह दो राज्यों में बंट गया।

भारत की आजादी के बाद

1947 में भारत आजाद हुआ था, तब गुजरात नहीं हुआ करता था। उस समय इस क्षेत्र में 500 से ज्यादा रियासतें थीं यानी छोटे-मोटे राजा-महाराजों का राज्य हुआ करता था। इन रियासतों को मिलाकर अंग्रेजों ने बड़ौदा, पश्चिमी भारत और गुजरात राज्य एजेंसी नाम से एक प्रशासनिक इलाका बनाया था, जो सीधे केंद्र के आधीन था। जहां आज जूनागढ़, राजकोट और भावनगर जैसे शहर हैं, वहां कभी 200 से ज्यादा छोटी रियासतें हुआ करती थीं। हालांकि, जूनागढ़ के नवाब ने अपने रियासत को पाकिस्तान में शामिल करने की कोशिश की थी, लेकिन जनता के विरोध की वजह से ऐसा नहीं हो पाया था।

बॉम्बे स्टेट क्या था?

Formation of Gujarat and Maharashtra

गुजरात के उत्तर-पश्चिम में स्थित कच्छ कभी स्वतंत्र रियासत हुआ करता था। इसे 1948 में केंद्र शासित पार्ट-सी राज्य का दर्जा मिला था। वहीं, पूर्वी गुजरात में बड़ौदा जैसी बड़ी रियासतें थीं जिन्हें 1949 में बॉम्बे स्टेट में मिला दिया गया था।

उस समय बॉम्बे स्टेट भारत के सबसे बड़े क्षेत्रों में गिना जाता था। यह दक्षिण के मैसूर से लेकर पश्चिम में कराची तक फैला था। हालांकि, बॉम्बे में गुजराती और मराठी बोलने वाले लोग रहा करते थे। आगे चलकर दोनों भाषाई समुदायों ने अलग-अलग राज्य की मांग करनी शुरू कर दी थी।

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मराठी और गुजराती भाषी समुदाय ने नए राज्य की मांग की

साल 1953 में जब विदर्भ और मराठवाड़ा नेताओं ने नागपुर समझौते पर हस्ताक्षर किया, तो यह साफ हो गया कि एक संयुक्त मराठी भाषी राज्य बनने वाला है। हालांकि, मराठी बोलने वालों की संख्या बॉम्बे में ज्यादा थी, लेकिन इस राज्य में गुजराती बोलने वाले भी थे। बॉम्बे के उत्तर-पश्चिम में बड़ौदा जैसा बड़ा शहर स्थित था। गुजराती नेताओं ने बॉम्बे को मराठी राज्य में शामिल करने को लेकर जमकर विरोध किया। उनकी मांग थी कि बॉम्बे को अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाए। इस मुद्दे को लेकर काफी बहस चली।

आंदोलन चलाए गए

History of Bombay state division

साल 1956 में भाषा के आधार पर दो राज्यों के पुनर्गठन का काम शुरू हुआ, लेकिन यह इतना आसान नहीं था। बॉम्बे राज्य मराठी और गुजरातियों के बीच खींचतान का विषय बना रहा। राज्य में दो बड़े आंदोलन चलाए गए। इंदुलाल याग्निक के नेतृत्व में महागुजरात आंदोलन, जबकि केशवराव जेधे की अगुवाई में संयुक्त महाराष्ट्र समिति आंदोलन चलाया गया। इन आंदोलनों के दौरान काफी हिंसा भड़की और सरकार पर दबाव बन गया।

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1960 में महाराष्ट्र और गुजरात राज्य बने

1959 में ये आंदोलन काफी तेज हो गए और केंद्र सरकार को समझ आ गया कि बॉम्बे स्टेट को दो भागों में विभाजित करना ही पड़ेगा। फिर, 1 मई 1960 को बॉम्बे राज्य महाराष्ट्र और गुजरात में बांट दिया गया। हालांकि, बॉम्बे को आखिर में महाराष्ट्र का हिस्सा बना दिया गया है और वह राजधानी बन गई। इस फैसले से गुजरात को काफी धक्का लगा। गुजरात की पहली राजधानी अहमदाबाद थी, लेकिन 1970 में उन्होंने गांधीनगर को अपनी स्थायी राजधानी घोषित कर दिया।

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Image Credit- freepik, jagran

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