भारत की महिलाओं ने पिछले एक दशक में काफी तरक्की की है, लेकिन साल 2019 में भारतीय महिलाओं ने खासतौर पर ऐसी उपलब्धियों हासिल कीं, जो महिला सशक्तीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। देश की ऐसी इंस्पिरेशनल महिलाओं के बारे में जब HerZindagi के पाठकों ने जाना, तो उन्होंने भी इन महिलाओं की जमकर सराहना की। संघर्षों से हार ना मानने वाली इन महिलाओं ने साबित किया कि अगर चाह हो तो जिंदगी में किसी भी तरह की मुश्किल महिलाओं को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। ऐसी ही 10 महिलाओं के बारे में आइए जानते हैं।
हमारे देश में धर्म और जाति के नाम पर लोगों को बांटने की कोशिशें लंबे समय से होती रही हैं, लेकिन ऐसे लोगों की कमी नहीं, जिन्होंने धर्म और जाति से ऊपर उठकर इंसानियत को महत्व दिया। तमिलनाडु के वेल्लोर की रहने वाली 35 वर्षीय लॉयर स्नेहा साल 2019 में आधिकारिक तौर पर से देश की पहली 'नो कास्ट, नो रिलिजन' सर्टिफिकेट पाने वाली महिला बनीं। उन्होंने यह सर्टिफिकेट पाने के लिए नौ साल संघर्ष किया। गौरतलब है कि स्नेहा अब किसी धर्म या जाति से संबंध नहीं रखतीं और उन्हें सिर्फ एक भारतीय के तौर पर जाना जाएगा।
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जब पाकिस्तान का एफ-16 फाइटर जेट भारतीय सीमा में घुस आया था, तब उसे मार गिराने के लिए विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान डटे हुए थे और उनकी मदद कर रही थीं मिंटी अग्रवाल। मिंटी ने बिना डरे अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया और इसी के लिए मिंटी अग्रवाल को युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया। यह मेडल इमरजेंसी या युद्ध जैसी स्थितियों में देश के लिए विशिष्ट सेवा देने वाले सैनिकों को दिया किया जाता है।
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माओवादी हिंसा से प्रभावित इलाकों में विकास कार्य ना के बराबर दिखाई देते हैं। ऐसे इलाकों में मूलभूत सुविधाएं नहीं होने की वजह से इलाके के लोगों के लिए पढ़ाई-लिखाई और अपने पैरों पर खड़े होना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन ऐसी ही स्थितियों में उड़ीसा के मलकानगिरी डिस्ट्रिक्ट की अनुप्रिया लाकड़ा ने लगातार मेहनत करते हुए महज 23 साल की उम्र में पायलट बनने का गौरव हासिल किया और इस तरह उन्होंने माओवादी इलाके से पायलट बनने वाली पहली आदिवासी महिला बन जाने का गौरव हासिल किया।
एक ट्रांसजेंडर के रूप में जन्म लेने वाली पदमिनी प्रकाश ने अपने अस्तित्व को कायम रखने के लिए घर में संघर्ष किया। घर से सपोर्ट नहीं मिलने पर उन्होंने घर छोड़ दिया। हालांकि उन्होंने सोचा तो था कि वह अपनी जिंदगी खत्म कर लेंगी, लेकिन लोगों ने उन्हें बचा लिया और उन्हें पढ़ाया-लिखाया भी। इस लोगों की प्रेरणा से पद्मिनी देश की पहली ट्रांसजेंडर न्यूज रीडर बनीं। साल 2014 में उन्होंने स्वतंत्रता दिवस की शाम पहली बार बतौर न्यूज एंकर खबर पढ़ी थी और उसके बाद से उनकी एंकरिंग का सिलसिला जारी है। पद्मिनी ने एंकरिंग के साथ इंडियन टीवी सीरियल में भी काम किया। आज के समय में वह थर्ड जेंडर के अधिकारों के लिए लड़ रही हैं और उनसे जुड़े सामाजिक कार्यों में भी आगे रहती हैं।
प्रोफेशनल्स के तौर पर महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाली महिलाओं की तादाद अभी भी बहुत कम है। इस लिहाज से रूपा गुरुनाथ का तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना जाना बेहद महत्वपूर्ण है।
टीनेज में अक्सर बेटियों को तरह-तरह के स्ट्रगल्स का सामना करना पड़ता है। चीनू काला ने भी अपनी लाइफ में ऐसे ही संघर्ष किए और परेशान होकर अपना घर छोड़ दिया। जब चीनू ने घर छोड़ा था, तब उनके पास 300 रुपये और दो जोड़ी कपड़ों के सिवाय और कुछ भी नहीं था। लेकिन चीनू ने ठान लिया कि वह कामयाब बनकर रहेंगी। चीनू ने डोर-टू-डोर सेल्सगर्ल के तौर पर काम शुरू किया और अपने काम में बेहतर परफॉर्म करते हुए वह आगे बढ़ती गईं। 16 साल की उम्र में उन्हें पहला प्रमोशन मिला और तभी उन्हें अपने बिजनेस वुमन होने का अहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज के समय में चीनू अपनी कंपनी चलाती हैं, जिसका सालाना टर्नओवर 7.5 करोड़ का है।
1986 भारतीय सिविल लेखा सेवा बैच की सोमा रॉय बर्मन को साल 2019 में केंद्र सरकार ने देश का नये नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (Comptroller and Auditor General of India) के तौर पर नियुक्त किया। सोमा रॉय इससे पहले Home Ministery, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, उद्योग मंत्रालय, Ministery of Finance, HRD Ministery में अलग-अलग पदों पर काम कर चुकी हैं।
बेंगलुरु में रहने वाली ऐश्वर्या पिस्से ने 23 साल की उम्र में FIM World Cup जीतने का कारनामा कर दिखाया। ऐश्वर्या यह कीर्तिमान हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। 12वीं में फेल होने के बाद उन्हें घर से बाहर निकाल दिया गया था। इसके बाद उन्होंने मोटरसाइकलिंग पर फोकस किया। ऐश्वर्या ने घरवालों के साथ-साथ पुरुषवादी सोच की वजह से मुश्किलें उठाईं, लेकिन अपनी मेहनत और लगन के बल पर वह कामयाब हुईं।
60 के बाद ही बहुत सी महिलाएं खुद को बूढ़ा मान लेती हैं, लेकिन ऐसी महिलाओं के लिए इंस्पिरेशन बनीं लतिका चक्रवर्ती, जिन्होंने 89 की उम्र में बिजनेस शुरू किया। लतिका जी ने ऑनलाइन पोटली बैग बेचने का काम शुरू किया, जिन्हें उन्होंने खुद ही बनाया। लतिका को आज के समय में भारत के साथ-साथ जर्मनी, न्यूजीलैंड, ओमान जैसे देशों से भी ऑर्डर मिल रहे हैं। एथनिक लुक वाले उनके पोटली बैग्स बहुत खूबसूरत होते हैं।
केरल के कोल्लम जिले की पुलिस कमिश्नर मेरिन जोसफ ने अपने अदम्य साहस से इलाके के लोगों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई है। मेरिन ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एक बच्ची के रेपिस्ट को सऊदी अरब जाकर पकड़ा। देश में ऐसा पहली बार हुआ, जब सऊदी अरब से इस तरह कोई अपराधी वापस लाया गया हो।
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