मुगल बादशाह खाते थे शाही सेहरी और इफ्तार, व्यंजन का नाम सुनते ही आ जाएगा मजा

आपने इस जमाने का तो इफ्तार देखा होगा, लेकिन क्या आपको पता है मुगल काल में सेहरी में किन व्यंजन को खाया जाता था। तो देर किस बात की आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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रमजान का मुबारक महीना चल रहा है। यह महीना बरकतों वाला है, रहमतों वाला है। जब सभी मुसलमान अल्लाह के लिए रोजा रखते हैं, नमाज पढ़ते हैं। यह परंपरा बरसो से चली आ रही है, जिसे हर दौर की सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने के हिसाब से फॉलो किया गया है। मुगल काल में भी रोजे रखे जाते थे, सेहरी में उठकर अल्लाह की इबादत की जाती थी।

मगर सोचने वाली बात है उस वक्त का मंजर कैसा होता होगा। लोग क्या खाते होंगे, क्या कुछ नया और शाही बनाया जाता होगा या कुछ ऐसा जो हमने खाया ही नहीं अभी तक? यकीनन आपके मन में भी इस तरह के सवाल आते होंगे, लेकिन हकीकत से रूबरू होने का मौका नहीं मिलता। अगर आप भी यही सोचते हैं, तो यह लेख जवाब ढूंढने में आपकी मदद कर सकता है।

मुगल काल में सहरी का महत्व

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मुगल काल में सेहरी को बहुत ही खास खाना खाया जाता था, क्योंकि यह पूरे दिन के लिए एनर्जी देने के लिए सही रहता है। उस समय सेहरी को खासतौर पर स्वादिष्ट और पोषण से भरपूर बनाने पर ध्यान दिया जाता था। बादशाहों के लिए सेहरी में खास व्यंजन बनाए जाते थे, जिन्हें खाने के बाद वे पूरे दिन का रोजा आसानी से रख सकते थे।

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निहारी और कुलचा

मुगल काल में सेहरी का सबसे लोकप्रिय व्यंजन था निहारी और कुलचा। निहारी एक तरह का नॉनवेज व्यंजन है, जिसमें गोश्त को हल्की आंच पर पकाया जाता था। यह व्यंजन इतना पौष्टिक होता था कि इसे खाकर लोग पूरे दिन एनर्जी से बने रहते थे। कुलचा एक नरम और मुलायम रोटी होती थी, जिसे निहार के साथ खाया जाता था।

हलवा और पूड़ी

What was Aurangzeb's favorite food

मुगल बादशाहों की सेहरी में अक्सर हलवा और पूड़ी भी शामिल होता था। हलवा सूजी, आटे या बेसन से बनाया जाता था और उसमें सूखे मेवे डाले जाते थे। इसे पूड़ी के साथ खाया जाता था, ताकि ज्यादा देर तक पेट भरा महसूस हो। हलवा पेट को गर्म रखता था और एनर्जी भी मिलती है।

बिरयानी या यखनी पुलाव

सेहरी के समय मुगल दरबार में बिरयानी या यखनी पुलाव भी खाया जाता था। यखनी पुलाव में मांस और चावल को एक साथ धीमी आंच पर पकाया जाता था, जिससे उसका स्वाद और खुशबू बेहतरीन हो जाती थी। यह व्यंजन मुगल रसोई का एक मुख्य हिस्सा था और रोजेदारों के लिए यह काफी पौष्टिक माना जाता था।

शीरमाल और कबाब

what did mughal emperors eat for sehri or iftar (3)

शीरमाल एक प्रकार की मीठी रोटी होती थी, जिसे केसर, दूध और घी से बनाया जाता था। यह रोटी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पेट को लंबे समय तक भरा रखती थी। इसे अक्सर कबाब के साथ खाया जाता था। कबाब में मांस को मसालेदार तरीके से पकाया जाता था। इसे तंदूर या अंगारों पर भुना जाता था। यह व्यंजन मुगल रसोई का एक खास हिस्सा था।

कचोरी और दही

मुगल काल में सेहरी के समय कचोरी और दही भी खाया जाता था। कचौरी को मसालेदार दाल या आलू के मिश्रण से भरा जाता था और फिर तला जाता था। इसे ताजा दही या मट्ठे के साथ परोसा जाता था। यह खाना पाचन के लिए अच्छा होता था और दिनभर एनर्जी बनाए रखने में मदद करता था।

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शरबत और ठंडाई

What did Mughal emperors eat

मुगल दरबार में सेहरी के समय विशेष प्रकार के शरबत और ठंडाई सर्व किए जाते थे। इन ड्रिंक्स को खासतौर पर गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडक देने और हाइड्रेट रखने के लिए तैयार किया जाता था। ठंडाई में केसर, बादाम, गुलाब जल और इलायची का इस्तेमाल किया जाता था।

इन व्यंजन को आप भी तैयार कर सकते हैं। अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

Image Credit- (@Freepik and shutterstock)

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